टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले में मुथैया मुरलीधरन पहले स्थान पर और वार्न दूसरे नंबर हैं। ब्रॉड टेस्ट में सबसे धीरे 500 विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। उन्होंने 140 टेस्ट मैचों में यह मुकाम हासिल किया है।
टेस्ट क्रिकेट में इस तीन गेंदबाजों ने अपनी कमाल की गेंदबाजी से सबसे कम मैचों में 500 विकेट लेने का कारनामा किया है।
अनिल ने कुंबले ने भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में कुल 619 विकेट लिए हैं और साल 2008 में उन्होंने इस खेल को अलविदा कह दिया था। वहीं मुलरी ने टेस्ट में 800 और शेन वार्न ने 708 विकेट अपने नाम किया है।
वीडियो में आकाश चोपड़ा कमेंट्री करते हुए दिखाई दे रहे हैं। आकाश चोपड़ा भी इन नन्हें बच्चे की 1.5 गज होती स्पिन गेंदबाजी को देखकर हैरान हैं।
अनिल कुंबले ने बताया कि जब करियर के दौरान उनकी तुलना इन दो दिग्गज स्पिनरों से होती थी तो उन्हें यह काफी मुश्किल लगता था।
अपनी जादुई स्पिन से मुरलीधरन ने लगभग दो दशक तक कमाल दिखाया, लेकिन कभी भी उन्हें टेस्ट टीम की कप्तानी करने का मौका नहीं मिला।
स्टीव वॉ ने एक दिलचस्प खुलासा किया है जिसमे उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने साल 1999 में ऑस्ट्रेलिया के वेस्टइंडीज दौरे के लिए वॉर्न को नहीं ले जाने का मन बनाया था।
महेला जयवर्धने ने दोनों के बारे में बात करते हुए कहा कि शेन वॉर्न के पास मुथैया मुरलीधरन जितनी विविधता नहीं थी।
हम आपको 3 ऐसे बल्लेबाजों के नाम बतायेंगे जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में रन तो बहुत बनाए लेकिन कभी शतक जड़ बल्ला हवा में नहीं लहरा पाए।
तूफानी बल्लेबाज युसूफ पठान ने खेल के सबसे छोटे प्रारूप में ऑलराउंडर के तौर पर खुद का नाम बनाया है। युसूफ की असली प्रतिभा इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पहले सीजन में देखने को मिली थी।
वार्न के खिलाफ इस गेंद पर इंग्लैंड के माइक गेटिंग बल्लेबाजी कर रहे थे। वार्न ने लेग साइड के लाइन पर गेंद को पिच की थी लेकिन गेंद वहां से टर्न लेकर ऑफ स्टंप की गिल्लयों को बिखेर दिया। यह बिल्कुल ही अविश्वसनीय था।
महान स्पिनर शेन वार्न ऑस्ट्रेलिया में स्पिन गेंदबजाों की मौजूदा स्थिति को देखकर काफी चिंतित है। शेन वॉर्न का मानना है कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को राज्यों में स्पिन गेंदबाज़ी में सुधार करने के लिए प्रत्येक प्रथम श्रेणी मैच में एक स्पिनर को रखने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए।
कोरोना वायरस महामारी के कारण भारतीय क्रिकेट टीम के स्पिन गेंदबाज मैदान से दूर अपने घर में कैद हैं। इस दौरान वह सोशल मीडिया पर अपने फैंस मजेदार सवालों के जवाब दे रहे हैं।
शेन वॉर्न ने पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ पर ‘सबसे स्वार्थी क्रिकेटर’ होने का आरोप लगाया था। जिसके बाद अब स्टीव वॉ ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
शेन वॉर्न ने 90 के दशक में साल 1993 में एक गेंद ऐसी डाली थी जिसे ‘बॉल ऑफ सेंचुरी’ बोला गया।
शेन वॉर्न का पहला बड़ा विवाद उस समय सामने आया था जब 2003 विश्व कप से पहले वह डोपिंग टेस्ट में फेल हो गए थे। इसके लिए वार्न को एक साल के लिए बैन कर दिया गया था।
वार्न ने कहा कि उन्हें अपने देश की तरफ से खेलना पसंद है और यह मायने नहीं रखता कि उन्होंने बैगी ग्रीन पहनी है या कोई सामान्य टोपी।
शेन वॉर्न के संन्यास लेने के बाद ऑस्ट्रेलिया 4 सालों तक उनकी कमी झेलता रहा और फिर नाथन लियोन ने टीम में एंट्री मारी और अब कई सालों से अकेले टीम की स्पिन गेंदबाजी का भार अपने कंधो पर उठाए हुए हैं।
चेतन ने कहा, 'मुझे लगता है कि हम मामले को ज्यादा पेचीदा बना रहे हैं। क्रिकेट को जैसा है वैसा ही रहने दें। इसे सर्कस न बनाएं। मेरे विचार से जब यह महामारी खत्म होगी क्रिकेट फिर वहीं से शुरू होगा।"
वॉर्न का कहना है कि गेंद को एक तरफ से भारी रखें ताकि चमक की जरूरत ही नहीं रहे। वॉर्न का मानना है कि इससे तेज गेंदबाजों को सपाट विकेटों पर भी स्विंग लेने में मदद मिलेगी।
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