अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ये भारत के लिए फायदेमंद नहीं रहेगा।
भारत और रूस के बीच हुए एस-400 समझौते के कुछ दिनों बाद अब अमेरिका प्रतिबंधों पर जल्द ही बड़ी घोषणा कर सकता है।
आर्मी चीफ ने कहा कि भारत स्वतंत्र नीति पर चलता है और वह रूस से कामोव हेलीकॉप्टर तथा अन्य हथियार प्रणाली प्राप्त करने को इच्छुक है।
पिछले साल कानून का रूप लेने वाले ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट’ (सी ए ए टी एस ए) के तहत भारत पर अब प्रतिबंध लग सकता है क्योंकि उसने रूस के साथ एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए 5.4 अरब डॉलर का सौदा किया है।
भारत-रूस के बीच आज एस 400 मिसाइल सौदे पर अमेरिकी दूतावास ने बयान जारी कर कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों का मकसद रूस को दंडित करना है, न (न) कि अपने सहयोगियों की सैन्य क्षमता को नुकसान पहुंचाना।
आखिर अमेरिका की धमकी के बावजूद भारत के लिए एस 400 वायु प्रतिरक्षा प्रणाली सौदा क्यों जरूरी है आज हम आपको विस्तार में बताते है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा के बाद इस सौदे पर हस्ताक्षर किये गए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की बैठक में S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को लेकर डील हो चुकी है
ऐसी संभावना है कि पुतिन के इस दौरे के दौरान भारत और रूस के बीच S-400 प्रक्षेपास्त्र प्रणाली को लेकर सौदा हो सकता है
अमेरिका की यह चेतावनी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की भारत यात्रा से ठीक पहले आयी है जिसमें दोनों देशों के बीच हथियार प्रणालियों का बड़ा समझौता होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं
पुतिन की इस भारत यात्रा में जिस बात का सबसे ज्यादा जिक्र हो रहा है, वह है S-400 मिसाइल सिस्टम।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 अक्टूबर को भारत के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं। पुतिन के इस भारत दौरे के दौरान एस-400 वायु रक्षा प्रणाली सौदे पर हस्ताक्षर होंगे।
रक्षा मंत्री ने कहा है कि इस रक्षा सौदे के लिए लंबे समय से बातचीत हो रही है और यह अंतिम दौर में है
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