इससे पहले पिछले माह ऐसे 14 व्यक्तियों लोगों के बारे में सूचना साझा करने से पहले उनको नोटिस जारी किए गए थे।
स्विट्जरलैंड ने उसके बैंकों में खाता रखने वाले भारतीयों के संबंध में सूचनाएं साझा करने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। अकेले पिछले सप्ताह ही करीब एक दर्जन भारतीयों को इस संबंध में नोटिस दिया गया है।
सरकार ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को गलत बताया है जिनमें कहा गया था कि स्विस बैंक में भारतीयों के पैसे में बढ़ोतरी हुई है। मंगलवार को वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में बताया कि 2016 के मुकाबले 2017 में स्विस बैंक में भारतीयों के पैसों में 35 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि मीडिया रिपोर्ट्स में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी बताई गई थी।
यह लगातार तीसरा साल है जब स्विस बैंक ने ऐसे खातों की सूची जारी की है जो निष्क्रिय पड़े हुए हैं और इनके स्वामियों के बारे में कोई जानकारी बैंक के पास नहीं है।
स्विट्जरलैंड के बैंकों में अवैध काले धन के मुद्दे भारत में लगातार चल रही तीखी राजनीतिक बहस के बावजूद इन बैंकों में भारतीयों के सुषुप्त पड़े खातों की सूचना जारी किए जाने के तीन-तीन साल बाद भी उनका कोई दावेदार सामने नहीं आया है। स्विट्जरलैंड के बैंक लोक-प्रहरी ने पहली बार दिसंबर 2015 में कुछ सुषुप्त खातों की सूची जारी की थी। इनमें स्विट्जरलैंड के नागरिकों के साथ ही भारत के कुछ लोगों समेत बहुत से विदेशी नागरिकों के खाते हैं। उसके बाद समय-समय पर इस तरह के और भी खातों की सूचना जारी की जाती रही है जिन
स्विस बैंकों में किसी देश के नागरिक और कंपनियों द्वारा धन जमा कराने के मामले में 2017 में भारत 73वें स्थान पर पहुंच गया। इस सूची में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का स्थान भारत से एक ऊपर यानी 72 वां हो गया है।
केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने चेतावनी दी है कि स्विस बैंकों में अवैध रुप से धन जमा कराने वाले भारतीयों की पहचाना छुपाना अब मुश्किल होगा और ऐसे लोगों पर कालाधन रोधी कानून के तहत सख्त दंडात्मक कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि अगले साल जनवरी से वहां भारतीयों के खातों के बारे में तत्काल स्विट्जरलैंड से सूचनाओं का मिलना शुरु हो जाएगा।
अरुण जेटली ने स्विस बैंकों में काला धन रखने वालों को लेकर कहा कि जो दोषी पाया जाएगा, उसे काले धन के कानून के तहत सजा सुनाई जाएगी।
स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में उछाल की चर्चाओं के बीच सरकार ने आज कहा कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के समय में शुरू की गई उदारीकृत रेमिटेंस (धन बाहर भेजने की) योजना से संभवत: भारतीयों की जमा में इजाफा हुआ है।
2019 से भारत को स्विस बैंक में जमा धन के बारे में पूरी जानकारी मिलनी शुरू हो जाएगी। ऐसा भारत और स्विट्जरलैंड के बीच हुए स्वत: सूचना आदान-प्रदान करार के तहत होगा।
विदेशों में जमा भारतीयों के काले धन को लेकर जब भी बात उठती है तो सबसे पहले स्विस बैंक का नाम लिया जाता है, इस बार फिर से भारतीयों के पैसों को लेकर स्विस बैंक का नाम सामने आया है। स्विस नेशनल बैंक की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों को मुताबिक 2017 के दौरान बैंक में जमा होने वाले भारतीयों के पैसों में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है
ताजा आंकड़ों के मुताबिक स्विट्जरलैंड के बैंकों में रखे धन के मामले में भारत फिसलकर 88वें स्थान पर आ गया है। वहीं ब्रिटेन पहले पायदान पर बना हुआ है।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार कालाधन छुपाने में मदद करने वालों के खिलाफ और भी कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।
स्विट्जरलैंड के बैंकों ने भारत से कहा है कि उसे नई ऑटोमैटिक इंफॉर्मेशन एक्सचेंज व्यवस्था के तहत अपने सूचना की गोपनीयता कड़ाई से सुनिश्चिचत करनी होगी।
ब्लैक मनी रखने के लिए सबसे मुफीद माने जाने वाले स्विस बैंक में अब पैसा जमा करना आसान नहीं होगा। अब भारत को स्विस बैंकों में रखी पाईपाई का हिसाब मिल सकेगा।
विदेशों में जमा भारतीयों के कालेधन के खिलाफ अभियान को तेज करते हुए भारत ने स्विट्जरलैंड से कम से कम 10 लोगों और इकाइयों का बैंकिंग ब्योरा मांगा है।
स्विट्जरलैंड ने कहा है कि अगर कालेधन की सूचनाओं के आदान-प्रदान की प्रस्तावित व्यवस्था के तहत गोपनीयता की शर्त को भंग किया गया तो वह सूचनाएं देना रोक सकता है
भारत और स्विट्जरलैंड ने ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ इंफोर्मेशन के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। सितंबर 2019 से भारत को स्विस बैंक से जानकारी मिलने लगेगी।
स्विट्जरलैंड के बैंकों में अपने नागरिकों के जमा धन की लिस्ट में भारत खिसककर 75वें स्थान पर पहुंच गया है। इस लिस्ट में ब्रिटेन टॉप पर है।
स्विस बैंकों में भारतीयों का जमा धन 33 फीसदी घटकर रिकॉर्ड निचले स्तर 1.2 अरब फ्रैंक (तकरीबन 8,392 करोड़ रुपए) पर आ गया है।
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