पाकिस्तान ने बीते 8 महीने में 33 लाख टन गेहूं का आयात किया है, जिसका बिल 91 करोड़ डॉलर है। खास बात ये ही कि बीते साल की इसी अवधि में गेहूं का कोई आयात नहीं किया गया था। वहीं चीनी के आयात में बीते साल के मुकाबले 6000 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त रही है।
उद्योग संगठनों से मिली जानकारी के अनुसार, 39 लाख टन निर्यात के जो सौदे हुए हैं उसमें से 18.5 लाख टन चीनी मिलों के गोदामों से उठ चुकी है और 12.5 लाख टन देश के बाहर भी जा चुकी है। भारत ने इंडोनेशिया, श्रीलंका, अफगानिस्तान, न्यूजीलैंड, यूएई के अलावा अफ्रीका के कई देशों को चीनी निर्यात किया है।
चीनी वर्ष 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में उत्पादन 2.74 करोड़ टन था। हालांकि नए अनुमान के मुताबिक अब देश में 3.02 करोड़ टन चीनी का उत्पादन होगा। देश में सालाना चीनी की खपत 2.6 करोड़ टन है।
आंकड़ों के मुताबिक 28 फरवरी 2021 तक देश की 502 चीनी मिलों ने कुल मिलाकर 233.77 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। जबकि पिछले साल की इसी अवधि में कुल मिलाकर 194.82 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
लॉजिस्टिक्स की दिक्कतों और ईरान को निर्यात किए जाने की संभावना कम होने से देश का चीनी निर्यात चालू चीनी विपणन वर्ष 2020-21 में 24 प्रतिशत घटकर 43 लाख टन रह सकता है।
इस्मा के मुताबिक 31 जनवरी 2021 तक देश में 491 चीनी मिलों ने 176.83 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था जबकि पिछले साल की इसी अवधि तक 447 चीनी मिलों ने 141.04 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था।
गन्ने की अधिक उपलब्धता की वजह से विपणन वर्ष 2020-21 में कुल चीनी उत्पादन 13 प्रतिशत बढ़कर 310 लाख टन होने का अनुमान जताया है। पिछले वर्ष 274.2 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
महाराष्ट्र में 179 चीनी मिलों ने 31 दिसंबर 2020 तक 39.86 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। पिछले साल इसी अवधि तक 135 चीनी मिलों ने 16.5 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। वहीं उत्तर प्रदेश में 2020 के अंत तक 120 चीनी मिलों ने 33.66 लाख टन चीनी का उत्पादन किया। जो कि करीब पिछले स्तरों पर ही है।
चीनी मिलों को मार्केटिंग लागत के लिए 1600 रुपये प्रति टन की मदद दी जाएगी । इसके साथ ही चीनी के ट्रांसपोर्ट के लिए 2400 रुपये प्रति टन और भारत के बंदरगाहों से चीनी के शिपमेंट के लिए 2000 रुपये प्रति टन की मदद दी जाएगी।
उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन पहले के 11.46 लाख टन से बढ़कर 12.65 लाख टन हो गया। महाराष्ट्र में, चीनी उत्पादन 15.72 लाख टन रहा, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 1.38 लाख टन था।
कुल चीनी उत्पादन में, देश के अग्रणी चीनी उत्पादक राज्य -उत्तर प्रदेश में मिलों ने 15 नवंबर तक 3.85 लाख टन चीनी का उत्पादन किया वहीं देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में मिलों ने चालू सत्र में अब तक 5.65 लाख टन चीनी का उत्पादन किया
उद्योग संगठन का अनुमान है कि चालू सीजन 2020-21 में देशभर में चीनी का उत्पादन 311 लाख टन हो सकता है, जबकि ओपनिंग स्टॉक 107.18 लाख टन है। इस प्रकार सीजन के दौरान चीनी की कुल उपलब्धता 418.18 लाख टन रहने का अनुमान है जबकि घरेलू खपत 260 लाख टन हो सकता है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चीनी मिलों ने चीनी वर्ष 2019- 20 के लिये तय किये गये 60 लाख टन चीनी निर्यात के अनिवार्य कोटा के समक्ष अब तक 57 लाख टन चीनी का निर्यात किया है।
इस्मा ने एक बयान में कहा कि विश्व में प्रति व्यक्ति चीनी की खपत लगभग 22.5 किलो है, लेकिन भारत में केवल लगभग 19 किलोग्राम चीनी की खपत होती है। वहीं भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सर्वेक्षण के मुताबिक भारत के महानगरों में एक व्यक्ति रोजाना 19.5 ग्राम चीनी का सेवन करता है जो आईसीएमआर द्वारा अनुशंसित मात्रा 30 ग्राम से कम है।
भारत ने चालू शुगर सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी का रिकॉर्ड निर्यात किया है, लेकिन गन्ना किसानों का बकाया अभी भी मिलों पर 15,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है
भारत ने चालू शुगर सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में करीब 56 लाख टन चीनी का निर्यात किया है, जोकि अब तक के निर्यात का रिकॉर्ड स्तर है और उद्योग को 60 लाख टन निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने की उम्मीद थी।
होटल, रेस्टोरेंट बंद होने से चालू सत्र में चीनी की औद्योगिक मांग 8-9 प्रतिशत कम रहने का अनुमान
अब तक भारत रिकॉर्ड 52 लाख टन के निर्यात सौदे कर चुका है
चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया करीब 20,000 करोड़ रुपये
लॉकडाउन में ढील के बाद चीनी की मांग सामान्य होने के संकेत
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