गुमनामी बाबा के निधन के बाद जब उनके घर से जो चीजें बरामद की गईं उससे यह साफ जाहिर होता था कि वह कोई साधारण बाबा नहीं थे।
नेताजी ने देश की आजादी के लिए विश्वभर का भ्रमण किया और ब्रिटेन के विरोधी देशों का साथ पाने के लिए उन्होंने अथक प्रयास किए। इसी बीच जर्मनी में वह ऑस्ट्रियन मूल की महिला एमिली शेंकल से मिले और दोनों ने सन् 1942 में बाड गास्टिन में हिन्दू पद्धति से विवाह रचा लिया। उनकी एक बेटी अनीता बोस है। अनीता की उम्र 80 साल है और वे ऑस्ट्रियन अर्थशास्त्री हैं।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जीवन पर महात्मा गांधी के विचारों का भी प्रभाव था, भले ही आजादी की जंग में गांधीजी से उनके मतभेद रहे हों, लेकिन बोस ने ही गांधीजी सबसे पहले राष्ट्रपिता की उपाधि दी थी। 1938 और 1939 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस कांग्रेस अध्यक्ष भी बने। हालांकि, 1939 में महात्मा गांधी और कांग्रेस आलाकमान के साथ मतभेदों के बाद उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया औऱ पार्टी से अलग हो गए।
देश की आजादी के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अथक प्रयास किए। उन्होंने ब्रिटेन के विरोधी देशों को जो विश्वयुद्ध में ब्रिटेन के विरोध में लड़ रहे थे, उन्हें साधने की कोशिश की, ताकि वे अपनी ऐसी फौज बना सकें, जिससे वे अंग्रेजों से लड़ सकें। इसके लिए वे जर्मनी गए और हिटलर से मिले, जापान भी गए। उन्हें यहां से सहयोग भी मिला।
देश भारतमाता के वीर सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है। उनके जन्मदिन को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पराक्रम दिवस के रूप में मना रही है। अब गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत उनके जन्मदिन से प्रारंभ होगी। जानिए नेताजी कैसे राजनीति में आए, क्यों आईसीएस की परीक्षा से त्यागपत्र दे डाला और भी बहुत कुछ।
सुभाष चंद्र बोस का प्रसिद्ध नारा, 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' आज भी लोगों के तन-मन में देशभक्ति का जज्बा और जोश भर देता है। आज देशभर में नेताजी की 126वीं जयंती मनाई जा रही हैं। पढ़ें और कुछ चुनिंदा विचार।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा इंडिया गेट पर लगाई जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एक ट्वीट में यह ऐलान किया। पीएम ने अपने ट्वीट संदेश में कहा कि ऐसे वक्त में पूरा देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाने जा रहा है, मैं यह बताते हुए बेहद खुश हूं कि ग्रेनाइट से बनी उनकी एक भव्य प्रतिमा इंडिया गेट पर लगाई जाएगी। यह नेताजी के प्रति भारत की कृतज्ञता का प्रतीक होगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया और कहा कि पूरा देश नेताजी के पराक्रम और अविरल संघर्ष के लिए हमेशा उनका ऋणी रहेगा।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के माध्यम से भाजपा पश्चिम बंगाल की जनता की भावनाओं से जुड़ने की कवायद में जुटी है। जयंती वर्ष के तहत पूरे साल तक कार्यक्रमों का सिलसिला चलेगा।
देश के स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज के जनक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को अब से पूरा देश पराक्रम दिवस के रूप में मनाएगा।
पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश इकाई में बड़ा फेरबदल किया है। आधे दर्जन से अधिक पार्टी नेताओं को हटाते हुए नए नेताओं को प्रदेश उपाध्यक्ष, महामंत्री और सेक्रेटरी बनाया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने सोमवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा प्रथम ध्वजारोहण की 76वीं वर्षगांठ के अवसर पर पोर्ट ब्लेयर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में ध्वजारोहण किया।
कांग्रेस के त्रिपुरा अधिवेशन के बाद नेताजी ने 1939 में कांग्रेस को जनता की स्वतंत्र होने की इच्छा, लोकतंत्र और क्रांति का प्रतीक बनाने के लिए कांग्रेस के भीतर ही फॉरवर्ड ब्लाक की स्थापना की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को नेताजी की 122वीं जयंती पर लाल किले में सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय का उद्घाटन करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंडमान और निकोबार के तीन द्वीपों के नाम बदलने की रविवार को घोषणा की। नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा यहां तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ पर यह घोषणा की गई।
आज 21 अक्टूबर को देश आजाद हिंद फौज की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर राष्ट्रध्वज फहराया।
दशकों से यह गहरा रहस्य बना रहा कि इस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महान नायकों में से शामिल बोस की मौत कैसे और कब हुई...
स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा यहां एक पार्क में गुरुवार को विखंडित अवस्था में पाई गई। पुलिस ने यह जानकारी दी।
कर्नल शौकत अली मलिक ने पहली बार भारतीय जमीन में भारत का झंडा फहराया था। कर्नल मलिक आजाद हिंद फौज के सैनिक थे। 1947 को दूसरी बार झंडा फहराया गया था। कांग्रेस ने इतिहास में जबरदस्ती ये तथ्य छुपाए थे। चंद्र बोस ने अंडमान-निकोबार द्वीप का नाम बदलकर शहीद
पेरिस के इतिहासकार जे बी पी मोरे ने 11 दिसंबर 1947 की एक फ़्रेंच सीक्रेट सर्विस रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि नेताजी की मौत हवाई दुर्घटना में नहीं हुई थी, बल्कि वे 1947 तक जिंदा थे। पेरिस में पढ़ाने वाले मोरे कहते हैं, 'कागजातों में भी नहीं लिखा है कि
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