एक खबर के मुताबिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन पार्टी अगले सप्ताह अपनी 90वीं वर्षगांठ पर सैन्य परेड की बजाय सैन्य अभ्यास करेगी।
हाल ही में चीन के एक विशेषज्ञ ने कहा कि डोकलाम विवाद के कारण भारत और चीन के बीच युद्ध हो सकता है। ऐसे में जरूरत है कि दोनों देशों के राजनायिक विवाद के कारण पैदा होने वाली इस युद्ध की स्थिति को रोकें।
सिक्किम सेक्टर में महीने भर से चल रहे भारत-चीन सीमा गतिरोध को यथास्थिति बदलने के लिए चीन की बल प्रयोग करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। भारत ने चीन के ऐसे कदम के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।
द ग्लोबल टाइम्स ने सुषमा के राज्यसभा के भाषण की तरफ इशारा करते हुए कहा, वह संसद से झूठ बोल रही थीं। गौरतलब है कि विदेश मंत्री ने संसद में कहा था कि पहले चीन डोकलाम से अपनी सेना हटाए उसी के बाद भारत अपनी सेना हटाने पर विचार करेगा। सुषमा ने कहा है कि भ
भारत और चीन के बीच चल रहे डोकलाम विवाद को लेकर बासित दोनों देशों के राजदूतों से बातचीत करना चाहते हैं। आपको बता दें कि भारत में राजदूत के तौर पर बासित का कार्यकाल पूरा हो गया है और अगले महीने वह पाकिस्तान जा सकते हैं।
एक सवाल का जवाब देते हुए हीथर ने कहा कि भारतीय और चीनी उन मुद्दों पर बातचीत कर रहे हैं। ब्रिक्स सम्मेलन के लिए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की बीजिंग यात्रा से पहले उन्होंने कहा, वह एक दूसरे से बात करने वाले हैं। ब्रिक्स की बैठक 27-28
’डोकलाम विवाद पर भारत को कतई घेरा नहीं जा सकता। भूटान जैसे छोटे देश पर चीन हावी हो रहा है। ’भारत और चीन की सीमा अभी तय होनी है, वहीं चीन और भूटान की सीमा भी अभी तय होनी है। अगर चीन भारत की सुरक्षा को कोई नुकसान पहुंचाएगा तो भारत सहन नहीं करेगा।’
छले लंबे समय से भारत और चीन के बीच चलने वाली तनातनी के चलते बुधवार को एक बार फिर चीनी मीडिया को धमकी दी है। चीनी मीडिया से बातचीत करते हुए चीन के पूर्व राजनयिक ने कहा है कि...
अब तक 30 सड़कों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। सड़कें 2012-13 तक पूरी की जानी हैं। मंत्री ने अपने उत्तर में बताया कि इन सड़कों के निर्माण में देरी की मुख्य वजहों में सीमित कामकाजी मौसम और अधिक उुंचाई की वजह से साजो-सामान वाले मुद्दे, दुर्गम भूभाग, प
सिक्किम सेक्टर स्थित भारत-चीन सीमा पर चल रहे गतिरोध को लेकर अमेरिका ने चिंता जताते हुए कहा है कि दोनों देशों को साथ काम करके शांति व्यवस्था के लिए रास्ते निकालने की कोशिश करनी चाहिए।
'अशांत तिब्बत और शिनजियांग प्रांत में पश्चिमी थिएटर कमांड ने उत्तरी तिब्बत में कुनलुन पर्वतों के दक्षिण में सैन्य साजोसामान भेजे हैं।' हालांकि पीएलए डेली ने यह कहीं नहीं बताया है कि साजोसामान की यह तैनाती उसके दो सैन्य अभ्यासों के लिए है।
चीन के सरकारी मीडिया ने उस पाकिस्तानी खबर को फर्जी बताकर खारिज कर दिया जिसमें दावा किया गया था कि सिक्किम में चीनी सेना के हमले में 158 से ज्यादा भारतीय सैनिक मारे गये।
सिक्किम सेक्टर की स्थिति के दीर्घकालिक रूप लेने के बीच चीनी मीडिया ने कहा है कि चीन को भारत के साथ गतिरोध के लिए तैयार हो जाने की जरूरत है।
वहीं भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच जारी गतिरोध के बीच अमेरिका की एक पूर्व राजनयिक ने कहा है कि चीन को यह मान लेना चाहिए कि भारत एक ऐसी शक्ति है, जिसके साथ तालमेल बैठाना जरूरी है और बीजिंग के व्यवहार के कारण क्षेत्र के देश प्रभावित हो रहे हैं।
सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल हो रही है जिनमें ये दावा किया गया है कि सिक्किम में चीन की सेना ने बॉर्डर पर गोलाबारी की और रॉकेट चला कर इंडियन चौकियों को तबाह कर दिया। फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सऐप पर ये मैसेज जिसने भी देखा वो दंग रह गया। दावा ये भी है
सिक्किम सेक्टर के डोकलम में भारत तथा चीन के बीच गतिरोध को एक महीना बीत चुका है, जिसका अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है। भारत और चीन की सेनाओं के बीच सिक्किम में जून से विवाद है। यह विवाद उस समय शुरू हुआ, जब चीन ने उस क्षेत्र में सड़क निर्माण का
'तिब्बत की सरकार ने 1890 के समझौते को स्वीकार करने से इसलिए इनकार कर दिया था क्योंकि उसके साथ इस जानकारी को साझा नहीं किया गया था कि वो इसका हिस्सा नहीं हैं। संधि के कुछ साल पहले ब्रिटिश और अंग्रजे सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था और एक कारण यह भी हो सकत
सिक्किम गतिरोध के बीच चीन की सेना तिब्बत के ऊंचाई वाले इलाके में युद्ध के वास्तविक हालात के मुताबिक अभ्यास कर रही है। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, यह सैन्य अभ्यास 5,100 मीटर की ऊंचाई पर किया जा रहा है।
भारत के खिलाफ और जहर उगलते हुए चीन के सरकारी दैनिक अखबार ग्लोबल टाइम्स ने आज चेतावनी दी कि यदि नई दिल्ली सीमा पर आमने-सामने आकर क्षेत्र पर अपना आधिपत्य जमाने की कोशिशें बंद नहीं करता है तो ऐसी स्थिति में बीजिंग भी सिक्किम की आजादी के समर्थन करेगा।
समुद्र तट किनारे स्थित संचालन केंद्रों की मदद से यह सेटेलाइट ना केवल नौसेना की अरब सागर और बंगाल की खाड़ी पर नजर रखने में मदद कर रहा है बल्कि फारस की खाड़ी से लेकर मलक्का स्ट्रेट तक उनकी संचार और निगरानी क्षमताओं में वृद्धि करने में भी कारगर साबित हो
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