S-400 मिसाइल सिस्टम को दुनिया के सबसे बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम में एक माना जाता है। यह मिसाइल सिस्टम विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों से निपटने में सक्षम है।
भारत और रूस के बीच हुए एस-400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। अब रूस बची हुई एस-400 मिसाइल सिस्टम की दो रेजिमेंट भारत को अगले साल तक सप्लाई करेगा।
पाकिस्तान को भारत के एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम से काफी खतरा और खौफ है। ऐसे में पाकिस्तान अपनी एयरफोर्स को कुछ ऐसे विमान देने जा रहा है, जिससे वह भारत के साथ मुकाबले में आ सके। इसके लिए वह चीन की शरण गया और जे 31 फाइटर जेट की मांग की है।
रूस की सैन्य-तकनीकी सहयोग के लिए संघीय सेवा के प्रमुख ने कहा है कि भारत को एस-400 वायु रक्षा प्रणालियों और संबंधित उपकरणों की डिलीवरी निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार की जाएगी।
ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। वह बैलिस्टिक मिसाइल से अलग है। S-400 डिफेंस सिस्टम खासतौर से बैलिस्टिक मिसाइलों से सुरक्षा के लिए बनाई गई है।
India Russia S-400 Deal: भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की आशंका को दरकिनार करते हुए एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयों की खरीद के लिए रूस के साथ अक्टूबर 2018 में पांच अरब अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
US CAATSA India: अनुबंध पर आगे बढ़ने पर उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। खन्ना के अलावा सांसद ब्रैड शेरमैन और डेविड श्वीकर्ट ने भी विधेयक का समर्थन किया है। इसे आवश्यक कार्रवाई के लिए ‘हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी’ को भेज दिया गया है।
Russia: रूस ने एक बार फिर अमेरिका के ऊपर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। रूस ने अमेरिका पर आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिका द्वारा कई ऐसे कदम उठाए गए हैं
S-400 Triumph: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। ऐसा कयास लगाया जा रहा था कि युद्ध के कारण एस-400 की डिलीवरी होने में समय लगेगा। हालांकि इस युद्ध के बावजूद भी भारत को एस-400 वायु रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति जल्द ही की जाएगी
India and China News: सीमा पर लगातार फाइटर जेट भेज रहे चीन को सबक सिखाने के लिए भारत ने अपनी तैयारी और पुख्ता कर दी है। भारत अगले दो से तीन माह में दूसरे एस 400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम को चीन की सीमा पर सक्रिय कर देगा।
एक अधिकारी ने बताया, ‘‘मिसाइल प्रणाली के विभिन्न महत्वपूर्ण पुर्जों व इसके अन्य उपकरणों का परिवहन तैनाती स्थल तक जारी है।’’ रूस से भारत एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की कुल पांच इकाई प्राप्त करेगा।
S-400 वायु रक्षा प्रणाली को भारत द्वारा लगभग 35,000 करोड़ रुपये के सौदे में कॉन्ट्रैक्ट किया गया था और साथ ही 400 किमी तक हवाई खतरों से निपटने के लिए भारत को 5 स्क्वाड्रन प्रदान किए जाएंगे।
एस-400 मिसाइल रक्षा सौदे पर रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि ‘‘सौदे को क्रियान्वित किया जा रहा है। हमने अमेरिका द्वारा सहयोग को कमजोर करने तथा इस क्षेत्र के विकास के लिए अमेरिकी विजन का अनुपालन कराने को लेकर अमेरिकी आदेश देखे हैं।’’
न्यूज एजेंसी ANI से मिली जानकारी के अनुसार, रूसी फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री-टेक्निकल कॉपोरेशन के डॉयरेक्टर Dmitry Shugaev ने दुबई एयर शो में मीडिया से बातचीत में कहा कि रूस ने भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की सप्लाई शुरू कर दी है।
रूस, भारत का समय की कसौटी पर खरा उतरा सहयोगी और नयी दिल्ली की विदेश नीति का महत्वपूर्ण स्तंभ है। समझा जाता है कि शिखर बैठक में अफगानिस्तान से जुड़े घटनाक्रम सहित क्षेत्रीय मुद्दों की भी समीक्षा की जायेगी।
सीनेटरों ने अपने पत्र में लिखा, हम आपसे सतह से हवा में मार करने वाली S-400 ट्रिअम्फ मिसाइल प्रणाली की योजनाबद्ध खरीद के मामले में भारत को CAATSA से छूट देने की अपील करते हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘‘यह विषय उठा और हमने इसके बारे में चर्चा की और अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया, इस बारे में चर्चा जारी है।’’ बागची भारत रूस सौदे के बारे में शेरमन की टिप्पणी को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।
रूस के सरकारी शस्त्र निर्यातक रोसोबोरोनएक्पोर्ट के एक शीर्ष अधिकारी ने बृहस्पतिवार को बताया कि भारत को सतह से हवा में मार करने वाली विमान भेदी अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल प्रणाली की पहली खेप रूस से इस साल अक्टूबर-दिसंबर में मिल जाएगी।
प्रतिबंधों पर वक्त आने पर बदला लेने की धमकी देने वाला तुर्की अब अमेरिका से बातचीत करने की गुहार लगा रहा है। तुर्की के रक्षा मंत्री ने नए अमेरिकी प्रशासन से बातचीत करने और मिसाइल सिस्टम की खरीदारी को लेकर देश पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय की समीक्षा करने की अपील की।
रूस ने भारत से अपने द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर बड़ा बयान दिया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों के कारण रूस के साथ भारत की करीबी साझेदारी एवं विशेष संबंध कमजोर हो रहे हैं।
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