इस बीच बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान में मुल्ला बरादर की अगुवाई में नई सरकार का गठन होगा। अरब न्यूज में प्रकाशित खबर के मुताबिक तालिबान सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि नई सरकार का गठन मुल्ला बरादर के नेतृत्व में होगा।
जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि अफगानिस्तान में तांबे की समृद्ध खदानें हैं, जो चीनियों की मदद से वापस संचालित हो सकती हैं।
तालिबान सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि नई सरकार का गठन मुल्ला बरादर के नेतृत्व में होगा। सूत्रों के मुताबिक तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला मोहम्मद याकूब और शेर महमूद अब्बास इस सरकार में सीनियर पोजिशन संभालेंगे।
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के करीब दो हफ्ते बाद आज अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनने जा रही है। ख़बरों के मुताबिक आज जुमे की नमाज के बाद तालिबान अफगानिस्तान में अपनी सरकार का ऐलान करने वाला है।
अफगानिस्तान में पिछले दो दशकों में अमेरिकी मिशन न केवल विफल रहा, बल्कि एक तबाही भी था। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने गुरुवार को यह टिप्पणी की।
दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि मुसलमान होने के नाते, हमें कश्मीर या किसी अन्य देश में मुसलमानों के लिए अपनी आवाज उठाने का अधिकार है।
अमेरिका से बाहर निकलने के बाद देश पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त करने के लिए तालिबान को बधाई देते हुए अल-कायदा ने कश्मीर पर भी बयान दिया था।
विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर कहा कि हमारा जोर इस बात पर है कि अफगान भूमि का उपयोग भारत के खिलाफ किसी आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए। क्या भारत तालिबान के साथ और बैठकें करेगा, इस संबंध में विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस बारे में साझा करने के लिए मेरे पास कोई नयी जानकारी नहीं है, अंदाजा लगाना नहीं चाहता।
‘‘अमेरिका या अन्य किसी देश, जिससे हमने बात की है उसे तालिबान को मान्यता देने की कोई जल्दबाजी नहीं है। यह तालिबान के व्यवहार और इस बात पर निर्भर करता है कि वह वैश्विक समुदाय की उम्मीदों पर खरा उतरता है या नहीं।’’
तालिबान ने कहा है कि मुल्ला हिबातुल्ला अखुंदजादा वह नेता होगा, जिसके नेतृत्व में कोई प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति देश को चलाएगा।
जगदानंद ने कहा कि तालिबान को धार्मिक उन्माद फैलाने के लिए जाना जाता है और भारत में RSS भी यही काम कर रहा है।
अफगानिस्तान, भारतीय चीनी निर्यात के लिए शीर्ष तीन गंतव्यों में से एक है। वहां हर वर्ष लगभग छह-सात लाख टन चीनी का निर्यात किया जाता है।
इस मुलाकात के दौरान उन्होंने भारत की उन चिंताओं को उठाया था कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी तरह से भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
तालिबानी नेताओं और पंजशीर के नेताओं के बीच बातचीत के जरिए सुलह की कोशिश की गई थी, जो नाकाम रही है।
अमेरिका को अफगानिस्तान से एक न एक दिन जाना था, लेकिन वे इस तरह से जाएंगे, इतने बेगैरत होकर जाएंगे, ये किसी ने नहीं सोचा था।
आतंकी संगठन अलकायदा ने तालिबान को अफगानिस्तान पर कब्जा करने और अमेरिका को वापस भेजने के लिए बधाई दी है।
भारत अफगानिस्तान को लेकर एक पतली रेखा पर चल रहा है, एक ऐसे रास्ते पर चल रहा है, जो तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार को मान्यता दिए बिना, परियोजनाओं और लोगों से लोगों के संपर्क को जारी रखने की अनुमति दे सकता है...
सरकारी कर्मचारियों को महीनों से भुगतान नहीं किया गया है और स्थानीय मुद्रा का अवमूल्यन हो रहा है। अफगानिस्तान के अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार विदेशों में हैं और वर्तमान में उनके लेनदेन पर रोक है।
ब्रिटेन के वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल सर माइक विगस्टन ने ‘द डेली टेलिग्राफ’ अखबार से सोमवार को कहा कि ब्रिटेन इस्लामिक स्टेट-खुरसान के खिलाफ हमले में शामिल हो सकता है।
अफगानों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि अमेरिका उन्हें 20 साल तक इस्तेमाल करने के बाद यूं बेसहारा और बेबस छोड़कर भाग जाएगा।
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