दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत का दम घोंट रहे पराली के धुंए को लेकर हरियाणा सरकार एक्शन में आ गई है। खेतों में पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ हरियाणा के सिरसा में बड़ा एक्शन हुआ है।
धान की कटाई के बाद बचे डंढल और पत्तियों आदि से बायोगैस बनाने वाला देश का पहला संयंत्र हरियाणा के करनाल जिले में लगाया जा रहा है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फसल काटने के बाद उसके अपशिष्ट (पराली) को खेतों में जलाने वाले किसानों को चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे किसान सरकार से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रह जाएंगे।
सरकार का कहना है कि पराली के डिस्पोज़ल के लिए मशीनें लगाई गई हैं लेकिन किसान इसके लिए तैयार नहीं है। कुछ जगहों पर विशेष तरह के उपकरण लगाकर पराली जलाने वाली जगहों की पहचान की जा रही है।
कृषि मंत्रालय के राष्ट्रीय जैविक केन्द्र ने वेस्ट डी. कम्पोजर बनाया है। अगर 200 लीटर पानी में दो किलो गुड़ घोलकर उसमें वेस्ट डी. कम्पोजर मिलाकर खेत की सिंचाई कर दी जाए तो 15 दिन के अंदर पराली गलकर खाद बन जाएगी।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में गाजियाबाद में प्रदूषण का बेहद गंभीर स्तर दर्ज किया गया जबकि फरीदाबाद, गुड़गांव, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब दर्ज की गई।
दिल्ली में शनिवार को कुल प्रदूषण का 32 प्रतिशत प्रदूषण पराली जलाए जाने की वजह से हुआ।
राष्ट्रीय राजधानी में हवा की रफ्तार में गिरने के साथ वायु गुणवत्ता शनिवार को खराब हो गई। अधिकारियों ने दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक में और गिरावट का अनुमान जताया है।
किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है अन्यथा एक बार फिर पिछले साल जैसी स्थिति हो जाएगी जब जाड़े की शुरुआत में ही धुएं के गुबार ने पूरी दिल्ली को ढंक लिया था।
पराली जलाने पर अड़े पंजाब, हरियाणा के किसान, दिल्ली-एनसीआर तक आ सकता है धुआं | किसानों के पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में बढ़ सकती है धुंध |
Stubble burning continues in Punjab and part of Ghaziabad
The high increase in PM levels in Delhi is not just due to local reasons, people & govt of Delhi are ready to take all steps but these steps will not be enough until solution to crop burning is found,
Heavy smog covers Delhi, air quality results 'very poor'
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