सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन पर लड़कियों को गुमराह करके रखने का आरोप लगाया जा रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले में ईशा फाउंडेशन के खिलाफ केस बंद कर दिया है।
सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन पर महिलाओं को गुमराह कर के रखने का आरोप लगाया जा रहा था। मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को कहा था कि पुलिस ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी क्रिमिनल केसों की डिटेल पेश करे। अगले दिन 1 अक्टूबर को करीब 150 पुलिसकर्मी आश्रम में जांच करने पहुंचे थे।
सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन उन आरोपों पर जवाब दिया है जिनमें संस्था पर महिलाओं को गुमराह कर के रखने का आरोप लगाया जा रहा था। संस्था ने आरोपों को सिरे से नकार दिया है।
तिरुपति लड्डू विवाद के बीच आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि जहां कोई भक्ति नहीं, वहां कोई पवित्रता नहीं होगी।
दुनिया में सद्गुरु के नाम से मशहूर जग्गी वासुदेव ईशा फाउंडेशन के संस्थापक और प्रमुख हैं, जो कि एक आधुनिक गुरू हैं। सदगुरु ने कहां तक पढ़ाई की है, क्या आप ये जानते हैं? चलिए इस खबर के जरिए उनकी एजुकेशन से लेकर उनके आध्यात्मिक सफर शुरू होने की कहानी को जानते हैं।
दिल्ली के अपोलो अस्पताल में ब्रेन सर्जरी के बाद से ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सदगुरु जग्गी वासुदेव के स्वास्थ्य में काफी सुधार हो रहा है। इस बीच उन्होंने अस्पताल में एक कविता लिखी है जिसका शीर्षक है-'लॉस्ट मी इन यू'
22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले सद्गुरु ने एक शुभकामना संदेश जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा कि भगवान राम के अयोध्या में स्थापित होना सौभाग्य की बात है।
सद्गुरू यानी जगदीश वासुदेव दुनियाभर में अपने योग कार्यक्रमों के लिए विख्यात हैं। वह ईशा फाउंडेशन के संस्थापक हैं और मानव चेतना जगाने के अभियान में लगे हुए हैं।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव का जन्म 5 सितंबर 1957 को कर्नाटक राज्य में हुआ। वह एक योगी के साथ-साथ कमाल के लेखक और कवि भी हैं। उन्होंने 8 भाषाओं में लगभग 100 से ज्यादा किताबों की रचना की है।
सद्गुरु 'Save Soil' के लिए 100 दिन, 30000 किमी की यात्रा के मिशन पर हैं और मृदा संरक्षण की सख्त आवश्यकता पर जागरूकता फैला रहे हैं।
Sadhguru Jaggi Vasudev and 3 lakh devotees immersed in Mahashivratri celebrations
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