शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) का शिखर सम्मेलन आज भारत की अध्यक्षता में होने जा रहा है। पीएम मोदी वर्चुअली इसकी अध्यक्षता करेंगे। इस सम्मेलन में रूस, चीन और पाकिस्तान शामिल होंगे।
भारत में अगले हफ्ते से होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी शामिल होंगे। भारत में 4 जुलाई से इस सम्मेलन की शुरुआत होने जा रही है। भारत इसकी अध्यक्षता कर रहा है। चीन और पाकिस्तान भी एससीओ के सदस्य देश हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग 4 जुलाई को एससीओ के प्रमुखों की 23वीं परिषद बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हिस्सा लेंगे।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ अच्छे पड़ोसियों वाले संबंध बनाए रखने को इच्छुक है।
पीएम मोदी ने अब देश के युवाओं को सशक्त बनाने का प्रण लिया है। इसलिए 4 जुलाई से देश में होने जा रहे शिखर सम्मेलन में पहली बार युवा सशक्तिकरण और स्टार्टअप पर फोकस किया गया है।
भारतीय समकक्ष एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि यदि मेहमान अच्छा हो, तो वे अच्छे मेजबान हैं। इससे यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री एक अच्छे मेजबान कहलाने लायक नहीं हैं।
शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन (एससीओ) में चीनी विदेश मंत्री छिन कांग ने भारत-चीन सीमा पर मौजूदा हालात को लेकर सफेद झूठ बोला है। छिन कांग ने कहा था कि सीमा पर हालात सामान्य और स्थिर हैं, लेकिन भारत ने एससीओ के मंच पर चीन के झूठ का पुलिंदा खोल दिया है।
भारत और पाकिस्तान के बीच बहुत बड़ी हेडलाइन आई है। मोदी सरकार से पहले डिप्लोमैटिक खबर में हेडलाइन समझने में बहुत वक्त लगता था। लेकिन जब से मोदी सरकार आई है. सारी हेडलाइन सीधी समझ में आने लगी है। आज बिलावल के मुंह पर एस जयशंकर ने कह दिया कि बिलावल आतंक की इंडस्ट्री के प्रवक्ता हैं।
शंघाई सहयोग संघठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भी भारत के कड़े रुख के बाद अब आतंकवाद पर बोलने को मजबूर हुए हैं। भुट्टो ने सामूहिक रूप से आतंकवाद के खतरे को मिटाने का आग्रह किया।
करीब 12 वर्ष बाद पाकिस्तान का कोई विदेश मंत्री भारत की धरती पर आया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गोवा में चल रहे शंघाई सहयोग संघठन (एससी) सम्मेलन में बृहस्पतिवार को ही हिस्सा लेने पहुंच गए थे। इस दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से उनका आमना-सामना भी हुआ।
गोवा में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन(एससीओ) सम्मेलन में भारत-चीन सीमा पर तनाव प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। इस बीच एससीओ में चीन के विदेश मंत्री छिन कांग ने दोहराया कि भारत-चीन सीमा पर स्थिति सामान्यत: स्थिर है और दोनों पक्षों को मौजूदा प्रयासों को मजबूत करना चाहिए।
G-20 के बाद भारत और चीन के विदेश मंत्री दो माह में दूसरी बार शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में मिले हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर असुरक्षा और अशांति भारत के लिए प्रमुख मुद्दा है। दोनों ही बार भारत ने सीमा पर सुरक्षा और शांति का मुद्दा उठाया। गोवा में मौजूद चीनी विदेश मंत्री छिन कांग ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत औ
5 मई को एससीओ के विदेश मंत्रियों की मीटिंग में शामिल होने से पहले 4 मई को बिलावल का रूस और उज़्बेकिस्तान के विदेश मंत्री से द्विपक्षीय वार्ता का कार्यक्रम है।
12 साल बाद ये पहला मौका है जब पड़ोसी देश पाकिस्तान को कोई विदेश मंत्री भारत की यात्रा पर है। इससे पहले 2011 में पाकिस्तान की तत्कालीन विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार भारत के दौरे पर आईं थीं।
SCO Conference 2023: गोवा में आज बिलावल, दिखेगा हिंदुस्तान की पावर! S. Jaishankar
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भारत में हो रहे शंघाई सहयोग संघठन (एससीओ) में शामिल होने के लिए भारत पहुंच चुके हैं। पाकिस्तान से गोवा आने से पहले उन्होंने ट्वीट करके कहा कि वह भारत के गोवा में एससीओ सम्मेलन में शामिल होने के लिए जा रहे हैं।
कंगाली के कगार पर खड़े पाकिस्तान को भी ये बात अब समझ में आ गई है कि जब तक पाकिस्तान सीमापार से दहशतगर्दी बंद नहीं करेगा तब तक भारत के सामने उसकी दाल गलनेवाली नहीं है। ऐसे में बिलावल किस एजेंडे के साथ भारत आ रहे हैं, इस पर लोगों की निगाहें टिकी है।
SCO Summit India 2023: पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो कल गोवा आ रहे हैं....अब इस दौरे का कन्फर्मेशन हो चुका है.. कल शाम 4.30 बजे बिलावल की चार्टर्ड फ्लाइट गोवा में लैंड करेगा.. विदेश मंत्री एस. जयशंकर आज ही गोवा पहुंच चुके हैं.
भारत बृहस्पतिवार से गोवा में शुरू होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्री स्तर की दो दिवसीय बैठक की मेजबानी करेगा। यह बैठक ऐसे समय में आयोजित हो रही है जब यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस और पश्चिमी देशों में तानातनी है और चीन के विस्तारवादी रवैये को लेकर भी चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं।
यूक्रेन युद्ध को लंबा खिंचता देख रूस को भारत से सैन्य साझेदारी और मजबूत करने की जरूरत महसूस हो रही है। यू्क्रेन युद्ध में पश्चिमी देशों के दबाव को दरकिनार कर भारत अभी तक रूस से कच्चा तेल खरीदता आ रहा है और अभी तक यूक्रेन पर रूसी हमले की निंदा नहीं करके उम्दा विदेश नीति का परिचय दिया है।
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