घरेलू बाजारों में बिकवाली और विदेशी कोषों की लगातार निकासी के चलते रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से भी रुपये पर दबाव पड़ा।
भारतीय रुपये के लिए साल 2022 बेहद खराब रहा है। अमेरिकी डॉलर ने 7 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है। आइए जानते हैं कि साल 2023 में रुपये की चाल कैसी रहने वाली है?
भारतीय करेंसी रुपया को मजबूत करने के तरीकों के बारे में पता चल गया है। इसी साल नोबेल पुरस्कार जीत चुके एक अमेरिकी अर्थशास्त्री ने एक शानदार तरकीब बताई है। आइए उसके बारे में जानते हैं साथ ही उस अमेरिकी के बारे में भी जानेंगे।
Rupees vs Dollar: डॉलर के मुकाबले रुपया एक बार फिर कमजोर हो गया है। रुपये में गिरावट से एक ओर जहां व्यापार घाटा बढ़ेगा वहीं दूसरी ओर जरूरी सामान के दाम में बढ़ोतरी होगी।
में वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘सबसे पहली बात, मैं इसे इस तरह नहीं देखूंगी कि रुपया फिसल रहा है बल्कि मैं यह कहना चाहूंगी कि रुपये में मजबूती आई है।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, इससे पूर्व के सत्र में रुपये के अपने सर्वकालिक निम्न स्तर को छूने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने संभवत: बाजार में हस्तक्षेप किया।
भारी विदेशी धन निवेश के साथ आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने के बाद रुपया एशियाई मुद्राओं में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में घरेलू इकाई अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 74.80 पर खुली और फिर आगे गिरकर 74.87 पर पहुंच गई।
रुपया सोमवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 75.05 पर बंद हुआ था। मुद्रा बाजार बुधवार को बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर जयंती और मंगलवार को गुड़ी पड़वा पर बंद था।
देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और घरेलू इक्विटी बाजार में कमजोरी के चलते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गुरुवार को भारी गिरावट देखी गई और भारतीय मुद्रा 75 के स्तर से नीचे गिर गई।
भारतीय रुपये में गिरावट का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा और शुरुआती कारोबार के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे टूटकर 74.03 पर आ गया।
वैश्विक आर्थिक वृद्धि को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच शुरुआती कारोबार में शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 65 पैसे टूटकर 73.99 पर खुला।
कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के बीच शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया आठ पैसे की मजबूती के साथ 71.32 पर खुला।
शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले सोमवार को रुपया नौ पैसे टूटकर 71.03 पर खुला। इसकी प्रमुख वजह कच्चे तेल की कीमतों में तेजी होना और अमेरिका-चीन के बीच व्यापार तनाव की चिंताएं बढ़ना है। इसके चलते निवेशकों का रुख सावधानी भरा रहा।
शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया बृहस्पतिवार को 24 पैसे टूटकर 71.36 पर खुला। इसकी प्रमुख वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व का नीतिगत ब्याज दरों में कटौती करना रही। सुबह के कारोबार में अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार पर भारी उतार-चढ़ाव का दौर देखा गया।
कच्चे तेल के दाम में आई जोरदार तेजी के कारण डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल सोमवार को एक बार फिर मंद पड़ गई। डॉलर के मुकाबले रुपये में तकरीबन एक फीसदी की कमजोरी आई, जो कि देसी करेंसी में दो अगस्त के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है।
बैंकों एवं आयातकों की ओर से डॉलर की मांग आने और विदेशी पूंजी निकासी से रुपया सोमवार को शुरुआती कारोबार में 42 पैसे गिरकर 72.08 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया। मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि अमेरिकी-चीन के बीच व्यापार मोर्चे पर टकराव बढ़ने के संकेतों से भी रुपये पर दबाव रहा।
घरेलू शेयर बाजार शुक्रवार लगातार दूसरे दिन मजबूत कारोबारी रुझान से गुलजार दिखा। विदेशी बाजारों से मिले मजबूत संकेतों और सकारात्मक घरेलू कारकों से शुरूआती कारोबार के दौरान सेंसेक्स करीब 380 अंकों की तेजी के साथ 37,700 के मनोवैज्ञानिक स्तर के ऊपर चला गया। वहीं, निफ्टी भी 100 अंक से ज्यादा उछला।
जीडीपी को लेकर विश्व बैंक की रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब चर्चा चल रही है कि 2025 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है।
ट्रेड वॉर बढ़ने की आशंका और ग्लोबल बाजारों में भारी गिरावट के बीच घरेलू शेयर बाजार में भी आज शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में ही बड़ी गिरवाट देखी जा रही है।
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