क्या आप भारत में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में जानते हैं, जहां पर तेल या फिर घी की जगह पानी से दीया जलाया जाता है? आइए इस मंदिर के रहस्य के बारे में जानते हैं।
बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी में सुंदरकांड और मंदिर जाने को लेकर एक विवाद सामने आया है। हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं का आरोप है कि सुंदरकांड पढ़ने और मंदिर जाने पर रोका गया।
Famous Devi Mandir In Delhi: नवरात्र में देवी का आशीर्वाद पाना है और किसी मनोकामना के पूरा होने की चाहत हैं तो आप इन मंदिरों के दर्शन कर आएं। माना जाता है कि इस मंदिर की चौखट से कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। ये दिल्ली के सबसे प्राचीन देवी के मंदिर हैं।
समस्तीपुर के रोसड़ा के रहने वाले शिवभक्त शिवशंकर महतो एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण करवा रहे हैं। उन्होंने अपनी मेहनत के 50 लाख रुपये से ज्यादा लगा चुके हैं, लेकिन अभी भी मंदिर का निर्माण कार्य बाकी है।
मंदिर के पुजारी राजेंद्र शर्मा ने कहा, ‘‘मंदिर की पवित्रता की रक्षा के लिए पश्चिमी और तंग पोशाक तथा शॉर्ट्स (हाफ पैंट) पहने हुए भक्तों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।’’
मातृशक्ति सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि यह पहली बार है जब मैं काशी का नामांकन अपनी मां की गैर मौजूदगी में कर रहा हूं। अब मां गंगा ही मेरी मां हैं। इसलिए मैंने कहा था कि मां गंगा ने मुझे काशी बुलाया है। अब तो मां गंगा ने मुझे गोद ले लिया है।
मंदिर में मारपीट का एक वीडियो सामने आया था, जिसे दलित की पिटाई बताकर सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है। मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
यूं तो भारत में भगवान शिव के लगभग सैकड़ों मंदिर हैं जहां पर किसी न किसी रूप में शिव जी विराजमान हैं। लेकिन आज हम आपको शिव जी के कुछ ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो काफी प्रसिद्ध है। ऐसी मान्यता भी है कि इन मंदिरों में जाने से महादेव भक्तों की मुराद पूरी करते हैं।
भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में स्थित है हनुमानजी का पौराणिक मंदिर हनुमानगढ़ी। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 300 साल पहले स्वामी अभयारामदासजी की मौजूदगी में सिराजुद्दौला ने की थी।
यूपी के गोरखपुर शहर में भगवान शिव का एक मंदिर है। यह स्वयंभू शिवलिंग झारखंडी महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की कहानी बेहद दिलचस्प है।
भारत में ऐसे कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनका इतिहास अति प्राचीन है। इनकी सुंदरता और प्रसिद्धि आज भी बरकरार है। आइए जानें इन मंदिरों के बारे में-
भारत में ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने आप में बेहद अनोखे हैं। आज हम आपको भारत के कुछ प्राचीन और अनोखे मंदिर के बारे में बताएँगे। जिसके बारे में जानकर आप वहां जाने से अपने आप को रोक नहीं पाएंगे।
TTD की संपत्ति पूरे देश में 7,123 एकड़ में फैली 960 संपत्तियां भी शामिल हैं। टीटीडी की ओर से बताया गया है कि विभिन्न बैंकों में नकद और सोने की जमा राशि में पूरी तरह से पारदर्शिता बरती जाती है
आज हम आपको लेकर चल रहे हैं श्रीनगर। यहां के हब्बा कदर इलाके में स्थित है भगवान शिव को समर्पित शीतल नाथ मंदिर। शीतलनाथ मंदिर 31 साल की लंबी अवधि के बाद बंसत पंचमी के अवसर पर खोला गया है।
आज हम आपको लेकर जा रहे हैं कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु, जहां स्थापित है गणेशजी का एक पुरातन मंदिर। इस मंदिर को पंचमुखी गणेश मंदिर भी कहा जाता है। ये मंदिर बेंगलुरु के हनुमंतनगर में स्थापित है। यहां पंचमुखी गणेश की मूर्ति 30 फीट ऊंचे गोपुरम पर विराजमान हैं।
पहले इस मंदिर को श्रीराम आश्रम कहा जाता था। इस मंदिर की स्थापना भगवान राम के अन्नय भक्त स्वामी श्री राम ने की थी। खास बात ये है कि इस मंदिर में हर दिवाली पर हजारों की संख्या में साधुओं को कंबल बांटे जाते हैं।
आज करिए बेदी हनुमान मंदिर के दर्शन। यह मंदिर उड़ीसा के पुरी में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ ने हनुमान जी को समुद्र को नियंत्रित करने के लिए नियुक्त किया था। लेकिन हनुमान जी बार बार भगवान जगन्नाथ जी, सुभद्रा जी और बलराम जी के दर्शन की लालसा लिए नगर में आ जाते थे और उनके पीछे पीछे समुद्र भी नगर में प्रवेश कर जाता था।
हनुमान धारा मंदिर उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी चित्रकूट में स्थित है। ये दिव्य मंदिर पर्वतमाला के मध्य में स्थित है। खास बात ये है कि इस मंदिर के ऊपर से ठंडे जल की एक धारा निकलती है जो हनुमान जी को छूती हुए नीचे एक कुंड में जाती है।
ये मंदिर मध्य प्रदेश के पन्ना में स्थापित है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान जुगल किशोर की यह मूर्ति हरिराम व्यास को विक्रमी संवत् 1620 की माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी को वृंदावन के किशोर वन में मिली थी।
आज करिए त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के पवित्र दर्शन । यह मंदिर महाराष्ट्र के नासिक शहर में स्थित त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग को बहुत पवित्र माना जाता है। माना जाता है यह स्थान प्राचीन काल में गौतम श्रृषि की तपोभूमि था। अपने पर लगे गौहत्या के पाप को मिटाने के लिए उन्होंने यहां शिव जी का तप कर गोदावरी का उदगम करवाया था।
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