भट्टाचार्य के अनुसार, उत्तर बंगाल में लगभग 300 चाय बागान हैं, जिनमें से 15 बंद हैं। टीएआई ने कहा कि उद्योग को उर्वरक, कोयला और रसायनों से लेकर उत्पादन लागत में अचानक वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है, जबकि नीलामी में कीमत बहुत कम मिल रही है।
एफएसएसएआई (FSSAI) के सीईओ जी कमला वर्धन राव ने कहा कि खाद्य सुरक्षा नियामक ने देशभर में चाय उद्योग में सर्वेक्षण कराया था और सैम्पल जमा किए थे।
दो दशकों की अवधि में, यह देखा गया है कि दार्जिलिंग में सालाना बारिश में 22 प्रतिशत की कमी आई है और वर्षा का प्रतिरूप ‘अनियमित’ हो गया है।
सौंदराराजन ने कहा कि जैसा कि बुनियादी स्थिति ठीक दिखाई पड़ रही है, उस लिहाज से इस साल कीमतों में मजबूती आने की संभावना है।
चाय का प्रति किलो यूनिट मूल्य जनवरी 2018 के 197.42 रुपए से बढ़कर 215.88 रुपए प्रति किग्रा होने की वजह से जनवरी 2019 में चाय निर्यात मूल्य पहले के 470.83 करोड़ रुपए के मुकाबले बढ़कर 480.77 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
चाय बोर्ड ने सोमवार को कहा कि वर्ष 2018 के पहले 10 महीनों में भारत से पाकिस्तान को चाय का निर्यात एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 22 प्रतिशत बढ़कर 1.30 करोड़ लाख किग्रा रहा।
गुवाहाटी चाय नीलामी केंद्र ने बुधवार को दावा किया कि उसने 1.2 किलोग्राम पर्पल (बैंगनी) चाय को रिकॉर्ड 24,501 रुपए प्रति किलोग्राम पर बेचा है।
देश के चाय उत्पादन में जुलाई में करीब 6.7 प्रतिशत की अनुमानित गिरावट दर्ज की गई। इस गिरावट के साथ चाल का कुल उत्पादन 15.13 करोड़ किलोग्राम रहा। एक साल पहले इसी महीने में चाय का उत्पादन 16.22 करोड़ किलोग्राम हुआ था।
देश में चाय उत्पादन का एक नया रिकॉर्ड बना है। 2016-17 में 125.05 करोड़ किलो चाय का उत्पादन हुआ है, जो देश के चाय उद्योग में अभी तक का सर्वाधिक स्तर है।
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