जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप हमें यूनिवर्स के कोने-कोने तक का सफर कर रहा है। उन जगहों का भी, जो इससे पहले हमने कभी नहीं देखी हैं। आपको बता दें ये तस्वीरें क्लिक होने के बाद आपको सीधे नहीं दिखाई जाती हैं।
यहां चट्टानों के सैंपल लेने के बाद नील और बज अपने अंतरिक्षयान की तरफ बढ़ गए थे। उन्हें अगले एक घंटे में वापस धरती के लिए रवाना होना था। जब नील को अपने अंतरिक्षयान की तरफ जाना था, तभी उन्हें एक और काम याद आया।
जब आप चंद्रमा को देखते हैं, तो आप वास्तव में उसे वैसे ही देखते हैं जैसा वह 1.3 सेकेंड पहले था। यह समय में केवल एक छोटी सी झलक है, लेकिन यह अब भी अतीत है।
यूरेनस का केवल एक हिस्सा सूर्य की ओर रहता है। यह सूर्य से अधिक दूर नहीं है, फिर भी यह एक ठंडा ग्रह है। हालांकि 1986 में मानव निर्मित मशीन वोयागर-2 अंतरिक्ष यान इसके करीब से गुजरा था।
ये अध्ययन एस्ट्रोफिजिकल जरनल में प्रकाशित किया गया है। हमारी गैलेक्सी में ब्लैक होल के केंद्र में सितारों की बड़ी आबादी है। सितारों की अधिकतरा को क्लस्टर कहा जाता है। वहीं इस क्लस्टर का नाम क्लस्टर-एस रखा गया है।
अनुसंधान ने स्पेस में भी युवाओं के लिए करियर के रास्ते खुल गए हैं।
इसरो के सफल रॉकेट लॉन्चिंग की तस्वीरें आप टीवी या इंटरनेट पर देखते रहे होंगे। लेकिन अब आप क्रिकेट स्टेडियम की तरह बैठ कर इसरो के रॉकेट की लॉन्चिंग को देख सकेंगे।
भारत से फ्यूस्टल का एक बेहद ही खास रिश्ता है। वह नासा के एक स्पेस मिशन का हिस्सा थे और स्पेस में 197 दिन बिताने के बाद 5 अक्टूबर 2018 को पृथ्वी पर वापस आए थे।
जाने माने अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के पूर्व अध्यक्ष उडुपी रामचंद्र राव का उम्र संबंधी बीमारियों के चलते आज यहां निधन हो गया। वह 85 वर्ष थे।
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