रूरल बिजनेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स 2021 के मुकाबले 2022 में 9.6 अंक बढ़कर 73.5 पर पहुंच गया। इस इंडेक्स से ग्रामीण व्यापार रुझान के परिदृश्य की जानकारी मिलती है। यानी, कारोबारी परिदृश्य में सुधार हुआ है।
आरंभिक सार्जनिक निर्गम (आईपीओ) लाने के लिए उपयुक्त बैंक की पहचान करने की जिम्मेदारी इन ग्रामीण बैंकों के प्रायोजक बैंकों पर छोड़ दी गई है।
आरआरबी के पूंजी आधार को मजबूत करने तथा इस मुश्किल समय में कृषि वित्त में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के मद्देनजर केंद्र की ओर से यह कदम उठाया गया है।
पिछले 3-4 साल से देश में बैंकिंग व्यवस्था का तेजी से विस्तार हुआ है और इस विस्तार का फायदा देश के ग्रामीण बैंकों को भी मिला है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से देश के राज्यों को लेकर जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2014 से मार्च 2017 के दौरान देश में ग्रामीण बैंक शाखाओं की संख्या में लगभग 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है
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