देश में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया चालू चीनी सत्र में घटकर 6,225 करोड़ रुपए रह गया है।
देश भर में गन्ना किसानों का पिछले दो सीजन के दौरान मिलों पर गन्ने का बकाया 10,000 करोड़ रुपए रहा है। इसमें सबसे अधिक बकाया उत्तर प्रदेश की मिलों पर है।
सरकार ने कहा कि चीनी के दाम मौजूदा स्तर से अधिक बढ़ते हैं तो वह चीनी के आयात शुल्क में कटौती और निर्यात पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदमों पर विचार कर सकती है।
सरकार ने मिलों द्वारा पेराई किए गए गन्ने पर 4.50 रुपए प्रति क्विंटल की उत्पादन सब्सिडी को वापस लेने का फैसला किया है।
चालू फसल वर्ष में चीनी उत्पादन 2.51 करोड़ टन रह जाने का अनुमान है। उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में उत्पादन में अनुमानित गिरावट इसकी मुख्य वजह बताई गई है।
भारत का चीनी उत्पादन कम गन्ना उत्पादन के कारण अक्टूबर से शुरु होने वाले अगले विपणन वर्ष में चार फीसदी घटकर करीब 2.4 करोड़ टन रह जाने की संभावना है।
चीनी की बढ़ती कीमतों पर अंकुश रखने के लिए सरकार ने व्यापारियों के लिए चीनी की अधिकतम स्टॉक सीमा तय कर दी है।
सरकार चीनी के 32 लाख टन के अनिवार्य निर्यात आदेश को वापस ले सकती है। साथ ही चीनी कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए आयात शुल्क भी कम कर सकती है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने मौजूदा विपणन सीजन देश के चीनी उत्पाद अनुमान को लगभग 10 लाख टन घटाकर 2.5 करोड़ टन कर दिया है।
केंद्र ने चीनी का खुदरा भाव 40 रुपए प्रति किलो के स्तर पर पहुंचने के साथ राज्य सरकारों को जमाखोरी रोकने तथा बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने के लिये कहा है।
सरकार ने अक्टूबर, 2016 से शुरू हो रहे अगले सीजन के लिए मिलों द्वारा गन्ना किसानों को दिए जाने वाला मूल्य 230 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर बरकरार रखा है।
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