6GHz स्पेक्ट्रम के डिलाइसेंसिंग को लेकर सरकार ने नया नियम ड्राफ्ट कर लिया है। इस नए ड्राफ्ट किए गए नियम पर स्टेकहोल्डर्स से 15 जून तक कमेंट करने के लिए कहा गया है। इसके बाद इस नए फ्रेमवर्क को लागू कर दिया जाएगा।
ट्राई ने सिफारिश की है कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम 5 साल के लिए अलॉट किया जाए, जिसे बाद में 2 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।
इस समय दुनिया के 84 देशों में 6GHz Wi-Fi बैंड का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, भारत में 2.4GHz और 5GHz वाले वाई-फाई बैंड का इस्तेमाल किया जा रहा है। टेक कंपनियों ने कई बार सरकार से नए स्पेक्ट्रम बैंड के लिए गुहार लगाई है।
कंपनी के मुताबिक, साल 2024 तक, समूह का बैंकों से बकाया ऋण 2,345 रुपये है। समूह की कुल बकाया राशि 2.27 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम मुफ्त नहीं दिया जाएगा और टेलीकॉम रेगुलेटर (ट्राई) इसके लिए कीमत तय करेगा।
रिलायंस जियो ने स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए सबसे अधिक 3,000 करोड़ रुपये की बयाना राशि जमा की है। इस आधार पर कंपनी अधिकतम रेडियो तरंगों के लिए बोली लगा सकती है।
दूरसंचार विभाग ने पश्चिम बंगाल सर्किल में 900 मेगाहर्ट्ज बैंड में नीलामी के लिए ब्लॉक की संख्या भी घटाकर 44 कर दी है। पहले यह संख्या 48 बताई गई थी।
5G spectrum auction: देश में 5जी स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए नीलामी प्रक्रिया लगातार दूसरे दिन बुधवार को भी जारी है जिसमें पांचवें दौर की बोलियां लगाई गई हैं।
टेलीकॉम विनिर्माण के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन के तहत अभी तक 35 विनिर्माता इसके लिए आवेदन कर चुके हैं और वे अब अपने संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं।
सरकार ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए हाल में घोषित राहत पैकेज के तहत बकाये के भुगतान को लेकर चार साल के लिए मोहलत का विकल्प दिया है।
मंत्रिमंडल ने दूरसंचार क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी है।
एयरटेल ने कहा कि उसे प्रस्तावित ट्रांसफर के लिए जियो की ओर से 1004.08 करोड़ रुपये का भुगतान प्राप्त हुआ है। इसके अलावा, जियो स्पेक्ट्रम से संबंधित भविष्य की 469.3 करोड़ रुपये की देनदारियों का भी भुगतान करेगा।
इससे कंपनी राजमार्गों एवं रेल मार्गों पर बेहतर कवरेज दे पाएंगी और साथ ही गांवों में ज्यादा उपयोगकर्ताओं को कंपनी से जोड़ने में मदद मिलेगी
जियो के अनुसार नए स्पेक्ट्रम के जुड़ने के साथ ही रिलायंस जियो का बुनियादी ढांचा और नेटवर्क क्षमता और बेहतर होगी।
अरबपति मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो ने सबसे ज्यादा नीलामी लगाई थी।
टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि इस नई खरीदारी के चलते भविष्य में 5जी सेवाएं उपलब्ध कराने में सफलता मिलेगी।
इससे भारत में कंपनी अपने ग्राहकों को सबसे बेहतर मोबाइल ब्रॉडबैंड का अनुभव कराने में सफल होगी।
देश में पांच साल में स्पेक्ट्रम की पहली नीलामी के प्रथम दिन सोमवार को 77,146 करोड़ रुपये की बोलियां आईं। रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने बोलियां लगायीं।
निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए 13,475 करोड़ रुपये की शुरुआती राशि (ईएमडी) जमा कराई है।
यह नीलामी 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज बैंड में की जाएगी। इन सभी बैंड की संयुक्त बेस कीमत 3.92 लाख रुपये है।
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