अमेरिका ने भले ही अफगानिस्तान छोड़ दिया हो लेकिन तालिबान को बेहद खतरनाक बनाकर गया है। अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी ने कहा है कि बायडेन सरकार की गलती की वजह से तालिबान को 85 बिलियन डॉलर कीमत के अमेरिकी सेना के हथियार मिल गए हैं।
तालिबान नेता शहाबुद्दीन दिलवार ने अफगानिस्तान में एक नए शासन की स्थिरता पर संदेह जताने वाले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के जवाब में कहा है कि भारत को जल्द ही पता चल जाएगा कि तालिबान देश के मामलों को सुचारू रूप से चला सकता है।
अमेरिका के एक अधिकारी का कहना है कि “निश्चित तौर पर माना जा रहा है कि” काबुल हवाई अड्डे के पास हुए बम विस्फोट के पीछे इस्लामिक स्टेट आतंकी समूह का हाथ है। अधिकारी ने कहा कि दो आत्मघाती हमलावरों और बंदूकधरियों द्वारा बृहस्पतिवार को किये गए हमले में अमेरिका के सैनिक घायल हुए हैं।
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि कई अमेरिकी भी काबुल हमले में हताहत हुए हैं। हमले के बाद का खौफनाक मंजर सामने आया है। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं।
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर के मुताबिक, काबुल एयरपोर्ट सीरियल फिदायीन ब्लास्ट में 60 से ज्यादा अफगान नागरिकों की मौत हुई है। धमाके में 4 अमेरिकी मरीन कमांडो की भी मौत हो गई है। वहीं फॉक्स न्यूज ने दावा किया है कि काबुल एयरपोर्ट बम धमाकों में 10 अमेरिकी मरीन कमांडो की मौत हुई है।
इससे पहले दिन में कई देशों ने लोगों से एयरपोर्ट से दूर रहने की अपील की थी क्योंकि वहां आत्मघाती हमले की आशंका जताई गई थी।
काबुल एयरपोर्ट के Abbey गेट पर धमाका होने की खबर है। बताया जा रहा है कि कुल 2 हमलावर थे। एक ने खुद को बम से उड़ा लिया दूसरे ने फायरिंग की। इस ब्लास्ट में तीन अमेरिकी सैनिकों के जख्मी होने की खबर है।
बता दें कि ब्रिटिश सरकार ने बृहस्पतिवार को चेतावनी दी थी कि इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) के आतंकवादियों द्वारा अफगानिस्तान में काबुल हवाई अड्डे पर जमा लोगों को निशाना बनाकर हमला किए जाने की बहुत विश्वसनीय खुफिया रिपोर्ट है।
सूत्रों ने जानकारी दी है कि फिलहाल हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला पूरी तरह से तालिबान की दया पर निर्भर हैं।
काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने खुद मुल्ला बरादर से मुलाकात की थी।
अफगानिस्तान में सरकार गठन की अटकलों के बीच तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि वे ऐसी सरकार चाहते हैं जो मजबूत हो और इस्लाम पर आधारित हो और जिसमें सभी अफगान शामिल हों।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की डेडलाइन 31 अगस्त तक की है। फिलहाल काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सेना का नियंत्रण है और वहां से सारी उड़ानें उसी के मुताबिक संचालित हो रही हैं।
अफगानिस्तान के पूर्व गृहमंत्री मसूद अंदाराबी ने तालिबान द्वारा कथित तौर पर मारे जा रहे छोटे बच्चों की चौंकाने वाली तस्वीरें पोस्ट की हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि बाइडेन ने अफगानिस्तान के आतंकवादियों के सामने घुटने टेक दिए हैं।
एंकर बीच में इमरान खान की पार्टी की नेता को टोकता है कि अल्लाह की कसम ये प्रोग्राम ऑनलाइन जा रहा है, इसको दुनिया देखेगी, इसको भारत देखेगा... उसके बाद तो हम पर तबर्रे होंगे आपको अंदाजा है... नीलम इरशाद फिर भी नहीं रुकती।
क्या आप अफगान वापस जाएंगी? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "हालात के मुताबिक तय किया जाएगा, हमारी नजर से सुकून यह नहीं कि लड़ाई-झगड़ा न हो, बल्कि मेरी नजर में सुकून वो है, जिसमें लड़कियां पढ़ाई लिखाई करें, काम करें। वहीं उन्हें डर न हो कि कहीं बाहर निकलूं तो कुछ हो जाएगा। हमारा हक मिलना ही हमारे लिए सुकून है।"
संयुक्त बयान में यह संकेत दिया गया है कि अमेरिकी नेतृत्व वाले नाटो सैनिकों को 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से निकालने की समय सीमा टूट सकती है। जॉनसन ने कहा कि जी-7 के सदस्यों की शर्त है कि तालिबान को यह गारंटी देनी होगी कि जो लोग समय सीमा के बाद देश से निकलना चाहते हैं उन्हें सुरक्षित निकासी दी जाए।
एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार, अमेरिका की केन्द्रीय खुफिया एजेंसी (सीआईए) के निदेशक विलियम बर्न्स ने तालिबान के नेता अब्दुल गनी बरादर के साथ काबुल में सोमवार को गुप्त बैठक की। ‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने सबसे पहले बर्न्स की बरादर के साथ बैठक की सूचना दी। एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर खबर की पुष्टि की।
बैशलेट ने कहा कि मानवाधिकार उल्लंघन की खबरों की जांच के लिए कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और युद्धग्रस्त देश पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि प्रतिबंध लगाने और दबाव बनाने से समस्या का समाधान नहीं होगा।
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