उत्तर कोरिया ने जासूसी सैटेलाइट लॉन्च किया है, इससे जापान सागर और उसके आसपास के इलाके में चिंता फैल गई है। दक्षिण कोरिया और जापान चिंतित हैं। वहीं दक्षिण कोरिया ने दावा किया है कि जासूसी उपग्रह लॉन्चिंग में रूस ने मदद की है।
उत्तर भारत में प्रदूषण से हाल-बेहाल है। वहीं दिल्ली में तो सांस लेना भी दूभर हुआ है। इसी बीच नासा ने कुछ सेटेलाइट इमेज जारी की है, जिसमें देखा जा सकता है कि यह धुंध की चादर पाकिस्तान से लेकर बांग्लादेश तक फैली हुई है।
उत्तर कोरिया ने एक सैन्य जासूसी उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित करके अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान के खेमे में खलबली मचा दिया है। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन का इरादा इस उपग्रह के जरिये अपने दुश्मन देशों की सैन्य गतिविधियों पर निगरानी रखना और उसके अनुसार खुद को तैयार करना है।
दक्षिण कोरिया की सेना ने उत्तर कोरिया को उसकी जासूसी उपग्रह प्रक्षेपण योजना पर आगे न बढ़ने की चेतावनी दी है। जानिए दक्षिण कोरिया का उत्तर कोरिया के जासूसी उपग्रह प्रक्षेपण प्लान से क्यों दिक्कत है।
दक्षिण कोरिया अपने पड़ोसी देशों की करतूतों को देखते हुए एक स्पाई सैटेलाइट भेजने जा रहा है। अभी वह अमेरिकी जासूसी सैटेलाइट से काम चला रहा था। अब वह अपना खुद का जासूसी उपग्रह भेजने जा रहा है।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर डिसेप्शन द्वीप की तस्वीर शेयर की है। इस तस्वीर को शेयर करने के साथ ही यहां के खतरों के बारे में भी नासा ने बताया है। क्या आप में वहां जाने की हिम्मत है।
उत्तर कोरिया ने एक बार फिर लंबी दूरी का सैटेलाइट लॉन्च करके जापान और दक्षिण कोरिया की टेंशन बढ़ा दी है। जल्द ही वे सैन्य टोही सैटेलाइट लॉन्च करने की जुगत में है। उत्तर कोरिया के इस कदम से सुदूर पूर्वी एशिया में तनाव बढ़ा है।
चंद्रयान को लॉन्च करने का बाद इसरो अपने एक और नए मिशन पर लग गया है। इसरो जल्द ही छह उपग्रहों के साथ PSLV-C56 को अंतरिक्ष में भेजेगा।
लॉन्च व्हीकल मार्क 3 III या जीएसएलवी III द्वारा इसे 14 जुलाई दोपहर 2.45 बजे लॉन्च किया जाएगा। बता दें कि चंद्रयान 3 में एक रोवर, एक लैंडर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल शामिल रहेगा।
साउथ कोरिया ने उस कथित जासूसी उपग्रह का मलबा ढूंढ़ निकाला है जिसकी नॉर्थ कोरिया ने पिछले महीने असफल लॉन्चिंग की थी।
Jio-Airtel: एयरटेल ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर आए उच्चतम न्यायालय के फैसले में प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन सिर्फ नीलामी से ही किए जाने के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया गया था। पूरी रिपोर्ट पढ़ सकते हैं।
उत्तर कोरिया के जासूसी उपग्रह से चिंतित अमेरिका अब अपना खुद का जासूसी सैटेलाइट लॉन्च करेगा। इससे वह रूस और चीन की हरकतों पर नजर रख सकेगा।
पहले सैन्य जासूसी उपग्रह के फेल हो जाने से तानाशाह किम जोंग उन टेंशन में आ गए हैं। उन्होंने पूरे मामले की जांच कराने के लिए वैज्ञानिकों को निर्देशित कर दिया है।
स्पेसक्राफ्ट में मिशन के कमांडर जिंग हैपेंग हैं, जो रिकॉर्ड चौथी बार अंतरिक्ष में जाने वाले पहले चीनी अंतरिक्ष यात्री बनकर इतिहास रचने जा रहे हैं।
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने सैन्य जासूसी उपग्रह लांच करने की तैयारी करके पड़ोसी दक्षिण कोरिया और जापान समेत अमेरिका को भी टेंशन में डाल दिया है। लांचिंग के बाद उत्तर कोरिया का ये उपग्रह विभिन्न देशों की सैन्य निगरानी रख सकेगा। इसस दक्षिण कोरिया, जापान और अमेरिका की सेनाएं अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हो रहे हैं।
उत्तर कोरिया के सैन्य जासूसी उपग्रह छोड़ने से पहले जापान अलर्ट हो गया है। जापान के रक्षा प्रमुख ने शनिवार को सैनिकों को ‘मिसाइल इंटरसेप्टर’ को सक्रिय करने और उत्तर कोरियाई उपग्रह के मलबे से निपटने के लिए तैयार रहने का आदेश दिया, जिसके टुकड़े जापानी क्षेत्र में गिर सकते हैं।
उत्तर कोरिया ने अपने पड़ोसी दक्षिण कोरिया और जापान सहित अमेरिका की भी नींद उड़ा दी है। लंबे समय से उत्तर कोरिया और इन तीनों देशों में तू डाल-डाल और मैं पात-पात का खेल चलता आ रहा है। कभी अमेरिका जापान और दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर सैन्य अभ्यास करता है तो कभी उसके जवाब में उत्तर कोरिया परमाणु मिसाइलों का परीक्षण करता है।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने मीडिया में एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि उसे सुबह नौ बजकर 36 मिनट के आसपास उत्तर-पश्चिमी चीन में जियुकुआन अड्डे से प्रक्षेपण के बारे में पता चला है। बयान में कहा गया है कि उपग्रह ले जा रहे रॉकेट के कुछ हिस्से ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में गिरे।
रक्षा मंत्रालय ने इस उन्नत सुविधा के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के साथ 3000 करोड़ के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए है। भारत की रक्षा अधिग्रहण परिषद ने अपनी परिचालन क्षमताओं को तेज करने के लिए मार्च 2022 में उपग्रह के लिए सेना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।
वनवेब भूमध्य रेखा से 36,000 किलोमीटर ऊंचाई पर भूस्थैतिक कक्षा (जीईओ) में स्थापित उपग्रहों का उपयोग करने के पारंपरिक तरीके के बजाय एलईओ उपग्रहों का उपयोग कर ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवा प्रदान करती है।
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