रश्मि ठाकरे के शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' की संपादक बनने के बाद प्रकाशित पहले ही संपादकीय में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महाराष्ट्र अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल पर निशाना साधा गया है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे को शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ का संपादक नियुक्त किया गया है। मराठी प्रकाशन ने अपने रविवार के संस्करण में उनका नाम संपादक के रूप में प्रकाशित किया है।
शिवसेना ने दिल्ली में हिंसा की इस भयावह स्थिति को एक डरावनी फिल्म करार देते हुए कहा कि इसने 1984 सिख विरोधी दंगों के जख्मों को एक बार फिर ताजा कर दिया।
दिल्ली विधानसभा चुनावों से एक दिन पहले, शिवसेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार के पिछले पांच वर्षों में किए गए आदर्श कार्यों के लिए जमकर तारीफ की। साथ ही पार्टी ने कहा कि केंद्र को अन्य राज्यों में विकास के लिए दिल्ली मॉडल को अपनाना चाहिए।
शिवसेना के मुखपत्र सामना में कहा गया है कि पाकिस्तान और बांग्लेदश से भारत में आए मुसलमानों को देश से बाहर निकाल देना चाहिए, इसमें कोई संदेह नहीं है।
शिवसेना ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद भी उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने भाजपा को रोकने के लिए मिलकर सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया था।
पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में गैंगस्टर करीम लाला के बारे में लिखा था कि वह एक वक्त पठान समुदाय से जुड़े एक संगठन का प्रमुख था और वह सीमांत गांधी कहे जाने वाले खान अब्दुल गफ्फार खान से प्रेरित था।
शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने मंगलवार को दावा किया कि अयोध्या में राम मंदिर की नींव उनकी पार्टी ने रखी थी, ऐसे में मंदिर निर्माण का श्रेय किसी एक दल को नहीं जाता है।
महाराष्ट्र विधानसभा में मंगलवार को हंगामा हुआ और विपक्षी भाजपा तथा सत्तारूढ़ शिवसेना के विधायकों के बीच आरोप प्रत्यारोपों के साथ साथ धक्का-मुक्की भी हुई जिसकी वजह से विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दिया।
भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने कांग्रेस पार्टी को घेरते हुए कहा कि उनकी पार्टी और प्रधानमंत्री महात्मा गांधी का सम्मान करते हैं। लेकिन महाराष्ट्र में जिस शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाई है, उस शिवसेना के मुखपत्र सामना में कहा गया था कि नाथूराम गोडसे देशभक्त है
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर तीखा वार किया है। सामना में भगत सिंह कोश्यारी पर सीधा सवाल खड़ा किया गया है कि आखिर उन्होंने किस आधार पर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई।
महाराष्ट्र में जैसे-जैसे शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की साझा सरकार बनने के आसार बढ़ते जा रहे हैं वैसे-वैसे शिवसेना का केन्द्र सरकार पर हमला भी बढ़ता जा रहा है।
राष्ट्रपति शासन लगने के बाद से महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद जारी है। एक तरफ जहां शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस नेताओं के साथ मैराथन मीटिंग की वहीं दूसरी ओर कांग्रेस-एनसीपी नेताओं के बीच भी समन्वय बैठक हुई जिसमें सरकार बनाने को लेकर कॉमिन मिनिमम प्रोग्राम पर चर्चा हुई।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधा है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में जनता के जनादेश को स्वीकार किया और बीजेपी के महाजनादेश पर हमला बोला।
शिवसेना ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोई भी राजनीतिक दल कभी भी पूरी तरह खत्म नहीं होता। यह कह कर पार्टी ने राकांपा नेता रोहित पवार के इस कथन से एक तरह से सहमति जताई है कि भाजपा अपने फायदे-नुकसान के हिसाब से उनके नाना शरद पवार की तारीफ और बुराई करती है।
शिवसेना के मुताबिक मुसलमानों को खुश रखने के लिए कश्मीर में विधानसभा की ज्यादा सीटें रखी गई हैं। बता दें कि मोदी सरकार अब जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन पर विचार कर रही है।
सामना के संपादकीय का शीर्षक हुकुम की रानी है जिसमें लिखा गया है कि राहुल गांधी ने बहुत ही अच्छा दांव चला है। प्रियंका की तोप चली और उनकी सभाओं में भीड़ उमड़ने लगी तो वो इंदिरा गांधी की तरह हुकुम की रानी साबित हो सकती है।
संपादकीय में कहा गया है कि "आप राम मंदिर के निर्माण की तारीख क्यों तय नहीं कर रहे हैं? अगर मंदिर निर्माण का मु्द्दा आपके हाथ से निकल गया तो 2019 में आपकी रोजी-रोटी के अलावा कई लोगों की जुबान बंद हो जाएगी।"
शिवसेना ने कहा कि लगभग सभी राज्यों में चुनावी हवा विपक्षी गठबंधन के पक्ष में बह रही है और पिछले डेढ़ साल से लोगों ने अपना मन बना लिया है कि वे भाजपा को एक तगड़ा झटका देंगे।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में कहा है कि मुंडे के बयान का दूसरा अर्थ यह लगाया जा सकता है कि सरकार मराठा आरक्षण की फाइल को लटकाए रखना चाहती है।
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