जो टाइटैनिक 1912 में डूब गया था, उसका मलबा अटलांटिक महासागर में पड़ा हुआ है। इसे देखने के लिए पर्यटकों को ले जा रही एक सबमरीन लापता हो गई है। इसे ढूंढने के काफी प्रयास किए जा रहे हैं।
भारतीय नौसेना अपनी ताकत में लगातार इजाफा कर रही है। नौसेना ने स्वदेशी टॉरपीडो विकसित कर समुद्र में पानी के भीतर लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदकर चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों के खेमे में खलबली मचा दी है। भारतीय सेना की ताकत में इजाफा होते देख दुश्मन हैरान हैं।
भारत के रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। जर्मनी की ओर से, पिस्टोरियस के साथ रक्षा मंत्रालय के अधिकारी बेनेडिक्ट जिमर के अलावा कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे। भारत-जर्मनी रक्षा साझेदारी को अब नई दिशा मिलेगी।
बांग्लादेश में यह पनडुब्बी स्टेशन चीन की मदद से बनाया गया है तो ऐसे में यह संभव है कि आने वाले समय में इस सबमरीन स्टेशन पर चीन भी अपनी पनडुब्बियों 'डॉक' कर सकता है।
ऑस्ट्रेलिया अमेरिका से 5 परमाणु पनडुब्बियां खरीदने जा रहा है। बताया जा रहा है कि ये परमाणु पनडुब्बियां वर्जिनिया क्लास की हैं। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली ये किलर पनडुब्बियां साल 2030 तक ऑस्ट्रेलिया की नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाएंगी।
Indian Navy gets INS Vagir Attack Submarine: महज दो वर्षों के अंतराल में मोदी सरकार ने भारतीय नौसेना के बेड़े में तीसरी अटैक सबमरीन की सौगात दी है। आज 20 दिसंबर को परियोजना की पांचवीं पनडुब्बी - 75, कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी, यार्ड 11879 भारतीय नौसेना को सौंप दी गई।
China JL-3 Submarine: चीनी सेना को छह जिन-क्लास सबमरीन मिली हैं, जिससे उसकी ताकत काफी बढ़ गई है। इस सबमरीन से मिसाइलें दागी जा सकती हैं। इसकी रेंज 10 हजार किमी तक बताई गई है।
Russia Nuclear Submarine: नाटो की तरफ से जारी किया गया एक नोट इटली की मीडिया के बीच हाल में लीक हो गया था। जिसके बाद ये हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। पोसीडॉन एक ड्रोन है, जो पानी के भीतर ही कई किलोमीटर की यात्रा कर सकता है।
Russian Submarine: नाटो देश पनडुब्बी की लाइव लोकेशन को लेकर बेचैन हैं। उन्हें इस बात का डर है कि पनडुब्बी समुद्री सीमा में घुसपैठ कर सकती है। और यहां आकर रेकी करने के अपने काम को अंजाम दे सकती है। इससे इन देशों को अपनी सुरक्षा को लेकर खतरा बढ़ गया है।
Indian Navy: जर्मनी की टाइप 212CD पनडुब्बी को भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 75I में शामिल करने को लेकर प्लानिग की जा रही है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, यह जर्मन पनडुब्बी परियोजना की दौड़ में सबसे पहले पायदान पर है।
टॉरपीडो डिस्पोजेबल परमाणु रिएक्टर से टकराने से पहले 200 घंटे तक 30 समुद्री मील (56 किमी / घंटा या 35 मील प्रति घंटे) से अधिक की गति से चल सकता है। इसके अलावा दुश्मन पर हमला करने से पहले यह खुद ही पानी में अपना परमाणु रिएक्टर छोड़ेगा और फिर उसपर वारहेड से निशाना लगाएगा।
रूसी सैन्य वाहनों और पनडुब्बियों पर बना ये जिगजैग का निशान अंग्रेजी के Z अल्फाबेट के जैसा है। सबसे बड़ी बात ये है कि रूसी भाषा की वर्णमाला में कोई Z ही नहीं है।
पनडुब्बी में जिस टॉरपीडो को रखा जाएगा, वह भी दुनिया के सबसे बड़े टॉरपीडो हैं। जब पनडुब्बी को तैनात किया जाएगा, तब यह Poseidon परमाणु क्षमता से लैस टॉरपीडो को लॉन्च कर सकेगी।
किसी दुश्मन देश के पानी में युद्धपोत या फिर लड़ाकू विमान पर हमला करना काफी मुश्किल होता है। लेकिन चीन अब हफ्तेभर के भीतर ही प्रशांत महासागर में टॉरपीडो की पूरी सेना के साथ हमले कर सकता है।
रूस के उत्तरी बेड़े ने एक बयान में कहा कि उसकी कई परमाणु पनडुब्बियां अभ्यास में शामिल रहीं, जिसका मकसद इन्हें विपरीत परिस्थितियों में सैन्य साजोसामान को लाने-जाने के लिए प्रशिक्षित करना है।
इस पनडुब्बी के सेवा में शामिल होने से नौसेना की युद्धक क्षमता में बढ़ोतरी होगी। ‘प्रोजेक्ट 75’ में स्कॉर्पीन डिजाइन की छह पनडुब्बियों का निर्माण शामिल है। इनमें से तीन पनडुब्बियों - कलवरी, खंडेरी, करंज - को पहले ही सेवा में शामिल किया जा चुका है।
उत्तर कोरिया की सरकारी समाचार एजेंसी-कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने बताया कि ताजा परीक्षण देश की रक्षा प्रौद्योगिकी को उच्च स्तर पर रखने और नौसेना की पानी के भीतर अभियान क्षमता के विस्तार में बड़ा योगदान देगा।
दक्षिण चीन सागर में तैनात अमेरिकी नौसेना की एक पनडुब्बी हादसे का शिकार हो गई। निगरानी के लिए तैनात इस पनडुब्बी की टक्कर किसी वस्तु से हुई जिससे सबमरीन में सवार कई नौसैनिक घायल हो गए।
फ्रांस का कहना है कि उसे इस समझौते के बारे में पहले कुछ नहीं बताया गया। ऑस्ट्रेलिया द्वारा फ्रांस के साथ पनडुब्बी सौदे को अचानक रद्द किए जाने के विरोध में पेरिस ने वाशिंगटन और ऑस्ट्रेलिया से शुक्रवार को अपने राजदूतों को वापस बुला लिया था।
चीन की तेजी से बढ़ती नौसैन्य क्षमताओं के मद्देनजर रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए लगभग 43,000 करोड़ रुपये की लागत से छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दे दी। खास बात यह है कि इन सभी पनडुब्बियों का निर्माण देश में होगा।
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