संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर चलाए जा रहे तालिबानी हंटर पर बेहद खफा हो गया है। संयुक्त राष्ट्र ने अब तालिबान को सबक सिखाने के लिए ठान लिया है। यूएन ने कह दिया है कि ऐसी स्थिति में तालिबान को सरकार के तौर पर मान्यता नहीं दी जा सकती।
31 मार्च 2023 तक भारत सरकार की सिडबी में 20.85 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी। इसके अलावा, भारतीय स्टेट बैंक का 15.65 प्रतिशत, जबकि भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी की हिस्सेदारी 13.33 प्रतिशत थी।
विश्व उइगर कांग्रेस को वर्ष 2024 के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है। ऐसा दूसरी बार है, जब विश्व उइगर कांग्रेस को लगातार इस पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। इससे पहले वर्ष 2023 में भी इस अधिकार संगठन को नोबेल के शांति पुरस्कार से नावाजा जा चुका है।
UN On Taliban: क्या तालिबानी आतंकियों के आगे संयुक्त राष्ट्र को भी नतमस्तक होना पड़ेगा, क्या तालिबानियों की जिद के आगे संयुक्त राष्ट्र भी अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों की बहाली नहीं करा पाएगा। क्या अफगानिस्तान में अब कभी भी महिलाओं को उनके अधिकार वापस नहीं मिल पाएंगे।
Patriarchy: बहुत से लोग ये मानते हैं कि पितृसत्ता हमेशा से रही है, लेकिन निश्चित रूप से ऐसा नहीं है? इसकी शुरूआत दरअसल कहां से हुई? पितृसत्ता दुनिया के कुछ हिस्सों में कुछ हद तक कमजोर होने के बाद, एक बार फिर मजबूत हो गई है।
रिलायंस ने कुल 53,125 करोड़ रुपये मूल्य के राइट्स इश्यू जारी किए थे। यह एक दशक में दुनिया की किसी भी गैर-वित्तीय कंपनी की तरफ से जारी सबसे बड़ा राइट्स इश्यू था।
कंपनी ने 30 अप्रैल को राइट्स इश्यू के जरिए 53,125 करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की थी।
RIL ने 2021 तक कर्ज मुक्त होने का लक्ष्य रखा है, इश्यू इसी योजना का हिस्सा है
स्टार, सोनी और जियो के बीच प्रतिस्पर्धी बोलियों के कारण भारत की घरेलू द्विपक्षीय श्रृंखलाओं के लिए वैश्विक समग्र मीडिया अधिकार( जीसीआर) हासिल करने की बोली BCCI की पहली ई- नीलामी के पहले दिन के अंत तक 4442 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
विधानसभा द्वारा डीयू से जुड़े दिल्ली सरकार के 28 कॉलेजों में दिल्ली के स्टूडेंट्स के लिए 85% सीटें रिजर्व करने का प्रावधान किया गया है।
SBI ने चालू वित्त वर्ष में अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (FPO) और पात्र संस्थागत नियोजन (QIP) के जरिये कोष जुटाने की योजना बनाई है।
देश में 1 मई को RERA लागू हो गया, लेकिन उत्तर प्रदेश उन कुछ राज्यों में शामिल है जो नियामक प्राधिकरण का गठन करने में पीछे छूट गए हैं।
RERA के तहत राज्यों द्वारा बनाए गए रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी का काम बिल्डरों के खिलाफ आने वाली किसी भी शिकायत का निवारण करना है।
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