अरुणाचल प्रदेश में एक ऐसा भी इलाका है, जहां के निवासियों को नमक और चीनी जैसी चीजों के लिए कई गुना दाम चुकाना पड़ रहा है।
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) आज गन्ना के उचित एवं लाभदायक मूल्य (FRP) में 25 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी को मंजूरी दे सकती है।
कोयले पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाएगा, अभी इस पर 11.69 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है। चीनी, चाय, कॉफी, खाद्य तेल पर भी 5 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा।
अधिक चिकनाई, चीनी और नमक वाली खाने पीने की चीजें बनाने वालों पर खाद्य नियामक की एक समिति की पैनी निगाह है। टैक्स लगाने और विज्ञापन बंद करने की वकालत की है।
खाद्य नियामक FSSAI के एक विशेषज्ञ पैनल ने बहुत अधिक प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों और चीनी की अधिक मात्रा वाले पेय पदार्थों पर अतिरिक्त कर लगाने की सिफारिश की है।
सरकार ने खुले बाजार में चीनी की उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमत वृद्धि पर अंकुश लगाने के मकसद से इसकी भंडार सीमा छह महीने यानी अक्टूबर तक के लिए आज बढ़ा दी।
चीनी उत्पादन में कमी आने की संभावनाओं के बीच इसकी घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने 5 लाख टन कच्ची चीनी के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी है।
उत्तर प्रदेश की नई सरकार के सामने समक्ष बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार और गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान प्रमुख चुनौती होगी।
इस्मा ने पूरे वर्ष के लिए 2.03 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है जो कि पिछले साल के मुकाबले 19 फीसदी कम है। पिछले साल 2.51 करोड़ टन चीनी पैदा हुआ था।
चीनी उत्पादन सितंबर में समाप्त होने वाले मार्केटिंग ईयर 2016-17 के पहले पांच महीने में 19% घटकर 1.62 करोड़ टन रहा। महाराष्ट्र और कर्नाटक के सूखे का असर।
चीनी मिलों द्वारा संभावित रूप से कम उत्पादन का अनुमान जताए जाने को लेकर केंद्र सरकार चिंतित है केन्द्र ने राज्यों से कहा उत्पादन के आंकड़ों को दोबारा जांचें
महंगाई पर अंकुश लगाने के इरादे से सरकार ने माप पद्धति नियमों में बदलाव किया है। असाधारण परिस्थितियों में वह आवश्यक जिंसों का रिटेल दाम तय कर सकेगी।
फुटकर और थोक उपभोक्ताओं की भारी मांग के चलते दिल्ली थोक बाजार में चीनी के भाव 50 रुपए क्विंटल की तेजी के साथ तीन साल के उच्चस्तर तक जा पहुंचे।
पासवान ने कहा कि खुदरा बाजार में चीनी की कीमत 40 रुपए प्रति किलो पहुंच गई है, हम नहीं चाहते कि कीमतें आगे और बढ़ें। इसलिए वायदा वायदा पर रोक लगाना चाहिए।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने मौजूदा 2015-16 सत्र में चीनी मिलों के लिए उत्पादन सब्सिडी की गणना के नए फार्मूले को मंजूरी दे दी।
मंत्रिमंडलीय समिति की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) संभवत: आज 2015-16 के सीजन के दौरान चीनी मिलों को दी जाने वाली उत्पादन सब्सिडी की समीक्षा करेगी।
चीनी के दाम पर अंकुश लगाने के लिये मिलों के लिए भंडार सीमा तथा प्रत्येक मिल के मामले में कोटा नियत कर घरेलू बिक्री को नियंत्रित करने पर विचार कर रही है।
सरकार ने कहा कि चीनी मिलों ने गन्ना किसानों के 48,675 करोड़ रुपए के बकाए का भुगतान कर दिया है, जो कुल बकाये का 92 फीसदी है।
भारत ने पिछले वर्ष अक्टूबर से शुरू हुए मार्केटिंग सीजन 2015-16 में अभी तक 16 लाख टन चीनी का निर्यात किया है। पिछले साल के मुकाबले यह से 46 फीसदी अधिक है।
खाद्य मंत्रालय ने चीनी के निर्यात पर 25 फीसदी शुल्क लगाने का प्रस्ताव किया है, ताकि घरेलू बाजार में पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
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