सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रिटेल मुद्रास्फीति की गणना के लिए आधार वर्ष को बदलकर क्रमश: 2017-18 और 2018 करेगी। यह व्यवस्था 2019-20 से प्रभाव में आएगी।
मोदी सरकार के लिए आज दो महत्वपूर्ण खबरें आईं, जिसमें से एक राहत देने वाली है तो दूसरी आफत। अप्रैल में देश का औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर जहां बढ़कर 4.9 प्रतिशत रही है, वहीं मई में रिटेल महंगाई दर भी बढ़कर 4.87 प्रतिशत हो गई है।
नवंबर में देश के औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) में भारी वृद्धि दर्ज की गई है। नवंबर के लिए आईआईपी का यह आंकड़ा अपने 17 माह के उच्च स्तर 8.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
नवंबर माह में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 15 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई। नवंबर के लिए रिटेल महंगाई दर 4.88 प्रतिशत रही। इसने भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय किए गए 4 प्रतिशत के महंगाई लक्ष्य को पीछे छोड़ दिया है।
आज जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में देश की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि (आईआईपी) दर नौ महीने के उच्च स्तर 4.3 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
महंगाई दर 4 से 6 प्रतिशत के मुद्रास्फीति के लक्ष्य से कम है। ऐसे में इस बात की संभावना बनी है कि रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरें और घटा सकता है।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर जून में घटकर 0.9 प्रतिशत रही। शुक्रवार को सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है।
खाने-पीने की वस्तुओं के सस्ता होने से रिटेल मुद्रास्फीति मई में रिकॉर्ड 2.18% के निम्न स्तर पर आ गई, वहीं अप्रैल में आईआईपी बढ़कर 3.1 प्रतिशत रहा।
चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 4.8% रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया कि मुद्रास्फीति ऊंची रहने की आशंका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया लगता है।
ईंधन की ऊंची कीमतों की वजह से रिटेल महंगाई मार्च में पिछले पांच माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।
देश में खुदरा मुद्रास्फीति दर फरवरी के दौरान बढ़कर 3.65 प्रतिशत पर पहुंच गई। ऐसा खाद्य और ईंधन की कीमतों में तेज वृद्धि की वजह से हुआ है।
जनवरी में थोक महंगाई दर बढ़कर 30 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। दिसंबर के मुकाबले जनवरी में थोक महंगाई दर 3.39 फीसदी से बढ़कर 5.25 फीसदी हो गई।
सब्जियों, दालों और दूसरे खाने-पीने की चीजों में आई नरमी से रिटेल महंगाई दर घटकर 3.17 फीसदी पर आ गई है। दिसंबर 2016 में सीपीआई 3.41 फीसदी पर थी।
नवंबर में इंडस्ट्री प्रोडक्शन 5.7 प्रतिशत बढ़ा है, अक्टूबर में इसमें 1.8% की गिरावट आई। इंडस्ट्री प्रोडक्शन अर्थशास्त्रियों के अनुमान से ज्यादा है।
नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) लगातार तीसरे महीने गिरकर 3.15 फीसदी पर आ गई है। अक्टूबर में थोक महंगाई दर 3.39 फीसदी थी।
रिटेल महंगाई दर अक्टूबर में घटकर 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है और इसके बाद नवंबर-दिसंबर में इसके चार प्रतिशत से भी नीचे आने की उम्मीद है।
रिटेल महंगाई दर सितंबर में घटी है। खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होने की वजह से मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर 4.31 प्रतिशत रही जो अगस्त में 5.05 प्रतिशत थी।
लंबे समय से घाटी में जारी तनाव के चलते बादाम के दाम एक महीने में 18 फीसदी बढ़कर 1,300 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गए हैं।
रिटेल महंगाई का आंकड़ा बढ़कर 6.07 फीसदी पर पहुंच गया है, वहीं दूसरी ओर जून माह में देश के औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई है।
ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी एचएसबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में रिटेल महंगाई दर अगले दो महीने में छह फीसदी से अधिक रहने का अनुमान लगाया है।
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