सुप्रीम कोर्ट आज केरल में स्थित सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति के खिलाफ दायर समीक्षा याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए इसे बड़ी बेंच में भेज दिया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 64 रिव्यू पेटिशन के मामले चल रहे थे।
चार महिलाओं ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करके पिछले साल सितंबर में सबरीमाला मंदिर के संबंध में आए ऐतिहासिक फैसले के समर्थन में पक्षकार के रूप में हस्तक्षेप का अनुरोध किया।
रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश पर जारी गतिरोध के बीच तीन युवतियों ने सोमवर को अयप्पा मंदिर जाने की इच्छा जाहिर की।
पूजन सामग्री लेकर जा रहे सुरेंद्रन को शनिवार की रात को निलक्कल से हिरासत में ले लिया गया था। वह 2 अन्य लोगों के साथ सबरीमाला स्थित मंदिर जा रहे थे।
सबरीमला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के शीर्ष अदालत के 28 सितंबर के फैसले पर पुनर्विचार के लिये 48 याचिकायें दायर की गयी हैं
सुप्रीम कोर्ट सबरीमला मंदिर के फैसले को लेकर दायर पुनर्विचार याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किये जाने की तारीख पर मंगलवार को निर्णय करेगा
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने वाले फैसले की समीक्षा करने की अपील की गई है।
सबरीमाला देवस्थान के बारे में उन्होंने कहा कि यह एक स्थानीय मंदिर परंपराओं का मुद्दा है जिसके साथ महिलाओं समेत लाखों श्रद्धालुओं की भावनाएं जुड़ी हुई हैं
न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में उठाए गए मुद्दों का केवल सबरीमाला मंदिर के लिए नहीं बल्कि देश में विभिन्न धर्मों के सभी प्रार्थना स्थलों पर व्यापक असर होगा।
फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत दे दी। वहीं संविधान पीठ ने 800 साल पुरानी इस परंपरा को असंवैधानिक करार दे दिया।
केरल के सबरीमाला मंदिर में 10-50 साल की उम्र की महिलाओं को प्रवेश की मिली अनुमति, संविधान पीठ ने 800 साल पुरानी परंपरा को असंवैधानिक करार दिया
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