जिस तालिबान की पाकिस्तान ने तरफदारी की, आज वही तालिबान पाकिस्तान को आंख दिखा रहा है। तालिबान की सरकार ने पाकिस्तान को दो टूक कहा है कि वह डूरंट रेखा को नहीं मानता है। यह महज एक ‘रेखा‘ है।
ऐसा माना जा रहा है कि अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने और अफगान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों तथा स्वतंत्रता पर नियंत्रण करने के बाद से इस तरह का यह पहला मामला है।
घुसपैठियों, ड्रग्स या हथियारों को इस ओर भेजने के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए सशस्त्र बलों को सतर्क रहना होगा।
पहले पाकिस्तान के रास्ते गेहूं भेजा था, लेकिन इस बार कंगाल पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए भारत ने अपने दोस्त ईरान के रास्ते अफगानिस्तान को भेजकर अपना गेहूं भेजने का वादा पूरा किया है।
मुस्लिम देश अब आपस में ही भिड़ रहे हैं। ईरान-ईराक के बाद अब पाकिस्तान-अफगानिस्तान और अफगानिस्तान-ईरान में भी जंग शुरू हो गई है। अफगानिस्तान-ईरान की जंग में तालिबानियों ने 2 ईरानी सैनिकों को मार डाला।
अफगानिस्तानी तालिबानियों ने महिलाओं को कंधार में फिर काम शुरू करने की अनुमति देने पर विचार करने की बात कही है। अफगानिस्तान के एक बड़े सहायता संगठन के प्रमुख ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
पाकिस्तान की खैबर पख्तूनख्वा की स्वात घाटी पर तालिबान का दोबारा कब्जा हो गया है। 'पाकिस्तान मिलिट्री मॉनिटर' ने बताया कि अफगानिस्तान में तालिबान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने बहुत तेजी से स्वात में कब्जा जमाया है।
तालिबान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अफगानिस्तान के कानून इस्लामी नियमों और दिशानिर्देशों के अनुरूप हैं और बड़ी संख्या में अफगान नागरिक इन नियमों को मानते हैं।
श्रीलंका और पड़ोसी पाकिस्तान के बाद अब तालिबान शासित अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में भी भूचाल आने के संकेत मिल रहे हैं। पिछले कई महीनों से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अफगानी मुद्रा में गिरावट का दौर जारी है। इससे तालीबानियों को कुछ सूूझ नहीं रहा है। वैसे अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में ज्यादातर आतंकवाद का ही पैसा लगा है।
वीडियो में करीब एक दर्जन युवा थार कार से सड़क पर स्टंट करते हुए देखे जा रहे हैं। युवकों के हाथ में हथियार हैं और वह हुड़दंग मचाते हुए दिख रहे हैं।
अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति दिन-व-दिन बदतर होती जा रही है, जिसे लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी निंदा होती रही है। अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी यूएन सिक्योरिटी काउंसिल ने तालिबान के इस रवैये पर गहरी चिंता जाहिर की है।
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने 8 आतंकियों को गोलीबारी के बाद मार गिराया। यह गोलीबारी खैबर पख्तूनख्वा के दक्षिण वजीरिस्तान जिले के जरमिलन में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच हुई।
अफगानिस्तान के पश्चिमी शहर हेरात में तालिबान ने वीडियो गेम खेलने से लेकर संगीत सुनने तक पर प्रतिबंध लगा दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सदाचार को बढ़ावा देने और बुराई पर लगाम लगाने के उद्देश्य से यह प्रतिबंध लगाया गया है। जो बिना किसी चेतावनी के लगाया गया है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी है कि अगर काबुल पाकिस्तान विरोधी आतंकवादियों पर लगाम नहीं लगाता है, तो वह अफगानिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों पर हमला करेगा। रक्षा मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तानी हुक्मरानों को स्पष्ट संदेश दिया था कि वह अपनी जमीन पर आतंकवाद न पाले।
तालिबान के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा कि ‘अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के काम करने से उन्हें कोई ऐतराज नहीं हैं, लेकिन उनके देश यानी अफगानिस्तान की महिलाएं वैश्विक निकाय में काम नहीं कर सकेंगी। प्रवक्ता ने कहा कि ‘ अफगानिस्तान की महिलाओं के लिए ये फरमान हमारा आंतरिक मामला है।
अफगानिस्तान में राज कर रहे तालिबानियों ने अब महिलाओं पर नई पाबंदी लगा दी है। महिलाओं को अब हरे-भरे बगीचे या रेस्टोरेंट में जाने की अनुमति नहीं होगी।
पाकिस्तान अब तक जिस तालिबान को पालता आया था, अब वही उसके लिए काल बन गया है। लगातार पाकिस्तान में तालिबान आतंकी हमलों को अंजाम दे रहा है और लोगों की जान ले रहा है। पाकिस्तान की सरकार तालिबान के आगे बेबस हो चुकी है। एक बार फिर तालिबान के आतंकियों ने दो पाकिस्तानी सैनिकों को बम विस्फोट करके उड़ा दिया है।
तालिबान द्वारा महिलाओं की नौकरी पर प्रतिबंध लगाए जाने से संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय मिशन को भी करारा झटका लगा है। लाखों लोगों को जीवन रक्षक सहायता पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के मिशन को तालिबानियों के इस फैसले ने बड़ा नुकसान पहुंचाया है। इस मिशन में सैकड़ों अफगानी महिलाएं काम करती थीं।
रमजान का हवाला देकर तालिबानियों ने रेडियो की आवाज खामोश करवा दी। इस आदेश के पीछे तालिबान का आरोप है कि महिला रेडियो स्टेशन पवित्र रमजान माह के दौरान बजाया जा रहा था। हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार महिला रेडियो स्टेशन ने तालिबान के इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
तालिबान के सुप्रीम लीडर मुल्ला हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने अफगानिस्तान के बाहर शरिया कानून लागू करने का अपना खतरनाक मंसूबा जगजाहिर किया है। दरअसल तालिबान जबसे सत्ता में आया है। वह अपनी व्यवस्था चलाने का एक बेहतरीन ढांचा नहीं बना सकता है। तालिबान के नेताओं में आम सहमति नहीं है, जिसके कारण आए दिन उनके बीच मारपीट होती रहती है
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