साल 2021 pm मोदी ने ऐलान किया की, 23 जनवरी को हर साल पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाएगा, जब साहस को सलामी दी जाएगी। लेकिन इस ख़ास दिन के लिए 23 जनवरी को ही क्यों चुना गया ? क्यों इस दिन को ही पराक्रम दिवस मानाने का फैसला किया गया। चलिए हम आपको बताते हैं।
देश को आजादी दिलाने के लिए सुभाष चंद्र बोस को नेता जी क्यों कहते हैं और किसने उन्हें नेताजी कहा था। क्या आपने कभी सोचा है इस बारे में। अगर आपके ये बात नहीं पता है तो इस खबर को पूरा पढ़े आपको जवाब मिल जाएगा।
23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र की जयंती होती है और इस मौके पर आज नेताजी की तमाम पुरानी तस्वीरें और किस्से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज जंयती है। आज ही के दिन बाला साहब ठाकरे का भी जन्मदिन है। पीएम मोदी ने आज इन दोनों की महान हस्तियों को उनके जन्मदिन पर याद किया। साथ ही उन्होंने दोनों की नेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की।
देश में आज नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 127वीं जयंती मनाई जा रही है। उनके जन्मदिन को आज पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस मौके पर आज हम आपको सुभाष चंद्र बोस की एजुकेशनल क्वालिफिकेशन के बारे में बताएंगे।
23 जनवरी की तारीख को देश स्वतंत्रता वीर सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती मना रहा है। साल 2021 से उनकी जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से पीएम मोदी ने जो पांच संकल्प लिए थे उनमें एक संकल्प यह भी था कि गुलामी के प्रतीकों को और गुलामी की मानसिकता को खत्म करना है।
अमेरिका और चीन भी खुद को वैभवशाली कहते हैं, लेकिन हमें ऐसे वैभवशाली भारत का निर्माण करना है जो संपूर्ण दुनिया में सुख शांति ला सके।
नेताजी की 126वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नामकरण परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर किए जाने के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि आज केवल लोकप्रियता हासिल करने के लिए कुछ लोग द्वीपों का नाम शहीद और स्वराज रखे जाने का दावा कर रहे हैं।
ममता बनर्जी ने केंद्र पर महान स्वतंत्रता सेनानी द्वारा परिकल्पित योजना आयोग को खत्म करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने द्वीपों का नाम शाहिद और स्वराज द्वीप रखा था, जब उन्होंने 1943 में द्वीपसमूह का दौरा किया था लेकिन अब इसका नाम बदला जा रहा है।
कई लोगों का मानना है कि गुमनामी बाबा वास्तव में नेताजी (बोस) थे जो नैमिषारण्य, बस्ती, अयोध्या और फैजाबाद में कई स्थानों पर साधु के वेश में रहते थे। वह जगह बदलते रहे, ज्यादातर शहर के भीतर ही।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़े कई अहम दस्तावेज जिन्हें लंबे समय से सार्वजनिक नहीं किया गया था, ऐसे 300 दस्तावेज हमने जनता को समर्पित किए हैं। ग्रेटर नोएडा में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए यह बात कही।
Subhash Chandra Bose Statue: इंडिया गेट के कर्तव्यपथ पर लगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा आजादी के दीवानों की वीरगाथा को बयां करने के लिए काफी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर इसे इंडिया गेट पर स्थापित करवाया गया।
Netaji Subhash Chandra Bose: नेताजी की बेटी अनीता बोस फाक ने कहा कि वह चाहती हैं कि ताइपे में हुई विमान दुर्घटना में बोस की मौत के बाद से अब तक जापान के रेनकोजी टेंपल में रखे उनके अवशेषों को उचित सम्मान के साथ वापस लाया जाए।
Subhas Chandra Bose: कई इतिहासकारों का मानना है कि नेताजी की मौत 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में प्लेन क्रैश में हुई थी। विमान में बम धमाका हुआ था। नेताजी के निधन के वक्त कई जापानी लोग भी उनके साथ थे। इस मामले में 1956 में जापान में एक विस्तृत रिपोर्ट आई थी।
Bose Hologram at India Gate: सुभाष चंद्र बोस का 28 फीट लंबा 3डी 'होलोग्राम' बुधवार को नदारद दिखा। इसे लेकर टीएमसी नेताओं ने धरना-प्रदर्शन दिया। दरअसल, पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय राजधानी में तेज हवा चलने के कारण होलोग्राम प्रक्षेपण को बंद किया गया है।
देशभर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125वीं जयंती पराक्रम दिवस के रूप में मनाई हा रही है। इस मौके पर बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने एक कार्यक्रम में केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि केंद्र को बंगाल से इतनी एलर्जी क्यों हैं, केंद्र ने गणतंत्र दिवस पर बंगाल की झांकी को खरिज कर दिया और नेताजी सुभाषचंद्र बोस का स्टेच्यू दिल्ली में बना रहे हैं क्योंकि हमने दबाव डाला था।
एक कार्यक्रम के दौरान टीएमसी और बीजेपी समर्थकों के बीच हाथापाई हो गई। इस दौरान दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच जमकर धक्का-मुक्की और लाठियां चलाई गईं।
23 जनवरी, 2022 को उनकी 125वीं जयंती है, आइए हम नेताजी के ऊपर बनी फिल्मों और वेब सीरीज के जरिए उनके स्वतंत्रता संग्राम को याद करें और अपने दिलों में देशभक्ति की भावना को प्रज्वलित करें।
राष्ट्र आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है। इस अवसर पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और देश के अन्य मंत्रियों व गणमान्यजनों ने उन्हें श्रद्धाजलि दी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्विवटर पर अपने शुभकामना संदेश में कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर भारत कृतज्ञतापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
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