जांच की अवधि एक जनवरी, 2021 से 19 जुलाई, 2024 तक थी। अपनी जांच में सेबी ने पाया कि पीएनबी मेटलाइफ में अधिकांश लेन-देन से संबंधित निर्णय निष्पादन के लिए सचिन दगली को सौंपे गए थे।
सेबी ने कहा कि आईपीओ शुरू करने की योजना बना रहे एसएमई को अपने ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) दाखिल करते समय पिछले तीन वित्तीय वर्षों में से दो में कम से कम 1 करोड़ रुपये का ऑपरेशनल प्रॉफिट (ब्याज, मूल्यह्रास और कर से पहले की कमाई - ईबीआईटीडीए) शो करना होगा।
एचडीएफसी बैंक ने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि सेबी के इस वॉर्निंग लेटर और चिंताओं का उनके फाइनेंशियल, ऑपरेशन और किसी अन्य एक्टिविटीज पर कोई असर नहीं पड़ेगा। प्राइवेट सेक्टर के इस सबसे बड़े बैंक ने बीएसई और एनएसई, दोनों एक्सचेंजों को सेबी के इस वॉर्निंग लेटर की जानकारी दी है।
ट्रैवल फूड सर्विसेज का आईपीओ पूरी तरह से ओएफएस बेस्ड होगा, यानी इसमें कोई नए शेयर जारी नहीं किए जाएंगे। बल्कि कंपनी के प्रोमोटर्स ही ओएफएस के जरिए सभी शेयर जारी करेंगे। डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक, कंपनी के प्रोमोटर कपूर फैमिली ट्रस्ट सभी 2000 करोड़ रुपये के शेयर जारी करेंगे।
सेबी ने कहा कि ये ऑप्शन कुल 500 कंपनियों की लिस्ट में से नीचे की 100 कंपनियों के शेयरों के लिए पहले शुरू किया जाएगा और फिर नीचे से ही बाकी की कंपनी के शेयरों के लिए 100-100 करके शुरू किया जाएगा। सेबी के अनुसार, ऑप्शनल टी+0 सेटलमेंट साइकल में शेयर ब्रोकर हिस्सा ले सकेंगे।
सेबी ने उल्लेख किया कि रवींद्र भारती एजुकेशन इंस्टीट्यूट ने अपने कैम्पस और कर्मचारियों के जरिये प्रतिभूति बाजार में अनुभवहीन निवेशकों को लुभाने के लिए नॉन रजिस्टर निवेश सलाह, व्यापार अनुशंसाओं और निष्पादन का इस्तेमाल किया।
निवेशकों को चेतावनी देते हुए, सेबी ने निवेशकों से कहा कि ऐसे इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर कोई भी लेनदेन न करें या उसपर कोई भी संवेदनशील पर्सनल डिटेल शेयर न करें क्योंकि ये न तो अथॉरोइज्ड हैं और न ही सेबी द्वारा मान्यता प्राप्त हैं।
सेबी ने एमएफएल, उसके प्रमुख अधिकारियों और अन्य सहित 24 संस्थाओं को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया कि उनके खिलाफ जांच क्यों न की जाए और उन्हें 21 दिनों के भीतर अपना जवाब/आपत्ति दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
अपने निपटान आदेश में, सेबी ने कहा कि ब्रोकर ने 14. 62 लाख रुपये की निपटान राशि वापस कर दी और परिणामस्वरूप एक्सिस सिक्योरिटीज के खिलाफ 4 जून, 2024 को कारण बताओ नोटिस के तहत शुरू की गई तत्काल कार्यवाही का निपटारा किया जाता है।
आंकड़ों से पता चलता है कि एचएनआई कैटेगरी ने भी काफी सावधानी बरती और 15,000 से ज्यादा आवेदन वापस ले लिए गए। संस्थागत निवेशकों ने भी पीछे हटना शुरू कर दिया और इस कैटेगरी में 8 आवेदन वापस ले लिए गए। इस आईपीओ में निवेशकों ने शुरु में काफी दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन स्थिति अब बिल्कुल उलट हो गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2013-14 से 2022-23 के दौरान, 233 सूचीबद्ध कंपनियों ने कंपनी के कारोबार का पांच प्रतिशत के भीतर रॉयल्टी भुगतान किया। ऐसे मामलों की संख्या 1,538 थी।
भारत के संदर्भ में, लिस्टेड कंपनियां अपनी होल्डिंग कंपनियों या होल्डिंग कंपनी से जुड़ी सब्सिडरी कंपनियों को ब्रांड के इस्तेमाल, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर आदि के लिए रॉयल्टी भुगतान करती हैं।
सेबी ने अपने कंसल्टेशन पेपर में कहा है कि न्यूनतम अनिवार्य निवेश राशि को 20 प्रतिशत से घटाया जा सकता है और कर्मचारियों के कुल वेतन के आधार पर स्लैब के हिसाब से इसे लागू किया जा सकता है।
हैदराबाद स्थित साई लाइफ साइंसेज के प्रस्तावित आईपीओ में 800 करोड़ रुपये के इक्विटी शेयरों का फ्रेश इश्यू और प्रोमोटर, निवेशक शेयरधारकों और अन्य शेयरधारकों द्वारा 6.15 करोड़ शेयरों का ओएफएस शामिल है।
सेबी ने अपने स्टेटमेंट में कहा, ऐसी गतिविधियां निवेशकों की सुरक्षा के लिए बनाए गए प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम 1956 और सेबी अधिनियम 1992 का उल्लंघन हैं।
इन कंपनियों के जुर्माना देने में विफल रहने पर मांग नोटिस आया है। सेबी ने सभी 6 कंपनियों को अलग-अलग नोटिस में प्रत्येक कंपनी को 25.75 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। इसमें ब्याज और वसूली लागत शामिल है।
आईपीओ के जरिये एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी 10,000 करोड़ रुपये और अवांसे फाइनेंशियल सर्विसेज 3,500 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही हैं। दस्तावेजों के मुताबिक, एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी का आईपीओ पूरी तरह से नए शेयरों का निर्गम है।
वनलाइफ कैपिटल एडवाइजर्स और नैग्स बीएसई में सूचीबद्ध इकाई फैमिली केयर हॉस्पिटल्स लिमिटेड के प्रमोटर हैं। ओसीएएल के मामले की एनएसई द्वारा उनकी तरफ से उत्पन्न आंतरिक अलर्ट के आधार पर भी जांच की गई थी।
सेबी ने कहा कि सफल बोलीदाता को संपत्ति के ट्रांसफर के लिए कानून के मुताबिक देय शुल्क/फीस जैसे लागू स्टाम्प शुल्क/हस्तांतरण शुल्क, पंजीकरण व्यय, फीस आदि का वहन करना होगा।
एक एक्सपर्ट ने कहा कि बाजार में इस बदलाव के बाद जीरोधा वेट एंड वॉच मोड में है। उन्होंने कहा कि इन बदलावों से ब्रोकरों के रेवेन्यू पर सीधा असर पड़ेगा क्योंकि एक्सचेंजों से मिलने वाला डिस्काउंट बंद हो जाएगा।
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