ताइवन का सैन्य अभ्यास तूफान गेमी की वजह से प्रभावित हुआ है। तूफान की वजह से पूर्वी तट पर वायु सेना का अभ्यास रद्द कर दिया गया। लेकिन, नौसेना और सेना का अभ्यास जारी रहेगा।
चीन ने ताइवान के द्वीप के पास मिसाइल परीक्षण करके उसकी चिंताओं को बढ़ा दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि ताइवान पर कब्जे की प्लानिंग के तहत यह सब किया जा रहा है। इस रणनीतिक की आशंका को भांपकर ताइवान की सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं और इलाके में वायुसेना की तैनाती कर दी गई है।
चीन की तरफ से धमकी मिलने के बाद ताइवान सतर्क हो गया है। ताइवान ने अपने नागरिकों से कहा है कि वो हांगकांग और मकाऊ जैसी जगहों की यात्रा करने से बचें। जानें पूरा मामला क्या है और क्यों ताइवान इस तरह के कदम उठाने को मजबूर हुआ है।
ताइवान में एक निजी क्लब में अजीब तरह के डिनर का आयोजन किया गया। डिनर की कुछ तस्वीरें लीक होने के बाद हड़कंप मच गया। पुलिस ने अब मामले की जांच शुरू कर दी है।
चीन ने ताइवान के खिलाफ एक नई जंग छेड़ दी है। इससे ताइवान परेशान हो गया है। चीन के इस छद्म युद्ध से ताइवान का बच पाना बेहद मुश्किल हो गया है। बताया जा रहा है कि ताइवान को बर्बाद करने के लिए चीन उस पर साइबर हमले कर रहा है।
अमेरिका और चीन ने 5 वर्षों में पहली बार परमाणु वार्ता क्यों की। इस वार्ता के पीछे का असली मकसद क्या था? अमेरिका को क्यों लगता है कि चीन ताइवान पर परमाणु हमला कर सकता है। अमेरिकी अधिकारियों ने ताइवान जैसे छोटे देश से चीन के हारने की आशंका क्यों जाहिर की? इन सब सवालों का जवाब इस लेख में पढ़िये...
चीन और ताइवान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। इस बीच ताइवान की मदद के लिए अमेरिका आगे आया है। बाइडेन प्रशासन ने ताइवान को हथियार बेचने की मंजूरी दे दी है।
चीन की नौसेना का एक पूर्व कैप्टन स्पीडबोट लेकर ताइवान में घुस गया। घटना को लेकर ताइवान के रक्षा मंत्री ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने किसी साजिश से इनकार नहीं किया है।
बता दें कि चीन ताइवान को अपना अलग प्रांत मानता है और इस बात पर जोर देता है कि उसे मुख्य भूमि के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए, भले ही इसके लिये बल का इस्तेमाल क्यों न करना पड़े। ताइवान हालांकि खुद को चीन से पूरी तरह अलग मानता है।
ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग ते नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरी बार चुनावी जीत पर बधाई संदेश भेजा। मोदी ने भी उनका आभार जताया तो चीन बौखला गया। अब इस मामले पर अमेरिका ने भी प्रतिक्रिया दी है।
ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग ते ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरी बार चुनावी जीत पर बधाई संदेश भेजा तो पीएम मोदी ने भी उनका आभार जताया। मगर मोदी की इस प्रतिक्रिया से चीन की बौखलाहट बढ़ गई।
चीन एक बार फिर ताइवान को लेकर 'लाल' हो गया है। चीनी सेना ने कहा है कि ताइवान के मसले पर वह बाहरी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगी। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है।
ताइवान में सत्ता बदलते ही चीन का रुख आक्रामक हो गया है। हाल ही में चीनी सेना ने ताइवान को घेर कर शक्तिशाली सैन्य अभ्यास किया है। इसके बाद अब अमेरिका ताइवान की मदद को आगे आया है।
चीन और ताइवान के बीच फिर से तनाव चरम पर पहुंच गया है। चीन ने अपने युद्धक विमानों और जंगी जहाजों से युद्धाभ्यास कर ताइवान का घेराव कर दिया है। ऐसे में अमेरिका भी सतर्क हो गया है। अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन अब जल्द अपने चीनी समकक्ष से बात कर सकते हैं।
ताइवान के इर्द-गिर्द चीन ने युद्ध का अभ्यास किया। दो दिनों तक चला युद्धाभ्यास अब समाप्त हो चुका है। इस बाबत ताइवन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि एक समय में 62 लड़ाकू विमानों और 27 युद्धपोतों ने आकाश और समुद्र में हमले का अभ्यास किया।
चीन एक बार फिर ताइवान को लेकर 'लाल' हो गया है। चीन ने ताइवान के खिलाफ बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास शुरू किया है। इस बीच ताइवान ने चीन के युद्धक विमानों और नौसैन्य पोतों को डिटेक्ट किया है।
चीन ने एक बार फिर ताइवान को आंख दिखाई है। चीन ने ताइवान के खिलाफ बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास शुरू किया। ताइवान की ओर से चीन के इस कदम की निंदा की गई है।
चीन ने ताइवान का तनाव बढ़ाने के लिए उसके जलडमरूमध्य में दंड अभ्यास शुरू कर दिया है। इससे ताइवान में खलबली मच गई है। चीन ने यह अभ्यास ऐसे वक्त शुरू किया है। जब लाई चिंग-ते ताइवान के नए राष्ट्रपति बने हैं।
चीन ने ताइवान में सत्ता बदलते ही उस पर शिकंजा शुरू कर दिया है। पहले चीन ने ताइवान पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए नए राष्ट्रपति के शपथग्रहण से पहले उसके क्षेत्र में अपने लड़ाकू विमान और जंगी जहाज भेजने शुरू कर दिए और अब उसे हथियार सप्लाई करने वाली अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर बैन लगा दिया।
ताइवान को अब नया राष्ट्रपति मिल गया है। अब तक उपराष्ट्रपति रहे लाई चिंग ते ने ताइवान के नए राष्ट्रपति का पदभार संभाला है। लाई चिंग ते को चीन का प्रखर विरोधी माना जाता है। उन्होंने अपने पद और गोपनीयता की शपथ लेते ही चीन को कड़ा संदेश दिया है। ताइवान ने कहा है कि चीन उसे धमकियां देना बंद करे।
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