स्टील सेक्टर की प्रमुख कंपनी एस्सार स्टील ने देश में तेजी से बढ़ते डिफेंस मैन्युफैक्चिंग सेक्टर का लाभ उठाने की तैयारी कर ली है।
बुनियादी ढांचा की वृद्धि जनवरी में 3.4% रही जो पांच महीने का न्यूनतम स्तर है। रिफाइनरी उत्पादों, उर्वरक और सीमेंट के उत्पादन में गिरावट से वृद्धि दर घटी है।
देश के कोर इंडस्ट्री की वृद्धि दर दिसंबर में बढ़कर 5.6 प्रतिशत हो गई। रिफाइनरी उत्पादों तथा इस्पात क्षेत्र की मजबूत वृद्धि से उद्योगों का उत्पादन बढ़ा है।
भारत के 100 अरब डॉलर वाले स्टील उद्योग के लिए अगस्त का महीना सुधार वाला रहा। इस दौरान उसके आयात में कमी आई जबकि निर्यात और खपत में वृद्धि देखी गई।
भारत में स्टील की खपत जुलाई में लगातार दूसरे महीने घटी और जून के मुकाबले यह सात फीसदी से अधिक घटकर 63 लाख टन रही।
केन्द्रीय इस्पात मंत्री ने कहा कि देश में दुनिया का सबसे बेहतरीन गुणवत्ता का स्टील तैयार करने के लिए इस्पात मंत्रालय द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गई है।
देश में बुनियादी ढांचा पर खर्च बढ़ रहा है और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) 205 परियोजनाओं का क्रियान्वयन कर रहा है।
सरकार ने चीन और यूरोपीय संघ से इस्पात की चादरों की डंपिंग की जांच शुरू की है। इस जांच का मकसद सस्ते आयात से घरेलू उद्योग की रक्षा करना है।
सरकार और अर्थव्यवस्था के लिए यह खबर झटका देने वाली है। मई में आठ बुनियादी कोर सेक्टर की वृद्धि दर घटकर 2.8 फीसदी रही है। पिछले साल यह दर 4.4 फीसदी थी।
सड़क, रेलवे, बिजली तथा आवास जैसे बुनियादी ढांचे पर सरकार के व्यय से भारत अगले 10 साल में वैश्विक स्तर पर इस्पात खपत के मामले में शीर्ष देशों में शामिल होगा।
केंद्रीय इस्पात एवं खान राज्यमंत्री विष्णु देव साई ने कहा कि सरकार का स्टील उत्पादन बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने का लक्ष्य है।
कम से कम छह प्रमुख उद्योग ने ओडि़शा से अपनी परियोजनाओं को वापस ले लिया है जबकि दक्षिण कोरिया की इस्पात कंपनी पोस्को ने अपनी योजना को रोका हुआ है।
स्टील और कोयला जैसे सेक्टरों को कोयला ब्लॉक का आवंटन ऑक्शन के जरिये किया जाएगा। ऐसा इसलिए होगा ताकि आवंटन में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
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