स्विस बैंकों में कथित तौर पर जमा भारतीयों के कालेधन को लेकर वर्षों से देश में हंगामा होता रहा है। कई बार के राष्ट्रीय चुनावों में भी काला धन एक बड़ा मुद्दा रहा है। मगर मोदी सरकार के दौरान स्विस बैंकों में जमा होने वाले काले धन पर क्या एक्शन हुआ, ये रिपोर्ट आपको हैरान कर देगी।
मोदी सरकार टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों पर लगातार सख्ती बरत रही है। स्विस बैंक की ओर से खाताधारकों का डेटा मिलने से सरकार को कदम उठाने में आसानी होगी। इससे टैक्स चोर आसानी से पकड़ में आ जाएंगे। वहीं, देश के बाहर कालाधन भेजना आसान नहीं होगा।
लेहमन ने संस्थान की विफलताओं के लिए मंगलवार को शेयरधारकों से माफी मांगी और कहा कि इसके चलते पहुंचे आघात और उनके रोष को वह समझते हैं।
Swiss National Bank: इस बैंक के बारें में कौन नहीं जानता है। काला धन का केन्द्र कहा जाने वाला बैंक ना जाने कितने हजार करोड़ रुपये भारत का इन बैंको में जमा है। आपको पता है कि इन बैंको में कैसे पैसे जमा होते हैं।
Black Money in Swiss Bank:भारत में कालेधन का मुद्दा लंबे समय से छाया रहा है। कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान भाजपा ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। स्विस में जमा कालेधन को वापस लाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से लेकर योग गुरु बाबा रामदेव तक ने बड़ा आंदोलन किया था।
ये स्विस बैंक क्या है? क्या मैं भी इस बैंक में अपना खाता खुलवा सकता हूं? अगर हां, तो मुझे कितना पैसा रखना होगा? क्या मुझे यहां पैसे रखने के लिए बैंक को पैसे देने होंगे?
स्विस बैंक भारत को स्विट्जरलैंड के साथ स्वत: सूचना विनिमय समझौते के तहत अपने नागरिकों, कंपनियों के स्विस बैंक खाते के विवरण का तीसरा सेट मिला आज प्राप्त हुआ है।
स्विटरजरलैंड तीसरी बार भारत के साथ बैंक खातों का विवरण साझा करेगा। इससे पहले वह सितंबर 2019 और सितंबर 2020 में ऐसी ही जानकारी साझा कर चुका है।
भारतीय लोगों और कंपनियों का स्विस बैंकों में जमा धन 2020 में 13 साल के उच्चस्तर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक या 20,700 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
स्विस बैंकों में भारतीय ग्राहकों का फंड 2019 के अंत में 89.9 करोड स्विस फ्रैंक (6,625 करोड़ रुपये) था। यह 2020 में बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक (20,700 करोड़ रुपये) पर पहुंच गया।
भारतीय नागरिकों तथा कंपनियों (भारत में स्थित शाखाओं के जरिये जमा सहित) का स्विस बैंकों में जमा धन 2019 में 5.8 प्रतिशत घटकर 89.9 करोड़ स्विस फ्रैंक (6,625 करोड़ रुपए) रह गया।
लगातार दूसरे साल स्विस बैंक में भारतीयों का धन घटा
स्विस बैंकों में खाता रखने वाले भारतीयों की जांच के घेरे में एक शाही घराना भी आ चुका है।
स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों के करीब एक दर्जन निष्क्रिय खातों के लिए कोई दावेदार सामने नहीं आया है। ऐसे में यह आशंका बन रही है कि इन खातों में पड़े धन को स्विट्जरलैंड सरकार को स्थानांतरित किया जा सकता है।
भारत को एक नए स्वचालित सूचना विनिमय समझौते के तहत अपने नागरिकों के बैंक खाते के विवरण की पहली लिस्ट मिली है |
स्विट्जरलैंड के कर विभाग के अधिकारियों ने कहा कि सितंबर 2020 में भारत के साथ फिर वित्तीय खातों की सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाएगा।
बर्न में 24 सितंबर को स्विट्जरलैंड के संघीय राजपत्र में प्रकाशित नोटिस में मोटेक सॉफ्टवेयर को अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए एक व्यक्ति नामित करने के लिए कहा गया। इस व्यक्ति की जानकारी 10 दिन के भीतर देने होगी।
भारतीयों के स्विस बैंक खातों की जानकारी रविवार से भारत के कर-विभाग के पास होगी। भारत और स्विट्जरलैंड के बीच बैंकिंग सूचनाओं के स्वतः आदान-प्रदान के समझौते के प्रभावी होने के साथ भारतीयों के स्विस बैंक खातों पर से रहस्य का पर्दा उठने की संभावना है।
स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा रखे जाने वाले धन के मामले में भारत का स्थान एक पायदान नीचे फिसलकर 74वें स्थान पर आ गया है। जबकि ब्रिटेन अब भी शीर्ष स्थान पर बना हुआ है।
वार्षिक बैंकिंग आंकड़ों के मुताबिक 2018 में स्विस बैंकों में सभी विदेशियों द्वारा जमा धन में भी 4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और यह घटकर 1.4 लाख करोड़ स्विस फ्रैंक (लगभग 99 लाख करोड़ रुपए) पर आ गया है।
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