अफगानिस्तान के हेरात शहर के मुख्य चौराहे पर तालिबान ने एक शव क्रेन से लटका दिया। एक चश्मदीद ने शनिवार को यह जानकारी दी। यह ऐसी है नृशंसता है जो तालिबान के अतीत के तौर तरीके की वापसी का संकेत देता है।
UN में एक बार फिर से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कश्मीर का राग अलापा है। जहां उन्होंने भारत को युद्ध की धमकी दी वहीं तालिबान की वकालत भी की।
आज सभी की निगाहें व्हाइट हाउस पर होंगी जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन से मुलाकात करने वाले हैं। क्या दोनों नेता पाकिस्तान और तालिबान में पनप रहे आतंकी समूहों के खिलाफ एक जॉइंट ऐक्शन प्लान को अंतिम रूप देंगे? देखें, 'कुरुक्षेत्र' में जोरदार बहस।
तालिबानियों ने काबुल विश्वविद्यालय के जिस नए कुलपति मोहम्मद अशरफ गैरत को चुना है, उसने एक बार पत्रकारों की हत्या का आह्वान किया था।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि बैठक में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए एक रचनात्मक पी-5 कार्रवाई के महत्व पर जोर दिया।
एक अलग हमले में वाहन को बम से निशाना बनाने पर एक अन्य बच्चे की मौत हो गई और तालिबान के 2 लड़ाके घायल हो गए।
पीसीबी अध्यक्ष रमीज राजा ने हाल ही में कहा कि न्यूजीलैंड के बाद इंग्लैंड के भी पाकिस्तान में खेलने से इनकार करने बाद भारत की तरह ये टीमें भी अब उसके निशाने पर आ गयी हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ज्यादातर SAARC सदस्यों ने अनौपचारिक मीटिंग में तालिबान के प्रतिनिधि को शामिल किए जाने के पाकिस्तान के निवेदन को कोई भाव नहीं दिया।
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को 15 सितंबर को मौजूदा अफगान राजदूत, गुलाम इसाकजई की ओर से यह प्रस्ताव मिला।
सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की आगामी 25 सितंबर को होने वाली बैठक रद्द कर दी गई है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान इस बात पर जोर दे रहा था कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन को आगामी सार्क विदेश मंत्रियों की बैठक में एक प्रतिनिधि भेजने की अनुमति दी जाए।
पश्तून तहफूज मूवमेंट के संस्थापक सदस्य इहतेशाम अफगान ने एक वीडियो ट्वीट किया है जिसे देखकर पाकिस्तानियों को झटका लगना तय है।
इस महीने की शुरुआत में मंत्रियों के चयन के दौरान भी मंत्रिमंडल में किसी महिला को शामिल नहीं किया गया था। इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आलोचना हुई थी।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन Arg में हुई बैठक में बरादर और खलील हक्कानी के समर्थकों में जमकर झड़प हुई। फर्नीचर और गर्म चाय से भरे फ्लासक एक-दूसरे पर फेंके गए। कुछ सूत्रों का तो ये भी कहना है कि गोलियों की आवाजें भी सुनाई दीं।
उप मंत्रियों की सूची से संकेत मिलता है कि तालिबान पर अंतरराष्ट्रीय आलोचना का कोई असर नहीं है और वे समावेशिता एवं महिलाओं के अधिकारों को कायम रखने के शुरुआती वादों के बावजूद अपने कट्टरवादी रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं।
15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान संकट को लेकर भारत और अमेरिका एक-दूसरे के संपर्क में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा था कि अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन समावेशी नहीं हुआ है।
पिछले शासन के मुकाबले उदारता दिखाने के तमाम वादों के बावजूद तालिबान ने आम जनता पर सख्ती दिखाना नहीं छोड़ा है।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के एक महीने बाद अफगानिस्तान में लड़कों के लिए माध्यमिक और उच्च विद्यालयों के साथ-साथ मदरसे फिर से खुल गए हैं।
पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ दल ने विपक्षी दलों के विधायकों को ‘‘खरीदने या डराने’’ के लिए अपना खजाना भरने के वास्ते आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को बढ़ाना शुरू कर दिया है।
अमेरिकी ग्रीन कार्ड धारक कैलिफोर्निया का एक जोड़ा अपने तीन छोटे बच्चों के साथ अफगानिस्तान की राजधानी में हर रात अलग-अलग घर में गुजारता है और दोनों वयस्क बारी-बारी से सोते हैं ताकि जब एक सो रहा हो तो दूसरा बच्चों पर नजर रखे और यदि तालिबान के लोगों के आने की आहट हो तो वहां से भाग सकें।
अहमदी ने कहा, हमारे लिए केवल खेद जताना काफी नहीं है बल्कि अमेरिका को उन लोगों का पता लगाना होगा जिन्होंने यह हमला किया।
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