वुहान के बाद ये दूसरा मौका है जब दोनों नेता इतने करीब से एक दूसरे से मिल रहे हैं और एक दूसरे को इतना वक्त दे रहे हैं। पीएम मोदी पहले तो करीब दो घंटे तक राष्ट्रपति जिनपिंग को महाबली पुरम के मंदिरों को दिखाते रहे, फिर दोनों ने ढाई घंटे तक डिनर पर बात की।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि उन्होंने अपनी फ्रांसीसी समकक्ष के साथ ‘‘उपयोगी बातचीत’’ की और इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों से जुड़े सभी मुद्दों की समीक्षा की।
अमेरिकी एजेंसी से मिली इनपुट के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं, जिसमें कहा गया है कि जम्मू एवं कश्मीर में धारा 370 निरस्त किए जाने के बाद आईएसआई प्रायोजित आतंकवादी हमले हो सकते हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किए जाने को बहुप्रतीक्षित और उचित कदम बताते हुए कहा कि पाकिस्तान से यही अपेक्षा थी कि वह इस निर्णय को चुनौती देने के लिए हर संभव कोशिश करेगा।
अमेरिका ने कई देशों के उस डर को मंगलवार को सामने रखा कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद, पाकिस्तानी आतंकवादी भारत में आतंकवादी हमलों को अंजाम दे सकते हैं।
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया को अहसास दिलाया कि आतंकवाद किसी एक देश के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व, इंसानियत और इस्लाम के लिए चुनौती है।
भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर राग अलापने पर पलटवार करते हुए कहा कि उसके नागरिकों को उनकी तरफ से बोलने के लिए किसी भी व्यक्ति की जरूरत नहीं है और कम से कम उन लोगों की तो कतई नहीं जिन्होंने नफरत की विचारधारा से आतंकवाद का कारोबार खड़ा किया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आतंकवाद और हिंसक अतिवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने के अपने रुख को दोहराया और दोनों इस बात पर सहमत हुए कि एक मजबूत सुरक्षा साझेदारी ने दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच भरोसा और एक दूसरे पर विश्वास कायम किया है।
पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति से आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद को अपने बैंक खाते से एक सीमित राशि (1.5 लाख रुपये) निकालने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
वहीं पाकिस्तान में चर्चा हो रही है कि इमरान खान को यूएन में भाषण पढ़कर देना चाहिए क्योंकि बिना पढ़े बोले तो वो कोई बड़ी गलती कर देंगे और अपने ही देश की पोल खोल देंगे।
अब सवाल ये है कि इमरान क्या बोलेंगे या और क्या नहीं बोलेंगे या फिर सिर्फ और सिर्फ कश्मीर का रोना रोएंगे। इमरान के लिए कश्मीर तो बहाना होगा, महंगाई और डूबती इकॉनमी से मुंह छिपाना ही पाकिस्तानी पीएम का मकसद होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 74वें सत्र को संबोधित कर रहे है। पीएम मोदी के संबोधन पर भारत से ज्यादा पाकिस्तान की नजर है क्योंकि पीएम मोदी जब भी बोलते हैं, पाकिस्तान की दुनिया भर में फजीहत होती है।
इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिशों की आलोचना करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि 'खुद से इस तरह की धारणा बनाना खतरनाक है और इससे परहेज करना चाहिए'।
जयशंकर बुधवार को न्यूयॉर्क में थिंक टैंक ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस’ के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
पाकिस्तान का परोक्ष तौर पर जिक्र करते हुए भारत ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई की पहचान करनी चाहिए और उसकी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को कहा कि आतंकवाद का धर्म से कोई रिश्ता नहीं होता और समुदायों के हाशिए पर जाने से कट्टरता पैदा होती है।
हाफिज सईद मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड है। इससे पहले इस महीने की शुरुआत में भारत ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (UAPA) बिल के तहत मौलाना मसूद अजहर, हाफिज सईद के अलावा जकी उर रहमान लखवी और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम जैसे 4 बड़े आतंकियों को वांटेड आतंकी घोषित किया था।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2016 में ऐतिहासिक सऊदी अरब यात्रा का जिक्र भी किया, जब दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ अभियान और खूफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान में सहयोग को बढ़ाने का फैसला किया था।
मोदी के इस साल मई में दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में आने के बाद से ट्रम्प के साथ यह चौथी मुलाकात है। उनकी 40 मिनट तक चली बातचीत में मुख्यत: द्विपक्षीय व्यापार और पाकिस्तान से उपज रहे आतंकवाद से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के किसी भी हिस्से में होने वाले आतंकवादी हमले को ‘‘आतंकवाद ही माना जाना चाहिए, इसे ‘बड़ा या छोटा’ अथवा ‘अच्छा या बुरा’ नहीं माना जाना चाहिए।’’
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