अगर इसको सही समय में पहचान कर ठीक ढंग से ट्रिटमेंट करा लिया जाएं, तो इससे हमेशा के लिए निजात पाया जा सकता है। जानिए इसे कैसे पहचाने और कैसे पाएं इससे निजात।
सरकार ने आज यह स्पष्ट किया कि धार्मिक संस्थानों द्वारा संचालित अन्न क्षेत्र में दिए जाने वाले मुफ्त भोजन को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।
सरकार ने चीनी के सस्ते आयात को रोकने के लिए चीनी के आयात शुल्क को 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
सरकार का कहना है कि GST की वजह से शुरुआती दिनों में कारोबारियों के सामने संभावित दिक्कतों का चीनी की आपूर्ति तथा उसकी कीमतों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।
अरुणाचल प्रदेश में एक ऐसा भी इलाका है, जहां के निवासियों को नमक और चीनी जैसी चीजों के लिए कई गुना दाम चुकाना पड़ रहा है।
कोयले पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाएगा, अभी इस पर 11.69 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है। चीनी, चाय, कॉफी, खाद्य तेल पर भी 5 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा।
खाद्य नियामक FSSAI के एक विशेषज्ञ पैनल ने बहुत अधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों और चीनी की अधिक मात्रा वाले पेय पदार्थों पर अतिरिक्त कर लगाने की सिफारिश की है।
सरकार ने खुले बाजार में चीनी की उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमत वृद्धि पर अंकुश लगाने के मकसद से इसकी भंडार सीमा छह महीने यानी अक्टूबर तक के लिए आज बढ़ा दी।
चीनी उत्पादन सितंबर में समाप्त होने वाले मार्केटिंग ईयर 2016-17 के पहले पांच महीने में 19% घटकर 1.62 करोड़ टन रहा। महाराष्ट्र और कर्नाटक के सूखे का असर।
चीनी मिलों द्वारा संभावित रूप से कम उत्पादन का अनुमान जताए जाने को लेकर केंद्र सरकार चिंतित है केन्द्र ने राज्यों से कहा उत्पादन के आंकड़ों को दोबारा जांचें
महंगाई पर अंकुश लगाने के इरादे से सरकार ने माप पद्धति नियमों में बदलाव किया है। असाधारण परिस्थितियों में वह आवश्यक जिंसों का रिटेल दाम तय कर सकेगी।
फुटकर और थोक उपभोक्ताओं की भारी मांग के चलते दिल्ली थोक बाजार में चीनी के भाव 50 रुपए क्विंटल की तेजी के साथ तीन साल के उच्चस्तर तक जा पहुंचे।
पासवान ने कहा कि खुदरा बाजार में चीनी की कीमत 40 रुपए प्रति किलो पहुंच गई है, हम नहीं चाहते कि कीमतें आगे और बढ़ें। इसलिए वायदा वायदा पर रोक लगाना चाहिए।
मंत्रिमंडलीय समिति की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) संभवत: आज 2015-16 के सीजन के दौरान चीनी मिलों को दी जाने वाली उत्पादन सब्सिडी की समीक्षा करेगी।
चीनी के दाम पर अंकुश लगाने के लिये मिलों के लिए भंडार सीमा तथा प्रत्येक मिल के मामले में कोटा नियत कर घरेलू बिक्री को नियंत्रित करने पर विचार कर रही है।
सरकार ने कहा कि चीनी मिलों ने गन्ना किसानों के 48,675 करोड़ रुपए के बकाए का भुगतान कर दिया है, जो कुल बकाये का 92 फीसदी है।
भारत ने पिछले वर्ष अक्टूबर से शुरू हुए मार्केटिंग सीजन 2015-16 में अभी तक 16 लाख टन चीनी का निर्यात किया है। पिछले साल के मुकाबले यह से 46 फीसदी अधिक है।
खाद्य मंत्रालय ने चीनी के निर्यात पर 25 फीसदी शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है, ताकि घरेलू बाजार में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
देश में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया चालू चीनी सत्र में घटकर 6,225 करोड़ रुपए रह गया है।
सरकार ने कहा कि चीनी के दाम मौजूदा स्तर से अधिक बढ़ते हैं तो वह चीनी के आयात शुल्क में कटौती और निर्यात पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदमों पर विचार कर सकती है।
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