भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दिसंबर से एनईएफटी (राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण) के जरिये 24 घंटे कोष हस्तांतरण की अनुमति देने का निर्णय किया है। इसका पहल का उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना है।
आरटीजीएस सिस्टम बड़ी राशि वाले फंड ट्रांसफर के लिए है, जबकि एनईएफटी सिस्टम का उपयोग 2 लाख रुपए तक की राशि के ट्रांसफर के लिए किया जाता है।
आज (1 जुलाई 2019) से देश में ये नियम बदल जाएंगे, जिनका आपकी जेब पर सीधा असर असर होगा।
रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) सिस्टम के जरिए ऑनलाइन फंड ट्रांसफर के लिए एक जुलाई से आपको कोई शुल्क नहीं देना होगा।
देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई ने गुरुवार को आरटीजीएस और एनईएफटी सिस्टम पर उसके द्वारा लगाए जाने वाले शुल्क को समाप्त करने की घोषणा की है।
दुन एंड ब्रैडस्ट्रीट (डीएंडबी) के हालिया आर्थिक पूर्वानुमान के अनुसार, अमेरिका और अन्य देशों के बीच जारी आर्थिक तनाव का भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ेगा।
आरटीजीएस का उपयोग मुख्यत: बड़ी राशि के हस्तांतरण के लिए होता है। इसके तहत न्यूनतम 2 लाख रुपए भेजे जा सकते हैं और अधिकतम राशि भेजने की कोई सीमा नहीं है।
पोस्ट ऑफिस में लगभग 34 करोड़ लोगों के खाते हैं और इस योजना के बाद सभी 34 करोड़ लोगों तक यह सुविधा पहुंच सकेगी
पंजाब नेशनल बैंक की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अपग्रेडेशन से पहले बैंक में रोजाना औसतन 1.20 करोड़ ट्रांजेक्शन होती थी
निजी क्षेत्र के HDFC बैंक ने RTGS (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) और NEFT के जरिए किए जाने वाले लेनदेन को एक नवंबर से नि:शुल्क कर दिया है।
निजी क्षेत्र के HDFC बैंक ने RTGS (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) और NEFT के जरिए किए जाने वाले लेनदेन को एक नवंबर से नि:शुल्क कर दिया है।
SBIने NEFT और RTGS के शुल्क में 75 फीसदी की भारी कटौती की है। यह कटौती 2 दिन बाद यानि 15 जुलाई से लागू होगी।
हम आपको बता रहे हैं कि डिजिटल ट्रांजैक्शन नकद भुगतान की तुलना में आपकी जेब पर कैसे भारी पड़ता है और किस तरह के लेन-देन के लिए आपको कितना शुल्क देना होता है।
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