म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए SIP एक बहुत ही आसान तरीका है। इसलिए SIP छोटे से बड़े निवेशकों के बीच तेजी से पॉपुलर हो गया है।
बाजार में जारी इस गिरावट की वजह से निवेशकों का म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो भी चौपट हो गया है। हालांकि, बाजार में चल रही इस विनाशकारी गिरावट में भी ऐसी कई म्यूचुअल फंड स्कीम्स हैं, जिन्होंने निवेशकों के पोर्टफोलियो को संभाल कर रखा हुआ है।
ईएलएसएस यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम है। ये फंड 3 साल के लॉक-इन पीरियड के साथ आते हैं। इन्हें टैक्स सेवर फंड कहा जाता है क्योंकि इनमें इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स बचाया जा सकता है।
म्यूच्युअल फंड हाउस स्कीम को रन करने के लिए लगने वाले चार्जेस को पूरा करने के लिए एक्सपेंस रेश्यो लेते हैं। इसमें कई तरह के चार्ज शामिल होते हैं।
एसटीपी का इस्तेमाल अक्सर लिक्विड या डेट फंड से इक्विटी फंड में पैसे ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। वहीं, सिप से म्यूचुअल फंड स्कीम में मंथली या तिमाही निवेश किया जाता है।
सिप के तहत हर महीने एक तय रकम किसी म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश किया जाता है। हालांकि, ये बात कम ही लोग जानते हैं कि एसआईपी भी कई तरह की होती है।
अगर आप 10,000 रुपये की एसआईपी करते हैं तो 10 साल में आपका कुल निवेश 12,00,000 रुपये हो जाएगा। अगर आपको हर साल औसतन 12 प्रतिशत का अनुमामित रिटर्न मिलता है तो आप 10,000 रुपये की एसआईपी से 10 साल में करीब 23.23 लाख रुपये का फंड तैयार कर सकते हैं।
आदित्य बिड़ला सन लाइफ पीएसयू इक्विटी फंड ने साल 2024 में -11.13 की XIRR के साथ नेगेटिव रिटर्न दिया है। अगर किसी निवेशक ने इस स्कीम में जनवरी 2024 से 10,000 रुपये की एसआईपी की होती तो साल के आखिर में उसके फंड की वैल्यू घटकर 1,02,955.77 रुपये हो जाती, जबकि उसने कुल 1,20,000 रुपये का निवेश किया था।
Investment Tips: अपनी कमाई के एक हिस्से को हमेशा बैंक अकाउंट में रखें, जिससे आपको पैसों की तत्काल जरूरत पड़ने पर इंस्टैंट मदद मिल सके। बैंक अकाउंट में रखे पैसे आपको जबरदस्त लिक्विडिटी प्रदान करते हैं।
जहां एक तरफ देश में नौकरीपेशा महिलाएं म्यूचुअल फंड में निवेश कर रही हैं तो वहीं दूसरी ओर कई पुरुष अपनी पत्नी के नाम से निवेश कर रहे हैं। अगर आप भी अपनी वाइफ के नाम से म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो आपको टैक्स के नियमों के बारे में अच्छी तरह से जान लेना चाहिए।
बुल मार्केट में अच्छा प्रदर्शन करने वाले म्यूचुअल फंड, बियर मार्केट में भारी गिरावट का सामना कर सकते हैं। इसलिए फंड का प्रदर्शन को एकमात्र निवेश का आधार नहीं बनाना चाहिए।
मल्टी एसेट फंड एक संपूर्ण पोर्टफोलियो बनाने के लिए वन-स्टॉप सॉल्यूशन प्रदान करते हैं। एसेट क्लास में संतुलित आवंटन से जोखिम कम होते हैं, जिससे लगातार और स्थिर रिटर्न सुनिश्चित हो पाता है।
अगर आपके पास इक्विटी बेस्ड म्यूचुअल फंड यूनिट्स हैं तो आपको तुलनात्मक रूप से लोन के रूप में कम पैसे मिलेंगे। लेकिन आपके पास अगर डेट बेस्ड म्यूचुअल फंड यूनिट्स हैं तो आपको ज्यादा लोन मिल सकता है। आइए अब म्यूचुअल फंड पर मिलने वाले इंस्टैंट लोन के कुछ बड़े फायदे और नुकसान के बारे में भी जान लेते हैं।
स्टॉक मार्केट में गिरावट के इस दौर में भी ऐसी कई म्यूचुअल फंड स्कीम्स हैं, जिन्होंने पिछले एक साल में ताबड़तोड़ रिटर्न दिया है। आज हम यहां उन ELSS म्यूचुअल फंड स्कीम्स के बारे में जानेंगे, जिन्होंने पिछले एक साल में निवेशकों को मालामाल कर दिया है।
एसआईपी से मिलने वाला रिटर्न कई अहम बातों पर निर्भर करता है जैसे कि आप हर महीने कितने रुपये का निवेश कर रहे हैं, कितने साल के लिए निवेश कर रहे हैं और आपको हर साल किस दर से रिटर्न मिल रहा है?
बाजार में जारी इस गिरावट के बीच निवेशकों के म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो पर भी काफी बुरा असर देखने को मिला है। हालांकि, इस बीच ऐसी कई म्यूचुअल फंड स्कीम्स रहीं, जिन्होंने निवेशकों के पोर्टफोलियो को काफी हद तक मेनटेन रखने में अहम भूमिका निभाई।
AMFI के आंकड़ों के मुताबिक हीलिऑस फ्लेक्सी कैप फंड के डायरेक्ट प्लान ने पिछले 1 साल में 34.14 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। इस स्कीम में 1 साल पहले 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया जाता तो आज वो पैसा बढ़कर 1,34,140 रुपये हो जाता।
नियमित रूप से अगर आप एसआईपी को बढ़ाते हैं तो अनुशासित बचत की आदत डालने में आपको मदद मिलती है। यह आपको खर्च करने की तुलना में बचत को प्राथमिकता देने और अपने निवेश दृष्टिकोण में स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करता है।
नवंबर में, कमजोर वैश्विक संकेतों, चीन के हालिया आर्थिक पैकेज और यूक्रेन-रूस तनाव बढ़ने के कारण भारतीय इक्विटी बाजारों में बड़ी गिरावट रही थी। बाजार गिरने का असर भी सिप पर देखने को मिला है।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के मुताबिक, हाइब्रिड फंड का एयूएम एक साल में 6.02 लाख करोड़ से बढ़कर 8.77 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
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