इमरान खान ने कहा कि 40 वर्ष के संघर्ष के बाद, यह समावेशिता शांति और एक स्थिर अफगानिस्तान सुनिश्चित करेगी, जो न केवल अफगानिस्तान बल्कि क्षेत्र के भी हित में है।
पिछले हफ्ते भी रशीद ने कहा था कि दुनिया के लिए यह उम्मीद करना अनुचित होगा कि अफगानिस्तान 8 दिनों में कुछ स्कैंडिनेवियाई देशों की तरह समृद्ध हो जाएगा।
काबुल में महिला मामलों के मंत्रालय के बाहर उस वक्त एक नया घटनाक्रम दिखा, जब यह घोषणा की गई कि यह अब ‘उपदेश और मार्गदर्शन तथा सदगुण प्रचार एवं अवगुण रोकथाम मंत्रालय’ होगा।
अभी तक भारत को अफगान शांति वार्ता की बैठकों में आने का न्योता तक नहीं दिया जा रहा था। लेकिन अब अफगानिस्तान में हालात में बदलाव दिखाई देने लगे हैं।
पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान में हथियारों के दम पर सरकार बनाई गई है। ऐसे में अगर जल्द ही अफगानिस्तान में शांति बहाल नहीं की गई तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा।
अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा स्थापित नई सरकार के सामने वैसे तो कई समस्याएं है लेकिन भुखमरी के जो हालात वहाँ पैदा हुए है उसका सबसे ज्यादा नुकसान आम गरीब जनता को भुगतना पड़ रहा है
तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था, और पश्चिम समर्थित पिछले निर्वाचित नेतृत्व को सत्ता से बाहर कर दिया।
जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘चीन के विदेश मंत्री से दुशांबे में एससीओ की बैठक से इतर मुलाकात हुई। अपने सीमावर्ती क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर चर्चा की और यह रेखांकित किया कि शांति बहाली के लिए यह बेहद जरूरी है और यह द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का आधार है।’’
बता दें कि तालिबान ने बीते 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था।
इलाके के व्यवसायी समुदाय को रिझाने के लिए बनर्जी ने कहा कि वह देश की पहली नेता हैं जिन्होंने 2016 में नोटबंदी का विरोध किया था।
इस आदेश के खिलाफ सैकड़ों अफगानों ने सोमवार को प्रदर्शन किया और कहा कि उन्हें नहीं पता कि अब वे कहां जाएंगे और यह भी कहा कि उन्होंने यहां बसने के लिए वर्षों पहले पूर्व अफगान सैनिकों को पैसे दिए थे।
अफगानिस्तान पर मंडरा रहे बड़े मानवीय संकट को रोकने के लिए विश्व संगठनों ने मानवीय सहायता जुटाना शुरू कर दिया है। इस बीच तालिबान नेतृत्व ने कहा है कि देश में आने वाली सहायता आपूर्ति उन्हें सौंप दी जानी चाहिए, क्योंकि वे इन्हें गरीबों, जरूरतमंदों और योग्य लोगों को प्रदान करने की जिम्मेदारी लेंगे।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, पाकिस्तानी मदरसों से निकले अपने युवा रंगरूटों से कहता है, "जब आप आत्मघाती हमलावर के रूप में शहीद होंगे, तो शराब की नदी के अलावा 'जन्नत' (स्वर्ग) में बॉलीवुड अभिनेत्रियां आपका स्वागत करेंगी।
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के चलते अफगान सिखों को वहां से निकलना पड़ा और वह नहीं जानते कि क्या कभी वापस जा पाएंगे या नहीं।
रिपब्लिकन सांसदों ने अफगानिस्तान से अमेरकी सेना की वापसी की प्रक्रिया को तबाही और अपमान बताया। कुछ डेमोक्रेट्स सांसदों ने कहा कि यह अभियान बेहतर तरीके से चलाया जा सकता था जबकि कई अन्य ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना की।
क्या आप जानते है कि पाकिस्तान में एक ऐसा मदरसा है जहां से पढ़कर तालिबान के टॉप लीडर्स निकले हैं और यह खूखार तालिबानी नेता अब अफगानिस्तान में बनी नई सरकार के कैबिनेट में भी शामिल हैं...इस मदरसे का नाम है 'दारुल उलूम हक़्क़ानिया'.....
बगराम जेल से रिहा हुए आतंकियों में केरल के वे 14 युवक भी थे जो इराक जाकर इस्लामिक स्टेट में शामिल होना चाहते थे।
बगराम जेल अफगानिस्तान का वह जेल है जहां अमेरिका ने अल क़ायदा और ISIS के बड़े-बड़े आतंकियों को कैद कर रखा था। लेकिन तालिबान के सत्ता में आते ही ये सारे क़ैदी जेल से छूट गए। देखिए इंडिया टीवी पर बगराम जेल की एक्सक्लूसिव तस्वीरें।
जयशंकर ने कहा कि वैश्विक आम-सहमति बनाने के लिए देशों के छोटे-छोटे समूहों के बजाय एक बहुपक्षीय मंच हमेशा प्रभावशाली रहता है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा हालात में व्यापक बदलाव और इसके परिणाम स्वरूप मानवीय जरूरतों में भी परिवर्तन देखा गया है।
भारत अभी दुनिया के सबसे बड़े मुद्दे अफगानिस्तान पर चर्चा कर रहा है, तो वहीं आज बीजेपी के भूपेंद्र पटेल गुजरात के नए सीएम भी बना दिए गए। ऐसा कहा जा रहा है कि पीएम मोदी सितंबर में कई बड़े फैसले भी ले सकते हैं। आखिर क्या है पीएम मोदी का सितंबर प्लान? जानिए इस रिपोर्ट में।
संपादक की पसंद