अमरावती शहर के लाल पूल इलाके में अचलपुर के एक सिनेमा हॉल से फिल्म देखकर लौट रहे युवकों के एक ग्रुप ने जय श्री राम का नारा लगाया। उसी इलाके के आज़ाद नगर में रहने वाले एक अन्य युवकों के ग्रुप ने इसका विरोध किया। जिसके बाद दोनों ग्रुप आपस में भिड़ गए।
राम गोपाल वर्मा ने आगे कहा कि मुझे 'द कश्मीर फाइल्स' से नफरत है क्योंकि मैंने जो भी सीखा, इस फिल्म ने सब बर्बाद कर दिया।
अखिलेश ने विधानसभा चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए कहा कि एमएलसी चुनाव पर भी हमें प्रशासन से लड़ना होगा। अखिलेश ने कहा कि मुरादाबाद में 1 लाख 47 हजार वोट पाने वाले की काउंटिंग ढाई घंटे रोक दी गई।
विवेक अग्निहोत्री द्वारा अभिनीत और अनुपम खेर, दर्शन कुमार, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी द्वारा अभिनीत 'द कश्मीर फाइल्स' 11 मार्च को रिलीज हुई थी।
अनुपम खेर ने एक वीडियो शेयर किया और अपनी मां दुलारी से फिल्म के बारे में उनकी राय ली।
कुशीनगर में 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म देखकर लौट रहे युवकों पर वर्ग विशेष के हिस्ट्रीशीटरों के गुट ने हमला कर दिया। चाकू ये हमले में एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। हमले के बाद बदमाशों ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया और चेतावनी देते नजर आए।
कश्मीरी संगठन व्यक्तिगत रूप से या संयुक्त रूप से इस मुद्दे को उठा सकते हैं और वर्तमान सक्षम जम्मू-कश्मीर सरकार को एसआईटी या न्यायिक आयोग बनाने के लिए मजबूर कर सकते हैं। इन दुर्भाग्यपूर्ण प्रवासी हिंदुओं को न्याय दिलाने की जरूरत है, जिनकी आवाज पिछले 32 सालों से कभी नहीं सुनी गई।
विवेक अग्निहोत्री ने 'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर उठ रहे विवादों पर कहा, “फिल्म में कोई विवाद ही नहीं है। भला आतंकवाद पर कोई विवाद हो सकता है क्या। दरअसल कश्मीर एक व्यवसाय है और इस फिल्म से बहुत से लोगों की दुकान बंद हो रही हैं, इसीलिए विवाद उठ रहा है।”
1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ अत्याचारों को उजागर करने वाली फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' लोगों के दिलों को छूने में सफल रही है।
संजय राउत ने कहा, “कश्मीर से हिंदू पंडितों के पलायन, उनकी हत्याओं, उन पर किए गए अत्याचारों और उनके गुस्से पर आधारित फिल्म परेशान करती है। लेकिन इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि फिल्म के जरिये हिंदू-मुसलमानों को फिर से बांटने और चुनाव जीतने का प्रयास किया जा रहा है।”
द कश्मीर फाइल्स 11 मार्च को रिलीज़ हुई थी। फिल्म 1990 में कश्मीर विद्रोह के दौरान कश्मीरी पंडितों के पलायन की कहानी पर आधारित है।
युवक शुक्रवार रात 'द कश्मीर फाइल्स' का आखिरी शो देखने सिनेमा हॉल गए थे। फिल्म की स्क्रीनिंग समाप्त होने के बाद, तीनों ने सिनेमा हॉल से बाहर निकलते समय राष्ट्रवादी नारे लगाए।
संजय राउत ने कहा कि, कश्मीर पर एक फिल्म बनी है। लेकिन सच छुपाया गया है और बहुत सारी झुठी कथाएं दी गई है। भाजपा इस फिल्म का प्रचार कर रही है तो भाजपा के समर्थक इस फिल्म को देखेंगे ही। अभी फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाएगा, फिल्म के निर्देशक को पद्मश्री दिया जाएगा।
‘The Kashmir Files’ को लेकर बंगाल में सियासत अपने पूरे ऊफान पर है। इसी बीच बीजेपी सांसद जगन्नाथ सरकार ने अपने ऊपर हमले का एक बड़ा आरोप लगाया है। उन्होने कहा कि जब वो फिल्म देखकर लौट रहे थे तो उनकी गाड़ी पर बस फेंका गया। हालांकि इस हमले में किसी को चोट नही पहुंची है। बीजेपी लगातार प्रदेश सरकार पर आरोप लगा रही है कि इस फिल्म को राज्य में प्रदर्शन रोकने में लगातार रुकावट डाली जा रही है।
द कश्मीर फाइल्स को लेकर देश में दो वर्ग साफ साफ बनते नजर आ रहे हैं..एक वर्ग ऐसा है जो द कश्मीर फाइल्स की हकीकत के साथ खड़ा है..तो एक दूसरा वर्ग अब खुलकर इस फिल्म के खिलाफ खड़ा होता जा रहा है..कोई इस फिल्म को फ्रिंक्शन कह रहा है..कोई आधा सच बता रहा है..कोई साजिश कह रहा है। क्या है पूरा मामला समझिए कुरुक्षेत्र में
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा, कश्मीरी पंडितों को बहुत पीड़ा झेलनी पड़ी। हमें उनके अधिकारों के लिए खड़े होना चाहिए।
उमर अब्दुल्ला ने अपने पिता फारूक अब्दुल्ला को क्लीन चिट दे दी, जो राज्यपाल शासन लागू होने से ठीक पहले मुख्यमंत्री थे।
4 मार्च को रिलीज़ हुई 'झुंड' को दर्शकों और समीक्षकों की तरफ से बेहतर रिस्पॉन्स मिला। हालांकि, एक हफ्ते बाद विवेक अग्निहोत्री की 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म की कमाई पर 'झुंड' पर भारी पड़ गई।
फारूक अब्दुल्ला 7 नवंबर 1986 से 18 जनवरी 1990 तक मुख्यमंत्री थे। यह वह समय था, जिसमें कश्मीर धीरे-धीरे नीचे गिर रहा था और खुफिया एजेंसियों द्वारा चेतावनी के बावजूद उदासीनता दुर्गम लग रही थी।
अमित मालवीय ने आगे लिखा-'18 जनवरी 1990 को फारूक अब्दुल्ला के पद छोड़ने के बाद उन्हें 20 जनवरी 1990 को फिर से राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
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