इंडस्ट्री ने अनुमान दिया है कि मेक-इन-इंडिया शुल्क में बढ़ोतरी से उत्पादों की लागत 5-6 प्रतिशत बढ़ जाएगी क्योंकि कई उपकरणों को आयात किया जाता है
मोदी सरकार ने चीन पर अंकुश लगाने की तैयारी लगभग पूरी कर ली है। ऐसे में सरकार जल्दी ही इस संबंध में बड़ी घोषणा कर सकती है। दोनों देशों के बीच हाल ही में कई महीनों तक LAC पर तनातनी चली थी जिसका दोनों के संबंधों पर बहुत बुरा असर पड़ा है।
इस योजना से देश में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये मूल्य के दूरसंचार उपकरणों का उत्पादन किया जाएगा। वहीं अगले 5 वर्षों में करीब 2 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया जाएगा। इससे देश करीब 50 हजार करोड़ रुपये का आयात बिल बचा सकेगा।
संगठन के मुताबिक अन्य क्षेत्रों की तरह दूरसंचार भी महामारी से प्रभावित हुआ और मार्च तथा अप्रैल में उद्योग के ग्राहकों की संख्या में कमी आई। हालांकि, बाद में कारोबार जगत और व्यक्तिगत लोगों द्वारा डिजिटल के इस्तेमाल से उद्योग इस संकट में खुद को खड़ा रख सका।
आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज के मुताबिक भारती एयरटेल ने एक्टिव सब्सक्राइर्ब्स के आधार पर एक बार फिर मार्केट लीडर की पोजिशन हासिल कर ली है।
भारती एयरटेल ने 36.74 लाख नए ग्राहकों को जोड़ा है। वहीं इस दौरान रिलायंस जियो के साथ 22.28 लाख नए सब्सक्राइबर जुड़े हैं।
टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर में अब सिर्फ उन कंपनियों के उपकरण ही लगाए जा सकेंगे जिन्हें भारत सरकार ने भरोसेमंद माना हो। इसके साथ ही सरकार उन सोर्स और कंपनियों की भी लिस्ट जारी करेगी जिसके उपकरणों को घरेलू टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर में लगाने पर पूरी रोक होगी।
फिक्स्ड लाइन कनेक्शन की संख्या भी अगस्त में 1.982 करोड़ से बढ़कर 1.989 करोड़ हो गई। ब्रॉडबैंड उपभोक्ताओं की संख्या भी इस दौरान बढ़कर 71.61 करोड़ पर पहुंच गई
वोडाफोन आइडिया ने कहा कि दूरसंचार उद्योग में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और उद्योग की सेहत के लिए सेवाओं की न्यूनतम दरें अनिवार्य होंगी।
दूरसंचार ऑपरेटर सरकार से इस नीति के तहत दो साल पहले किए गए वादों के अनुरूप शुल्कों में कटौती तथा स्पेक्ट्रम के मूल्य को तार्किक बनाने की मांग कर रहे हैं।
रिलायंस जियो को कोई भुगतान नहीं करना है, क्योंकि उसने 195.18 करोड़ रुपए का पूरा बकाया चुका दिया है।
फिच रेटिंग्स ने कहा कि वोडाफोन आइडिया ने इक्विटी और कर्ज के रूप में धन जुटाने की योजना बनाई है। इससे कंपनी के प्रतिस्पर्धी स्थिति लौटने की संभावना नहीं है। न ही इससे कंपनी ग्राहकों की संख्या में हुए नुकसान की भरपाई कर पाएगी, क्योंकि यह राशि निवेश की दृष्टि से पर्याप्त नहीं होगी।
अगर कंपनियां इन 10 साल के दौरान भुगतान करने में असफल रहती हैं तो उन्हें ब्याज और जुर्माना देना होगा।
COAI के महानिदेशक के मुताबिक सेक्टर में किसी कंपनी का एकाधिकार होना अच्छा नहीं है, लोगों को बेहतर सुविधाएं और बेहतर शुल्क के लिए सेक्टर में पर्याप्त प्रतिस्पर्धा की जगह होनी चाहिए।
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