सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया गया है, जिसमें स्थानीय लोग और पुलिसकर्मी दो व्यक्तियों को घेरे हुए नजर आ रहे हैं। इसमें एक घायल सड़क के किनारे बैठा दिखाई दे रहा है, जबकि दूसरा उसके बगल में खड़ा है और उसने आंख के पास लगी चोट को कपड़े से ढका हुआ है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद मनीष तिवारी ने मुख्यमंत्री पद को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मेरा व्यक्तिगत मानना है कि लोकतंत्र में सीएम चुनने का अधिकार निर्वाचित विधायकों के पास होता है। अभियान का नेतृत्व कौन करेगा, अभियान का चेहरा कौन बनेगा, यह पार्टी तय कर सकती है।
कौर ने बताया कि एयरपोर्ट पर खड़े एक अन्य व्यक्ति ने यह वीडियो रिकॉर्ड किया था।
लुधियाना ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। जर्मनी पुलिस ने इस ब्लास्ट केस के मास्टरमाइंड जसविंदर सिंह मुल्तानी को गिरफ्तार कर लिया है। जसविंदर सिंह मुल्तानी प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस का अहम सदस्य है। वह पंजाब के होशियारपुर का रहने वाला है।
समारोह में ‘नगर कीर्तन’ जुलूस और ‘पालकी’ जुलूस भी शामिल था जो जन्मस्थान से निकाला गया और ननकाना साहिब में 8 गुरुद्वारों में उसे ले जाया गया।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने करतारपुर गलियारे को फिर से खोलने को अच्छा घटनाक्रम करार दिया। करीब 2,500 से अधिक भारतीय पैदल वाघा सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंचे।
निहंगों के एक नेता ने कहा कि सिंघु पर बुधवार को उनकी एक महापंचायत हुई। बैठक में हिस्सा लेने वाले एक सूत्र ने बताया, ‘‘हम सिंघु बॉर्डर से जाने वाले नहीं हैं। हम यहां किसानों के समर्थन में आए हैं।’’
निहंगों की संख्या आज भले ही सीमित हो, लेकिन वे सिख धर्म में एक विशेष स्थान रखते हैं।
सिंघु बॉर्डर से लगातार वीडियो सामने आ रहे हैं। एक वीडियो में प्रदर्शनकारी कह रहे हैं कि जिस शख्स की हत्या की गई वो गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी करके भाग रहा था और निहंग सिखों ने उसे मार दिया।
ईसाई धर्म में धर्मांतरण के बढ़ते मामलों ने सिख धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों के बीच चिंता पैदा कर दी है।
एक अधिकारी ने बताया कि संघीय गृह मंत्रालय ने खैबर पख्तूनख्वा सरकार से हत्या के संबंध में रिपोर्ट मांगी है।
बता दें कि पेशावर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की राजधानी है जिसका बॉर्डर अफगानिस्तान से लगता है।
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के चलते अफगान सिखों को वहां से निकलना पड़ा और वह नहीं जानते कि क्या कभी वापस जा पाएंगे या नहीं।
तालिबान ने काबुल एयरपोर्ट के पास अपने लड़ाकों की तैनाती बढ़ा दी है और 15 घंटे से भारत के उड़ान भरने का इंतजार कर रहे 140 हिंदुओं और सिखों को वहां से लौटने के लिए कहा है।
आज अफगानिस्तान में सिख समुदाय के जहां गिने-चुने लोग रह गए हैं, वहीं कुछ दशक पहले ही इस मुल्क में उनके हजारों परिवार आबाद थे।
पवित्र गुरुग्रंथ साहिब के तीन स्वरूपों को काबुल से दिल्ली लेकर आने वाले सरदार धर्मेंद्र सिंह और सरदार कुलराज सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय वायुसेना को मदद के लिए धन्यवाद किया है।
अकाली नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मंजिंदर सिंह सिरसा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, "मैं प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से सीएए में संशोधन करने और कट-ऑफ की तारीख 2014 से 2021 तक बढ़ाने का अनुरोध करता हूं।"
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचकर खुद जाकर तीनों प्रतियों को रिसीव किया है। सोमवार को तीनों प्रतियों को सुरक्षित काबुल एयरपोर्ट पहुंचाया गया था जिसके बाद आज उन्हें भारत पहुंचा दिया गया है।
सिरसा ने कहा कि गुरुद्वारे के अंदर और आसपास की जगहों पर जो लोग रुके हैं, वे बिल्कुल सुरक्षित हैं और मैं निरंतर उनसे संपर्क में हूं।
सिरसा ने बताया कि गुरुद्वारों में शरण लेने के लिए पहुंचे लोगों के साथ तालिबान नेताओं ने बात की है और उन्हें सुरक्षा का भरोसा दिया है।
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