पराली जलाने के मुद्दे पर मीडिया से बात करते हुए हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि पराली को बेचा जाना चाहिए, इसे जलाने का कोई कारण नहीं है।
दिल्ली में अब ठण्ड का अहसास होने लगा है। इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों में होने वाले भयानक प्रदूषण के खतरे भी बढ़ने लगे हैं। इसी बीच पंजाब के कई हिस्सों में किसानों ने पराली जलना शुरू कर दिया है, जिससे कहा जा रहा है कि जल्द ही दिल्ली-एनसीआर धुंध की चादर में लिपट जायेगा।
कृषि और किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि अगर यह प्रक्रिया सफल रही तो इस मॉडल को प्रदेश के अन्य जिलों में भी लागू करवाया जाएगा ताकि पराली जलाने की घटनाओं को रोका जा सके।
पंजाब में पराली जलाने के मामलों में कमी नहीं आ रही है। यहां एक दिन में पराली जलाने के करीब 2500 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले बठिंडा से सामने आए हैं, जहां 358 घटनाएं दर्ज की गईं हैं।
पराली राज्य सरकार के लिए मुसीबत बन गई है। इसको रोकने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है। मामले में कई अफसरों को निलंबित तक होना पड़ा है, बावजूद इसके मामला रुकने का नाम नहीं ले रहा।
डॉक्टरों के मुताबिक पराली जलाने की वजह से एनवायरमेंट में कार्बन के कण बढ़ जाते हैं। जिससे पर्यावरण में ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
Delhi's pollution & stubble burning solution:भीषण वायु प्रदूषण से दम घोटती दिल्ली, सांसों पर पहरा लगाती दिल्ली, प्रदूषण के खौफ में जीने को मजबूर करती दिल्ली और लोगों की उम्र को प्रदूषण से घटाती दिल्ली का समाधान मिल गया है। अब दिल्ली दम नहीं घोटेगी...अब दिल्ली आपकी सांसों पर पहरा नहीं लगाएगी।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पंजाब की भगवंत मान सरकार पर पराली प्रबंधन में नाकाम रहने का आरोप लगाया है। खट्टर ने कहा है कि खुद तो पंजाब के सीएम कुछ नहीं कर रहे, उल्टे किसानों को भड़का रहे हैं और केंद्र पर झूठे आरोप लगा रहे हैं।
पंजाब में पराली जलाने के चलते दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के आरोपों के बीच केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने आंकड़े जारी कर आप की सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली को गैस चैंबर किसने बनाया है, इस पर कोई शक नहीं है।
पंजाब के 7 जिलों मोहाली, मोगा, गुरदासपुर, बठिंडा, फिरोजपुर, जालंधर और तरनतारन में पराली जलाने की घटनाएं सबसे ज्यादा हो रही हैं।
दिल्ली का 24 घंटे का AQI मंगलवार शाम 4 बजे 424 था, जो पिछले साल 26 दिसंबर के बाद सबसे खराब था, जब यह 459 था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, 2 जनवरी (एक्यूआई 404) के बाद इस साल दिल्ली में यह दूसरा 'गंभीर' वायु गुणवत्ता दिवस है।
पराली की समस्या से निपटने के लिए पूसा इंस्टीट्यूट ने एक बड़ी पहल की है। पूसा इंस्टीट्यूट ने एक बायो डिकंपोज पाउडर तैयार किया है। इस पाउडर को पानी में घोलकर खेतों में डालकर पराली को नष्ट किया जा सकता है। करीब 500 ग्राम पाउडर के पैकेट को 200 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर में फैले पराली को नष्ट किया जा सकता है।
पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी के साथ ही दिल्ली की हवा में खतरनाक जहर घुलता जा रहा है। हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि दिल्ली के अधिकांश इलाकों में AQI 400 से ज्यादा दर्ज किया गया है। यही हाल नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम का भी है।
किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए पंजाब सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान के बावजूद, किसान अगली फसलों के लिए अपने खेतों को साफ करने की खातिर पराली जलाते हैं।
दिल्ली सरकार शुक्रवार को कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में 51,000 दीये जलाकर 'दीये जलाओ, पटाखे नहीं' अभियान शुरू करेगी।
Stubble Burning: बीजेपी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने दावा किया कि साल 2022 में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। यह मामले 14 अक्टूबर से बढ़ते ही जा रहे हैं।
पंजाब में इस साल पराली जलाने की घटनाएं पिछले 2 साल के मुकाबले कम रही हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों में हुई वृद्धि ने चिंता बढ़ा दी है।
Delhi Air Pollution: दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने लगा है जिसकी वजह है पराली। दिल्ली के आसपास के राज्यों में पराली जलाने का सिलसिला शुरू हो गया है और हालत ये हो गए हैं कि दिवाली से पहले ही दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है।
Stubble burning problem: पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पराली जलाने की समस्या का दीर्घकालिक समाधान नहीं है और इस समस्या से पूरी तरह छुटकारा पाने में अभी चार से पांच साल का समय लगेगा।
हर साल सर्दियों के मौसम की शुरुआत हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने से होती है और मौसम संबंधी परिस्थितियां उस प्रदूषण को दिल्ली की ओर ले जाती हैं। स्थिति तब और खराब हो जाती है जब ठंड/कोहरे की स्थिति प्रदूषकों के ठहराव में सहायक होती है।
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