सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की आगामी 25 सितंबर को होने वाली बैठक रद्द कर दी गई है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान इस बात पर जोर दे रहा था कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन को आगामी सार्क विदेश मंत्रियों की बैठक में एक प्रतिनिधि भेजने की अनुमति दी जाए।
पश्तून तहफूज मूवमेंट के संस्थापक सदस्य इहतेशाम अफगान ने एक वीडियो ट्वीट किया है जिसे देखकर पाकिस्तानियों को झटका लगना तय है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन Arg में हुई बैठक में बरादर और खलील हक्कानी के समर्थकों में जमकर झड़प हुई। फर्नीचर और गर्म चाय से भरे फ्लासक एक-दूसरे पर फेंके गए। कुछ सूत्रों का तो ये भी कहना है कि गोलियों की आवाजें भी सुनाई दीं।
उप मंत्रियों की सूची से संकेत मिलता है कि तालिबान पर अंतरराष्ट्रीय आलोचना का कोई असर नहीं है और वे समावेशिता एवं महिलाओं के अधिकारों को कायम रखने के शुरुआती वादों के बावजूद अपने कट्टरवादी रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं।
15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान संकट को लेकर भारत और अमेरिका एक-दूसरे के संपर्क में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा था कि अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन समावेशी नहीं हुआ है।
पिछले शासन के मुकाबले उदारता दिखाने के तमाम वादों के बावजूद तालिबान ने आम जनता पर सख्ती दिखाना नहीं छोड़ा है।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के एक महीने बाद अफगानिस्तान में लड़कों के लिए माध्यमिक और उच्च विद्यालयों के साथ-साथ मदरसे फिर से खुल गए हैं।
पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ दल ने विपक्षी दलों के विधायकों को ‘‘खरीदने या डराने’’ के लिए अपना खजाना भरने के वास्ते आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को बढ़ाना शुरू कर दिया है।
अमेरिकी ग्रीन कार्ड धारक कैलिफोर्निया का एक जोड़ा अपने तीन छोटे बच्चों के साथ अफगानिस्तान की राजधानी में हर रात अलग-अलग घर में गुजारता है और दोनों वयस्क बारी-बारी से सोते हैं ताकि जब एक सो रहा हो तो दूसरा बच्चों पर नजर रखे और यदि तालिबान के लोगों के आने की आहट हो तो वहां से भाग सकें।
अहमदी ने कहा, हमारे लिए केवल खेद जताना काफी नहीं है बल्कि अमेरिका को उन लोगों का पता लगाना होगा जिन्होंने यह हमला किया।
इमरान खान ने कहा कि 40 वर्ष के संघर्ष के बाद, यह समावेशिता शांति और एक स्थिर अफगानिस्तान सुनिश्चित करेगी, जो न केवल अफगानिस्तान बल्कि क्षेत्र के भी हित में है।
पिछले हफ्ते भी रशीद ने कहा था कि दुनिया के लिए यह उम्मीद करना अनुचित होगा कि अफगानिस्तान 8 दिनों में कुछ स्कैंडिनेवियाई देशों की तरह समृद्ध हो जाएगा।
काबुल में महिला मामलों के मंत्रालय के बाहर उस वक्त एक नया घटनाक्रम दिखा, जब यह घोषणा की गई कि यह अब ‘उपदेश और मार्गदर्शन तथा सदगुण प्रचार एवं अवगुण रोकथाम मंत्रालय’ होगा।
अभी तक भारत को अफगान शांति वार्ता की बैठकों में आने का न्योता तक नहीं दिया जा रहा था। लेकिन अब अफगानिस्तान में हालात में बदलाव दिखाई देने लगे हैं।
पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान में हथियारों के दम पर सरकार बनाई गई है। ऐसे में अगर जल्द ही अफगानिस्तान में शांति बहाल नहीं की गई तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा।
तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था, और पश्चिम समर्थित पिछले निर्वाचित नेतृत्व को सत्ता से बाहर कर दिया।
जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘चीन के विदेश मंत्री से दुशांबे में एससीओ की बैठक से इतर मुलाकात हुई। अपने सीमावर्ती क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर चर्चा की और यह रेखांकित किया कि शांति बहाली के लिए यह बेहद जरूरी है और यह द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का आधार है।’’
बता दें कि तालिबान ने बीते 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था।
इलाके के व्यवसायी समुदाय को रिझाने के लिए बनर्जी ने कहा कि वह देश की पहली नेता हैं जिन्होंने 2016 में नोटबंदी का विरोध किया था।
अफगानिस्तान पर मंडरा रहे बड़े मानवीय संकट को रोकने के लिए विश्व संगठनों ने मानवीय सहायता जुटाना शुरू कर दिया है। इस बीच तालिबान नेतृत्व ने कहा है कि देश में आने वाली सहायता आपूर्ति उन्हें सौंप दी जानी चाहिए, क्योंकि वे इन्हें गरीबों, जरूरतमंदों और योग्य लोगों को प्रदान करने की जिम्मेदारी लेंगे।
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