जापानी टेलीकम्युनिकेशंस और इंटरनेट सेक्टर की प्रमुख कंपनी सॉफ्टबैंक ने कहा कि देश में उसका निवेश 5-10 साल में 10 अरब डॉलर से अधिक हो सकता है।
भारत ने सौर उर्जा संयंत्रों को स्थापित करने के क्रम में छह वर्षों से कम समय में 6,000 मेगावाट सौर उर्जा क्षमता स्थापित की है।
विश्वबैंक ने स्वच्छ उर्जा उत्पादन के लिए भारत के सौर परियोजना कार्यक्रम को सहायता देने के लिये 62.5 करोड़ डॉलर के ऋण को मंजूरी दी है।
ताजा रिपोर्ट के अनुसार अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में देश के आकर्षण सूचकांक में भारत तीसरे स्थान पर हैं। इसमें पहले और दूसरे स्थान पर अमेरिका तथा चीन हैं।
देश की पहली सोलर ट्रेन बनकर तैयार हो गई है, जिसका परीक्षण इस महीने के अंत तक होने की संभावना है। रेलवे के जोधपुर वर्कशॉप ने पहली फुल सोलर ट्रेन तैयार की है।
जल्द ही देश के सभी हवाई अड्डे सोलर एनर्जी से रौशन होंगे। फिलहाल कोचीन देश का एकमात्र हवाई अड्डा है जो पूरी तरह से सोलर एनर्जी पर निर्भर है।
पीयूष गोयल ने कहा कि सौर कार्यक्रम देश में ऊर्जा सुरक्षा को ही सुनिश्चित नहीं करेगा, सबसे निचले स्तर पर मौजूद अंतिम व्यक्ति तक बिजली पहुंचाएगा।
इकोपिया ने अपने ई-4 रोबोट की मैन्युफैक्चरिंग भारत में करने के लिए मूल एसेंशियल कंपोनेंट्स बनाने वाली कंपनी सनमिना कॉर्पोरेशन के साथ समझौता किया है।
भारत अगले कुछ दिनों में WTO की सौर उर्जा समिति के उस फैसले के खिलाफ अपील करेगा। समिति ने कंपनियों के साथ भेद-भाव का आरोप लगाया था।
सुजलॉन एनर्जी ने देशभर की विभिन्न नवीकरणीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए पांच छोटी सौर कंपनियों का अधिग्रहण किया है।
भारत, अमेरिका के खिलाफ 16 मामले दायर करेगा। पीयूष गोयल ने कहा, डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन करते हुए अमेरिका ने सौर पैनल निर्माताओं को संरक्षण दिया है।
संयुक्तराष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील देशों में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश के मामले में भारत और चीन 2015 में सबसे आगे रहे।
भारत को अपनी सोलर और इंटरनेट प्रोजेक्ट के लिए अमेरिकी फाइनेंशियल इंस्टीटयूशन से 42.1 करोड़ डॉलर (करीब 2800 करोड़ रुपए) मिलेंगे।
कोचीन एयरपोर्ट ने सरकार की इस योजना को आगे बढ़ाने में बड़ा योगदान किया है। यह 100 फीसदी सोलर एनर्जी से चलने वाला दुनिया का पहला एयरपोर्ट बन गया है।
भारत के खिलाफ फैसला देते हुए डब्ल्यूटीओ ने कहा कि सोलर फर्मों के साथ सरकार के बिजली खरीद समझौते अंतरराष्ट्रीय नियमों से असंगत रहे।
भारत में 24 घंटे बिजली का सपना पूरा करने के लिए 2030 तक पावर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए सरकार 65 लाख करोड़ रुपए खर्च कर सकती है।
छत पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगाने के लिए सोलर पावर कंपनियां अब कमर्शियल और इंडस्ट्रियल बिल्डिंग के अलावा रेजिडेंशियल बिल्डिंग पर भी फोकस कर रही हैं।
सरकार ने 5,000 मेगावाट ग्रिड से जुड़ी सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट की स्थापना और उन्हें व्यावहारिक बनाए रखने के लिए 5,050 करोड़ रुपए दिए जाने की मंजूरी दी।
देश में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और पावर सेक्टर में निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्रीय कैबिनेट ने नई पावर टैरिफ पॉलिसी को अपनी मंजूरी दे दी है।
भारत के प्रतिष्ठित IISc को अमेरिकी सेना से सौर सोलर पावर से चलने वाली माइक्रो-ग्रिड पर रिसर्च और डेवलपमेंट का कॉन्ट्रैक्ट मिला है।
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