जापान की यात्रा पर गए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने संबोधन में संयुक्त राष्ट्र को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कि दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश को यूएन में स्थाई प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
विदेश मंत्री एस जयशंकर से जापान में सवाल किया गया है कि क्या वह इस बार आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में लड़ेंगे? इस पर उन्होंने अब खुद ही जवाब दे दिया है।
तेजी से बदल रहे वैश्विक परिवेश में भारत और जापान ग्लोबल पार्टनर हैं। दोनों देशों में लोकतंत्र और पारदर्शी व डिजिटल लेनदेन की व्यवस्था दुनिया में वैश्वीकरण को आगे बढ़ा रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी भारत और जापान के बीच अहम साझेदारी है। क्वाड के माध्यम से भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया अहम काम कर रहे हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 4 वर्षों से तनाव कायम रहने के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। टोकियो में जयशंकर ने कहा कि चीन 2020 में सीमा पर हुई हिंसा का जिम्मेदार है। वह समझौतों का पालन नहीं कर रहा है।
दक्षिण कोरिया और अयोध्या के पौराणिक नाते के बारे में बहुत कम लोगों को पता होगा। दक्षिण कोरिया के लोग अयोध्या को अपना ननिहाल मानते हैं। इसीलिए विदेश मंत्री एस जयशंकर जब सियोल यात्रा पर गए तो उन्होंने अयोध्या से नाता रखने वाले दक्षिण कोरिया के गिम्हे शहर का दौरा किया और लोगों से मुलाकात की।
जयशंकर ने कहा, ''हमारे नेता पिछले साल हिरोशिमा और नयी दिल्ली में दो बार मिल चुके हैं। मुझे लगता है कि उनकी चर्चाओं ने हमें आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया है।'' जयशंकर ने दिसंबर में विदेश मंत्री पद पर नियुक्ति के लिए चो को बधाई भी दी। इस दौरान भारत-दक्षिण कोरिया की नई साझेदारी को व्यापक करने पर सहमति बनी।
रूस और भारत की दोस्ती ठोस और पारंपरिक है। कई मौकों और मंचों पर दोनों देश एकदूसरे की तारीफ करते हैं। भारत ने कई मंचों पर रूस को अपना पारंपरिक मित्र बताया है। वहीं रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भी पीएम मोदी की तारीफ कई बार की है। ताजा मामले में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारतीय समकक्ष जयशंकर की तारीफ की है।
भारत और चीन गत 4 वर्षों से तनाव के चरम पर हैं। दोनों देशों के रिश्ते 2020 में गलवान घाटी हिंसा के बाद से ही नाजुक चल रहे हैं, जिसमें सुधार की फिलहाल कोई गुंजाइश नहीं दिख रही। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि जब तक चीन सीमा समझौतों का पालन नहीं करता, तब तक एलएसी पर शांति संभव नहीं है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) में सुधार की किसी संभावना से इनकार कर दिया है। उन्होंने इसके पीछे इसी संगठन के एक देश पर आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाया है। पाकिस्तान का नाम लिए बिना जयशंकर ने कहा कि एक देश की वजह से कुछ अच्छा नहीं हो पा रहा।
’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि जयशंकर की यात्रा और तोक्यो में बैठकें इन क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच ‘‘कार्यात्मक सहयोग’’ के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन उपलब्ध कराएंगी। उनके कारोबारी नेताओं, विचार समूहों के प्रमुखों और शिक्षाविदों से बातचीत करने की उम्मीद है। भारत के संबंधों को जापान और दक्षिण कोरिया के साथ मजबूत करेंगे।
जर्मनी के म्यूनिख सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विभिन्न देशों के अपने विदेशी समकक्षों के साथ में मुलाकात और द्विपक्षीय वार्ता की। इस दौरान उन्होंने भारत के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया। साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-हमास युद्ध जैसे अन्य मुद्दों पर दुनिया के सामने अपना पक्ष रखा ।
म्यूनिख सम्मेलन में भारत और चीन के विदेश मंत्री के बीच बेहद संक्षिप्त मुलाकात और बातचीत हुई। यह बातचीत तब हुई जब चीनी विदेश मंत्री वांग यी मंच से लौट रहे थे और एसजयशंकर रास्ते में मंच पर मिल गए। इसके बाद दोनों मंत्रियों ने आपस में बेहद संक्षिप्त वार्तालाप किया।
जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित वैश्विक सुरक्षा सम्मेलन में एस जयशंकर ने अमेरिका और ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों समेत कई अन्य देशों के समकक्षों से उन्होंने मुलाकात की। साथ ही वैश्विक मुद्दों के साथ द्विपक्षीय मामलों पर चर्चा की। भारत के साथ द्विपक्षीय सहयोग मजबूत करने के लिए जयशंकर ने वार्ता की।
विदेश में अपने बच्चों को पढ़ाना हर किसी का सपना होता है, लेकिन पिछले 5 वर्ष में अलग-अलग देशों में 400 से ज्यादा भारतीय छात्रों की मौत ने अभिभावकों के मन में डर पैदा कर दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि अलग-अलग वजहों से विदेश में 5 वर्षों में 403 भारतीय छात्रों की जान जा चुकी है।
युगांडा की राजधानी कंपाला में " जयशंकर ने श्रीलंका, फिलिस्तीनी, बहरीन, सर्बिया, बोलीविया, अजरबैजान और वेनेजुएला के अपने समकक्षों के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें कीं। इस दौरान उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की।
युगांडा में आयोजित दो दिनी शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर युगांडा पहुंचे। यहां उन्होंने मालदीव के विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। मालदीव से तनातनी के बीच यह चर्चा काफी अहम रही।
इधर भारतीय विदेश मंत्री ईरान की यात्रा पर गए और उधर ईरान ने भारत के दुश्मन पाकिस्तान पर बड़ा मिसाइल अटैक कर दिया। अचानक हमले से पाकिस्तान सकते में है। सवाल यह उठ रहा है कि यह हमला जयशंकर की यात्रा का संयोग है या कोई कड़ा संदेश?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि सीमा पर गतिरोध के बीच चीन को संबंधों के सामान्य रूप से आगे बढ़ने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर फिलहाल नेपाल दौरे पर पहुंचे हैं। यहां उन्होंने नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने दो दिवसीय नेपाल दौरे से चीन को चारों खाने चित कर दिया है। जयशंकर ने भारत-नेपाल की सदियों पुरानी विशिष्ट दोस्ती के अंकुर को फिर पल्लवित करके दमदार कूटनीति का नमूना पेश किया है। जयशंकर ने अपनी यात्रा के दौरान नेपाली पीएम प्रचंड, राष्ट्रपति पौडेल समेत पूर्व नेताओं से भी मुलाकात की।
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