कई महीनों से अंतरिक्ष में फंसे 4 एस्ट्रोनाट्स धरती पर आज सकुशल वापस लौट आए हैं। मगर भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अभी तक धरती पर नहीं लौट सकी हैं। वह 8 महीने से अंतरिक्ष में ही फंसी हैं।
बोइंग का स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट बगैर सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर के धरती पर लौट आया है। ऐसे में अब सवाल ये उठने लगे हैं कि आखिर दोनों वैज्ञानिकों की वापसी कैसे होगी। चलिए बताते हैं नासा की आगे की योजना क्या है।
स्टारलाइनर यानी बोइंग का अंतरिक्ष विमान जिसे बीते दिनों स्पेस में भेजा गया था, वह वापस धरती पर लौट आया है लेकिन सुनीता विलियम्स और अन्य वैज्ञानिकों के बगैर। आखिर इसके पीछे क्या कारण है चलिए बताते हैं।
सुनीता विलियम्स के अंतरिक्ष से जल्द वापस लौटने की संभावना है। उनके जल्द वापसी को लेकर नासा नई तारीख जारी कर सकता है। बता दें कि सुनीता विलियम्स 6 जून से ही अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर मौजूद हैं।
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में फंस गई हैं। वो कब और कैसे धरती पर लौटेंगी, ये अभी तय नहीं है। आखिर कैसे वह अंतरिक्ष में फंस गईं और स्पेसक्राफ्ट में कैसे खराबी आ गई है। जानें पूरी डिटेल्स-
चीन में एक रॉकेट लॉन्च किया गया तो उसके कुछ देर बाद ही उसका एक हिस्सा जमीन पर आकर गिर गया। रॉकेट का हिस्सा नीचे गिरता देख लोग जान बचाकर भागते हुए दिखाई दिए। मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने अपने नाम एक और उपलब्धि हासिल की है। विलियम्स एक अन्य सहकर्मी के साथ तीसरी बार अंतरिक्ष के लिए रवाना हुई हैं।
अमेरिका अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने आखिरी वक्त में अंतरिक्ष की उड़ान को रद्द कर दिया है। स्टारलाइनर कैप्सूल में दोनों अंतरिक्ष यात्री सवार हो चुके थे और स्पेसक्रॉफ्ट की उलटी गिनती शुरू हो चुकी थी, लेकिन आखिरी 40 सेकेंड में कंप्यूटर में आई तकनीकी खामी के कारण इसे रद कर दिया गया।
भारत और अमेरिका को टक्कर देने के लिए चीन ने चंद्रमा के ऐसे सुदूर क्षेत्र में अपने अंतरिक्ष यान की लैंडिंग कराई है, जहां पहुंचना बेहद मुश्किल होता है। मगर चीन ने सफलतापूर्व अपने इस मिशन को अंजाम दिया है। चीन का अंतरिक्ष यान चंद्रमा से वहां के नमूने लेकर पृथ्वी पर लौटेगा, जो चीन को 2030 तक मानव मिशन को पूरा करेगा।
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स एक बार फिर से स्पेस में जाने को तैयार हैं। इससे पहले सुनीता साल 2006 और 2012 में दो बार अंतरिक्ष में जा चुकी हैं।
अमेरिका ने क्रांतिकारी रूप से अंतरिक्ष पर्यटन की शुरुआत कर दी है। यानि भविष्य में आप भी अब अंतरिक्ष की सैर कर सकेंगे। अमेरिका का अंतरिक्ष यान जल्द ही 6 यात्रियों के साथ अंतरिक्ष की सैर करने जा रहा है। भारत की ओर से गोपी थोटाकुरा पहले अंतरिक्ष पर्यटक होंगे। वह पेशे से उद्यमी और पायलट हैं।
भारत के बाद अमेरिका ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रख दिया है। अमेरिका की प्राइवेट कंपनी इंटुएटिव मशीन्स ने अपने स्पेसक्राफ्ट को चांद की सतह पर उतार दिया है।
जापान के स्पेसक्राफ्ट कागुया ने चांद की सतह से एक वीडियो रिकॉर्ड किया है जो कि सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में चांद की सतह से पृथ्वी अस्त होते हुए दिख रही है।
अमेरिकी सेना का एक अंतरिक्ष यान गुप्त मिशन के लिए रवाना किया गया है। यह करीब 2 वर्षों तक अपने मिशन को अंजाम देगा। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इसके मिशन को बेहद गुप्त रखा है। यह अमेरिकी सेना का एक्स-37 बी विमान है, जो इससे पहले 6 अन्य मिशन को अंजाम दे चुका है।
एलन मस्क की स्पेसएक्स स्टारशिप ने शनिवार को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की उड़ान भरी। थोड़ी ही देर बाद उसका रॉकेट फ्लाइट से संपर्क टूट गया है। जानें अपडेट-
नासा के स्पेसक्रॉफ्ट को बड़ी सफलता हाथ लगी है। अंतरिक्ष में लाखों किलोमीटर दूर से स्टेरॉइड का नमूना लेकर अमेरिकी स्पेसक्रॉफ्ट धरती पर लौट रहा है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने इसकी दुर्लभ तस्वीर ली है। 24 सितंब को इसके पृथ्वी पर पहुंचने की संभावना है। इससे जीवन के बड़े राज खुल सकते हैं।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने आखिरकार दो हफ्ते बाद अपने खोए हुए स्पेसक्राफ्ट वोयाजर-2 से दोबारा संपर्क साथ लिया। गलत कमांड के चलते दो हफ्ते पहले इस स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूट गया था।
स्पेसक्राफ्ट में मिशन के कमांडर जिंग हैपेंग हैं, जो रिकॉर्ड चौथी बार अंतरिक्ष में जाने वाले पहले चीनी अंतरिक्ष यात्री बनकर इतिहास रचने जा रहे हैं।
जापान की एक कंपनी का अंतरिक्ष यान बुधवार को चंद्रमा पर उतरने की कोशिश के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे के कारण यान से संपर्क टूट गया और उड़ान नियंत्रक यह पता लगाने की कोशिशों में जुटे हैं कि आखिर वहां हुआ क्या।
NASA Moon Mission: नासा अपने मून मिशन के एक कदम और करीब पहुंच गया है। उसका ओरियन कैप्सूल चंद्रमा तक पहुंचा है। 50 साल पहले नासा के अपोलो कार्यक्रम के बाद से यह पहली बार है, जब कोई कैप्सूल चंद्रमा तक गया है।
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