देश में चीनी उत्पादन पिछले साल के मुकाबले लगभग 54 प्रतिशत पिछड़ गया है।
इस सत्र में महाराष्ट्र में चीनी मिलों ने अब तक गन्ने की पेराई शुरू नहीं की है। इसकी वजह से चीनी उत्पादन में गिरावट आई है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को घोषणा की कि मिलों को गन्ने के शीरे से अतिरिक्त इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए पर्यावरणीय मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि यह प्रदूषणकारी नहीं है।
जुलाई में इस्मा ने अपने प्रारंभिक अनुमान में 2019-20 चीनी वर्ष के लिए 282 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान जारी किया था।
चीनी मिलों में गन्ने की पेराई और चीनी का उत्पादन नए पेराई सत्र 2019-20 में आरंभ होने में थोड़ा विलंब हुआ, लेकिन देशभर की 28 चीनी मिलें अब चालू हो गई हैं और अब तक 14.50 लाख टन गन्ने की पेराई से कुल 1.25 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक में गांवों की फसल खराब होने के कारण एक अक्टूबर से शुरू हो रहे शुगर सीजन 2019-20 में देशभर में चीनी के उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 20 फीसदी की गिरावट रहने का अनुमान है।
चीनी का उत्पादन व विपणन सीजन एक अक्टूबर से आरंभ होकर 30 सितंबर तक चलता है।
अब तक कुल मिलाकर करीब 27 लाख टन चीनी निर्यात अनुबंध किया जा चुका है, जिसमें से 21.7 लाख टन चीनी मिलों से भेजी जा चुकी है।
इसकी वजह महाराष्ट्र और कर्नाटक की चीनी मिलों का जल्द परिचालन शुरू करना है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा, बुधवार को गन्ना किसानों के उत्पादन सहायता को दोगुना से अधिक करने तथा चीनी का निर्यात करने वाली मिलों को परिवहन सब्सिडी देने के लिए कुल मिला कर 4,500 करोड़ रुपये के पैकेज पर विचार किए जाने की संभावना है।
चीनी की कम कीमतों की वजह से घाटे की मार झेल रहे देश के चीनी उद्योग की मदद के लिए सरकार आगे आई है, सरकार ने चीनी उद्योग की मदद के लिए 8000 करोड़ रुपए के राहत पैकेज को मंजूरी दे दी है, सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बुधवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में राहत पैकेज को मंजूरी दी गई है। इस पैकेज की मदद से चीनी उद्योग को गन्ना किसानों का कर्ज चुकाने में मदद मिलेगी जिससे गन्ना किसानों को लाभ पहुंचेगा।
चीनी की कम कीमत की मार से घाटे की मार झेल रही उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों की अगले सीजन में पेराई नहीं करने की धमकी के बाद सोमवार को दिल्ली में चीनी की कीमतों में जोरदार उछाल आया है। थोक बाजार में चीनी कीमतों में 100 रुपये प्रति क्विन्टल की तेजी आई। चीनी मिल डिलीवरी एम-30 और एस-30 की कीमतें 100 - 100 रुपये की तेजी के साथ कारोबार के अंत में क्रमश: 3,050 - 3,220 रुपये और 3,040 - 3,210 रुपये प्रति क्विन्टल हो गई।
15 दिसंबर तक देशभर की चीनी मिलों ने कुल 69.40 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है जबकि पिछले साल इस दौरान देश में 53.46 लाख टन चीनी पैदा हो पायी थी
चीनी उत्पादन में कमी आने की संभावनाओं के बीच इसकी घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने 5 लाख टन कच्ची चीनी के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी है।
इस्मा ने पूरे वर्ष के लिए 2.03 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है जो कि पिछले साल के मुकाबले 19 फीसदी कम है। पिछले साल 2.51 करोड़ टन चीनी पैदा हुआ था।
चीनी उत्पादन सितंबर में समाप्त होने वाले मार्केटिंग ईयर 2016-17 के पहले पांच महीने में 19% घटकर 1.62 करोड़ टन रहा। महाराष्ट्र और कर्नाटक के सूखे का असर।
चीनी मिलों द्वारा संभावित रूप से कम उत्पादन का अनुमान जताए जाने को लेकर केंद्र सरकार चिंतित है केन्द्र ने राज्यों से कहा उत्पादन के आंकड़ों को दोबारा जांचें
भारत ने पिछले वर्ष अक्टूबर से शुरू हुए मार्केटिंग सीजन 2015-16 में अभी तक 16 लाख टन चीनी का निर्यात किया है। पिछले साल के मुकाबले यह से 46 फीसदी अधिक है।
देश में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया चालू चीनी सत्र में घटकर 6,225 करोड़ रुपए रह गया है।
चालू फसल वर्ष में चीनी उत्पादन 2.51 करोड़ टन रह जाने का अनुमान है। उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में उत्पादन में अनुमानित गिरावट इसकी मुख्य वजह बताई गई है।
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