भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव है। दोनों देशों के बीच कई दौर की सैन्य वार्ता भी हो चुकी है। इसके बावजूद अभी तक सीमा विवाद को लेकर कोई ठोस हल नहीं निकला है। भारत-चीन के तनाव भरे रिश्ते पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जापान की राजधानी टोक्यो में खुलकर बात की है।
'क्वाड' देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 'क्वाड' देशों के बीच सहयोग ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र मुक्त, खुला, स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध बना रहे। भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने 2017 में ‘क्वाड’ की स्थापना की थी।
जयशंकर ने कहा-आज जब हम कहते हैं कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, दुनिया बदल रही है, यह बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रही है, जी-7 जी-20 बन गया है, तो एक तरह से यह सब गांधी जी द्वारा अतीत में किए गए कार्यों का परिणाम है।
जापान की राजधानी टोकिया में क्वॉड के विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले एस जयशंकर ने अपने अमेरकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की। इस दौरान भारत-अमेरिकी के द्विपक्षीय संबंधों और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने समेत कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर गहन वार्ता हुई।
विहिप मीडिया प्रभारी ने लाओस राष्ट्र द्वारा राम लला पर डाक टिकट जारी किये जाने पर कहा कि यह बहुत प्रसन्नता प्रदान करने वाला अवसर है,जो अपने पूर्वजों और भारतीय संस्कृति के प्रति निष्ठावान है।
आसियान में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तुर्की, समेत कई देशों के विदेश मंत्रियों के साथ वार्तालाप और द्विपक्षीय बैठक की। इस दौरान कई अहम क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।
दूतावास ने भारतीयों को नौकरी दिलाने का झूठा झांसा देने वालों के खिलाफ आगाह करते हुए एक परामर्श जारी किया है। जयशंकर ने बैठक के दौरान आसियान और पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता के लिए लाओस को भारत की ओर से पूर्ण समर्थन भी दिया।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने आसियान शिखर सम्मेलन में चीन के समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की है। इस दौरान भारत-चीन संबंधों में स्थिरता लाने के लिए सीमा विवाद सुलझाने, पूर्व समझौतों का सम्मान करने और डिसइंगेजमेंट को लेकर सहमति बनाई गई।
विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में कहा कि जयशंकर की लाओस यात्रा इसलिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इस वर्ष भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का एक दशक पूरा हो रहा है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में नौवें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में की थी।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी बुधवार को भारत दौरे पर पहुंचे। ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सरकार बनने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है। बता दें कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से उनका मुलाकात हो सकती है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूक्रेन के विदेश मंत्री दमित्रो कुलेबा से फोन पर बात की। बता दें कि पीएम मोदी के रूस दौरे के बाद इस बातचीत को अहम माना जा रहा है। दरअसल, पीएम मोदी के रूस में भव्य स्वागत पर यूक्रेन के राष्ट्रपति ने नाराजगी जाहिर की थी।
भारतीय जन औषधि केंद्र की व्यापकता लगातार बढ़ती जा रही है। भारत के बाद मॉरीशस में पहला विदेशी जन औषधि केंद्र खोला गया है, जो वहां के लोगों को सस्ती जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादे के तहत इस केंद्र को मॉरीशस के लोगों को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने समर्पित किया।
द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर दो दिवसीय यात्रा पर मॉरीशस पहुंचे हैं। मॉरीशस के विदेश मंत्री मनीष गोबिन ने हवाई अड्डे पर जयशंकर का स्वागत किया।
थाईलैंड भारत में आसियान का प्रमुख साझेदार होने के साथ ही साथ रक्षा, सुरक्षा और तकनीकी सहयोग से लेकर व्यापार और प्रौद्योगिकी में भारत का अहम रणनीतिक साझेदार का रोल निभा रहा है। वह दक्षिण एशिया में भारत के प्रमुख सहयोगी के तौर पर उभरा है।
कजाखिस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि किसी भी रूप या स्वरूप में आतंकवाद को उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच अहम मुलाकात हुई है। दोनों नेताओं की मुलाकात कजाखिस्तान की राजधानी अस्ताना में हुई है। दोनों नेताओं के बीच बातचीत सीमा विवाद पर केंद्रित रही।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में SCO समिट के दौरान अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की है। जयशंकर ने इससे पहले UN चीफ से भी मुलाकात की थी।
अस्ताना में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच मुलाकात हुई है। इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय साझेदारी जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की है।
एस जयशंकर अपनी तीसरी विदेश यात्रा पर कतर पहुंच चुके हैं। वह यहां एक दिवसीय दौरे पर दोहा पहुंचे हैं। इस दौरान जयशंकर ने कतर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जसीम अल थानी के साथ विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की।
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