चीनी सत्र 2023-24 में चीनी उत्पादन 3.2 करोड़ टन होने का अनुमान है, जो पिछले सत्र के 3.28 करोड़ टन से कम है, लेकिन 2.7 करोड़ टन की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
न्यूनतम बिक्री मूल्य वर्ष 2019 से 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर अपरिवर्तित रखा गया है, जबकि सरकार ने हर साल गन्ना उत्पादकों को दिए जाने वाले उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में वृद्धि की है।
ताजा आंकड़ों को जारी करते हुए, नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ (एनएफसीएसएफ) ने कहा कि चालू सत्र में दिसंबर, 2023 तक कुल 511 कारखानों ने 1,223 लाख टन गन्ने की पेराई की है। शीर्ष तीन चीनी उत्पादक राज्यों में से महाराष्ट्र और कर्नाटक में उत्पादन इस चीनी सत्र की अक्टूबर-दिसंबर अवधि के दौरान कम रहा।
भारत दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक देशों में से एक है। नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफएल) के अनुसार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम उत्पादन के कारण देश का कुल चीनी उत्पादन कम हो गया है।
कृषि डेटा और विश्लेषण फर्म ग्रो इंटेलिजेंस की वरिष्ठ शोध विश्लेषक केली गौगरी ने कहा कि चीनी की वैश्विक आपूर्ति मार्च तक राहत नहीं मिल पाएगी। यानी दाम मार्च के बाद ही कम होंगे।
पाकिस्तान में चीनी के डीलर्स ने गैर-कानूनी तरीके से चीनी की कालाबाजारी शुरू कर दी है। इससे कीमतों में तेजी से उछाल आया है।
चीनी मिलों की नकदी स्थिति में सुधार के लिए चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य मौजूदा 31 रुपये से बढ़ाकर 34.5-35 रुपये प्रति किलोग्राम किया जाना चाहिए।
यूपी की योगी सरकार का दावा है कि पिछले 4 साल में 45.44 लाख से अधिक गन्ना किसानों को राज्य सरकार ने 130,000 करोड़ रुपय को भुगतान किया है।
पाकिस्तानियों को चीनी खाने के लिए भारतीयों की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है।
गन्ना और चीनी उद्योग पर नीति अयोग द्वारा गठित एक टास्क फोर्स ने दो रुपए प्रति किलो की एकमुश्त वृद्धि की सिफारिश की है।
चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का पिछले दो चीनी सत्रों का 2,400 करोड़ रुपए का बकाया है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
देश में चीनी उत्पादन पिछले साल के मुकाबले लगभग 54 प्रतिशत पिछड़ गया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा, बुधवार को गन्ना किसानों के उत्पादन सहायता को दोगुना से अधिक करने तथा चीनी का निर्यात करने वाली मिलों को परिवहन सब्सिडी देने के लिए कुल मिला कर 4,500 करोड़ रुपये के पैकेज पर विचार किए जाने की संभावना है।
किसानों का गन्ना बकाया 22,000 करोड़ रुपये से अधिक हो जाने से चिंतित सरकार नकदी की तंगी से जूझ रही चीनी मिलों के लिये 7,000 करोड़ रुपये से अधिक का राहत पैकेज घोषित कर सकती है ताकि किसानों का भुगतान जल्द से जल्द किया जा सके। सूत्रों ने बताया कि कल इस संबंध में आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक में कोई निर्णय लिये जाने की संभावना है।
चीनी की कम कीमत की मार से घाटे की मार झेल रही उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों की अगले सीजन में पेराई नहीं करने की धमकी के बाद सोमवार को दिल्ली में चीनी की कीमतों में जोरदार उछाल आया है। थोक बाजार में चीनी कीमतों में 100 रुपये प्रति क्विन्टल की तेजी आई। चीनी मिल डिलीवरी एम-30 और एस-30 की कीमतें 100 - 100 रुपये की तेजी के साथ कारोबार के अंत में क्रमश: 3,050 - 3,220 रुपये और 3,040 - 3,210 रुपये प्रति क्विन्टल हो गई।
देश में इस साल चीनी उत्पादन के सारे रिकॉर्ड टूटने जा रहे हैं, चीनी मिलों के संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक चालू चीनी वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान कुल चीनी उत्पादन 315-320 लाख टन रह सकता है।
सरकार ने गन्ना किसानों को 55 रुपए प्रति टन की दर से भुगतान करने का फैसला किया है। किसानों को इस सब्सिडी का भुगतान चीनी मिलों को बेचे गए गन्ने पर किया जाएगा। बुधवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ है।
ISMA का कहना है कि चीनी का एक्स मिल भाव घटकर 3000 रुपए प्रति क्विंटल तक आ गया है जो उसके उत्पादन की लागत से 500-600 रुपए प्रति क्विंटल कम है, यानि हर एक किलो चीनी पर मिलों को 5-6 रुपए का घाटा हो रहा है
चीनी उद्योग के आंकड़ों को देखें तो इस साल देश में चीनी उत्पादन 295 लाख टन तक पहुंच सकता है जो अबतक का सबसे अधिक उत्पादन होगा, ज्यादा उत्पादन की वजह से निर्यात को मंजूरी दी गई है
फरवरी अंत तक देश में 230.5 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जो चीनी वर्ष 2016-17 में फरवरी अंत तक हुए उत्पादन से 67.88 लाख टन ज्यादा है
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