आज करिए हैं मां क्षीर भवानी के दर्शन। माता का ये दिव्य मंदिर कश्मीर में गांदरबल में तुलमुला नामक स्थान पर एक झरने के पास स्थित है। ये मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना बताया जाता है।
आज द्वारिकाधीश मंदिर के दर्शन करिए। ये मंदिर भगवान कृष्ण भगवान को समर्पित है। मुख्य मंदिर 72 स्तंभों द्वारा समर्थित 5 मंजिला इमारत का है। इसे जगत मंदिर या निज मंदिर के रूप में जाना जाता है।
आज करिए काशी नगरी प्राचीन हनुमान मंदिर के दर्शन। मंदिर का नाम बनकटी हनुमान मंदिर हैं, जो काशी के प्राचीन हनुमान मंदिरो में से एक है। बनकटी हनुमान जी का मंदिर के बारे में कहा जाता है यहां 41 दिन दर्शन करने मात्र से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं ।
हिमाचल में कुल्लु घाटी में व्यास नदी के पास भगवान शिव का ये अनोखा मंदिर स्थापित है। यहां के लोगों का मानना है कि यहां हर वर्ष के बार बिजली गिरती है।
आज करिए श्री ज्वालेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन। श्री ज्वालेश्वर महादेव मंदिर मध्यप्रदेश के अमरकंटक से 8 किलोमीटर दूर शहडोल रोड पर स्थापित है। यह खूबसूरत मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
उत्तराखंड के रानीखेत में स्थित ये मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है और इसे झूला देवी के रूप में जाना जाता है। इसका कारण ये है कि यहाँ देवी मां के दर्शन पालने पर बैठे हुए होते हैं । स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर 700 वर्ष पुराना है।
यह मंदिर पवित्र वृंदावन धाम में स्थित है। यह मंदिर वैसे तो पूरी तरह से दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है परंतु इसमें बने सात दरवाजों में से 2 द्वार राजस्थानी शैली में बने हुए हैं। मुख्य रूप से ये मंदिर भगवान रंगनाथ जी को समर्पित है
आज रेणुका माता के पवित्र मंदिर के दर्शन करिए। यह सिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के नांदेड जिले के माहूर नामक स्थान पर बना है. माहूर में एक प्राचीन किला है जिससे लगभग दो किलोमीटर दूरी पर ये माता रेणुका का ये मंदिर स्थित है।
ये मंदिर पवित्र रामेश्वरम तीर्थ में स्थित है। लक्ष्मण जी को समर्पित इस मंदिर का निर्माण रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग से कुछ ही दूरी पर किया गया है। यहां एक पवित्र कुंड भी है जिसे लक्ष्मण कुंड कहा जाता है।
मुंबई में स्थित इस मंदिर की देश ही नहीं विदेशों में भी बहुत अधिक मान्यता है। यही कारण है कि देश विदेश से भक्त सिद्धि विनायक के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में भगवाण गणेश की मूर्ति की सूंड दायीं ओर है।
ये मंदिर मथुरा के वृंदावन में स्थित है। यह मन्दिर श्री रसिकदासजी के शिष्य श्री गोविन्ददासजी द्वारा निर्मित है। इस मंदिर में श्री गोरे दाऊ जी के श्री विग्रह विराजमान है।
औरंगाबाद के खुलताबाद में एलोरा गुफाओं के कुछ ही दूरी पर स्थित है हनुमान जी का एक बेहद प्राचीन भद्र मारूति मंदिर। ये मंदिर इसी लिए भी विशेष है क्योंकि यहां हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई अवस्था में है।
मध्यप्रदेश के देवास जिले में देवी माता का एक प्राचीन मंदिर स्थापित है। इस मंदिर को देवास माता टेकरी मंदिर कहा जाता है। यह स्थान मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के पास ही स्थित है। देवास की टेकरी पर स्थित मां भवानी का यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। लोक मान्यता है कि यहां देवी मां के दो स्वरूप अपनी जागृत अवस्था में हैं।
खजुराहों में मतंगेश्वर महादेव मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है।कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 900 से 925 ई के आसपास हुआ था। मंदिर में स्थित शिवलिंग 9 फीट जमीन के अंदर और उतना ही बाहर भी है।
ये मंदिर जयपुर की विचित्रा कुमारी ने बनवाया था। इस मंदिर में भगवान श्री लक्ष्मी नारायण के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा 1738 ई में हुआ था। मंदिर के सामने मंदिर का गर्भगृह है। जिसे गरुड़ गर्भगृह के नाम से भी जाना जाता है।
देश भर में मां शाकम्भरी के तीन पीठ हैं जिसमें राजस्थान के सीकर जिले में उदयपुर वाटी के पास स्थित सकराय माता शक्तिपीठ सबसे प्रमुख माना जाता है। इस स्थान को मां शाकम्भरी का जन्मस्थान माना जाता है।
आज तीर्थ में करिए प्राचीन सीताराम मंदिर क दर्शन। ये मंदिर राजस्थान के जोधपुर में स्थित है। ये मंदिर सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है। खास बात ये है कि पहले इस मंदिर को कुंजबिहारी मंदिर भी कहा जाता था। यहां पहले कुंजबिहारी जी और हनुमान जी विराजित थे।
देवी शाकम्भरी का ये सिद्धपीठ जयपुर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर सांभर नामक स्थान पर स्थापित है। यहां स्थिति मन्दिर करीब 2500 साल पुराना बताया जाता है।
आज हम आपको कराने जा रहे हैं एक ऐसे गणेश मंदिर के दर्शन जिसके बारे में मान्यता है कि यहां गणेश जी की सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित है। ये गणेश मंदिर है महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित है। विश्वप्रशिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास बने इस मंदिर में स्थापित गणपतिजी की प्रतिमा विश्वभर में स्थापित विशाल मूर्तियों में से एक मानी जाती है। खास बात ये है कि विघ्नहर्ता के ये मूर्ति सीमेंट की नहीं बल्कि ईंट, चूना, बालू गुड़ और मेथी दानों की बनी है।
यह मंदिर महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित है माना जाता है कि इस मंदिर में चल रही अखंड ज्योति के र्दर्शन करने और आटे का दिया जलाने से साढ़ेसाती से मुक्ति मिल जाती है कहा जाता है कि जब हनुमान जी लंका में प्रवेश कर रहे थे, उसी समय लंकिनी नाम की राक्षसी ने उनका रास्ता रोका तब हनुमानजी ने उसे अपने मुश्ठिका प्रहार से धूल चटा दी थी इस मंदिर में हनुमान जी के उसी स्वरूप के दर्शन होते है।
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